Saturday, July 27, 2024
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बैनर के विवाद में शिवसेना-NCP कार्यकर्ताओं के बीच जमकर चलीं कुर्सियाँ-हाथ-गालियाँ: देखें वीडियो

भिवंडी में शिवसेना और एनसीपी के उम्मीदवार नामांकन भरने गए थे। एनसीपी अध्यक्ष गुलवी ने इस दौरान चुनाव आयुक्त के कार्यालय में शिवसेना के दावेदार प्रवीण गुलवी के बैनर का विरोध किया।

महाराष्ट्र में ‘औरंगाबाद’ का नाम ‘संभाजी नगर’ करने के मामले में महाविकास आघाड़ी सरकार में पहले ही फूट पड़ती दिखाई दे रही थी और अब खबर है कि मंगलवार (जनवरी 6, 2021) को गठबंधन की दो प्रमुख पार्टियों ( NCP और शिवसेना) के कार्यकर्ता भिवंडी में चुनाव आयुक्त के सामने ही एक दूसरे से भिड़ गए।

दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में झगड़ा एक अनाधिकृत बैनर को लेकर उस समय शुरू हुआ जब एनसीपी के जिलाध्यक्ष अपनी ही साथी पार्टी के दावेदार की शिकायत लेकर चुनाव आयुक्त कार्यालय में पहुँच गए और वहाँ आपसी बहस के बाद दोनों पक्षों में जुबानी जंग हाथापाई में बदल गई।

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार में दोनों पार्टियाँ भले ही एक गठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन भिवंडी नगर निगम को लेकर दोनों में विवाद काफी पुराना है। भिवंडी में जल्द ही ग्राम पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके सम्बन्ध में मंगलवार को शिवसेना और एनसीपी के उम्मीदवार नामांकन भरने गए थे। एनसीपी अध्यक्ष गुलवी ने इस दौरान चुनाव आयुक्त के कार्यालय में शिवसेना के दावेदार प्रवीण गुलवी के बैनर का विरोध किया। इस घटना की बाद में एक वीडियो भी सामने आई। वीडियो में दोनों पक्ष एक दूसरे को गाली गलौच करते और एक दूसरे पर कुर्सी उठाकर मारते देखे जा सकते हैं।

घटना की बाबत भिवंडी चुनाव आयुक्त डॉ सुनील भालेराओ (Dr Sunil Bhalerao) ने संज्ञान लिया है और दोनों समूहों के ख़िलाफ़ सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में केस दर्ज किया है। इस संबंध में शांतिनगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज हुई है।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भी महा विकास आघाडी गठबंधन में गठबंधन के सहयोगियों के बीच टकराव स्पष्ट नजर आया था। यह टकराव कॉन्ग्रेस और शिवसेना के बीच औरंगाबाद का नाम बदलकर ‘संभाजी नगर’ करने के प्रयासों के बीच बढ़ता हुआ देखा गया था।

शिवसेना काफी समय से से औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर करने की माँग करती रही थी। यह माँग उस वक्त भी की गई थी, जब शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा थी। लेकिन कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री बालासाहेब थोराट ने औरंगाबाद को संभाजी नगर करने का विरोध किया। इसके ही एक दिन बाद ही, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से शहर का नाम बदलने के विषय को जोरशोर से उठाया था और कहा था कि नाम बदलने से महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार के भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

लेख में बताया गया था कि कैसे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने 30 साल पहले इसका नाम संभाजी नगर रखा था और लोगों ने इसे तहे दिल से स्वीकार भी किया था। ‘सामना’ के सम्पादकीय में कहा गया कि नाम को आधिकारिक रूप से लागू करने के लिए बस दस्तावेजों की औपचारिकताओं को छोड़ दिया गया था। आगे कॉन्ग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए इस लेख में कहा गया कि औरंगाबाद का नाम बदलने से देश के धर्मनिरपेक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और राज्य के अधिकांश कॉन्ग्रेसी शिवसेना द्वारा शहर का नाम बदलने की माँग से सहमत होंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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