कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने बुधवार (3 अप्रैल, 2024) को केरल की लोकसभा सीट वायनाड से अपना नामांकन दाखिल किया। भाजपा ने इस सीट केरल के सुरेन्द्रन को उम्मीदवार बनाया है। अब इस लड़ाई में राहुल गाँधी को अमेठी में करारी शिकस्त देने वाली भाजपा नेता स्मृति ईरानी की एंट्री हो गई है।
के सुरेन्द्रन गुरुवार (4 अप्रैल, 2024) को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इस नामांकन के लिए केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी वायनाड पहुँच रही है। इसी के साथ ही 2014 और 2019 वाली स्मृति बनाम राहुल की लड़ाई तेज हो गई है। राहुल गाँधी ने यहाँ नामांकन से पहले एक रोड शो किया जिसमें उनके साथ कॉन्ग्रेस महासचिव और उनकी बहन प्रियंका गाँधी भी मौजूद रहीं।
Dear voters of Wayanad, I am deeply honored to submit my nomination as the @BJP4India and NDA candidate for the Wayanad Parliamentary Constituency tomorrow at 11 am. I will strive towards representing the outstanding work of @narendramodi ji's Government in Wayanad. Accompanied… pic.twitter.com/gpSXKWA2ZD
— K Surendran(മോദിയുടെ കുടുംബം) (@surendranbjp) April 3, 2024
राहुल गाँधी और स्मृति ईरानी की लड़ाई 2014 से ही चर्चित रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में स्मृति ने राहुल को कड़ा मुकाबला दिया था। राहुल गाँधी ने बड़ी मुश्किल से यह सीट जीती थी।
2019 में राहुल गाँधी को यह पता चल गया था कि वह अमेठी में चुनाव नहीं जीत पाएँगे इसलिए उन्होंने पहले ही सेफ सीट वायनाड से लड़ने का निर्णय लिया। जैसा सोच कर कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी ने अमेठी के साथ वायनाड को चुना था, वही हुआ, अमेठी में उन्हें स्मृति ईरानी से शिकस्त मिली और वायनाड में जीत।
अमेठी में स्मृति ईरानी के हाथों हारने के बाद राहुल गाँधी वहाँ लौट कर नहीं गए। कॉन्ग्रेस ने भी यह बात मान ली कि अब राहुल गाँधी अमेठी से नहीं जीत सकते। कॉन्ग्रेस ने 2024 चुनाव में राहुल को केवल वायनाड से ही उतारा। उसने अभी अमेठी से राहुल के अलावा भी कोई उम्मीदवार तक नहीं घोषित किया है।
स्मृति ईरानी ने राहुल को अमेठी में करारी शिकस्त देने के बाद उनकी राह वायनाड में भी मुश्किल बनाने का मन बना लिया है। इसलिए वह राहुल के सामने चुनाव लड़ रहे के सुरेन्द्रन के नामांकन में पहुँच रही हैं। वह पहले भी राहुल गाँधी पर अमेठी से किनारा करने को लेकर हमले बोलते रही हैं।
वायनाड लोकसभा सीट 2009 में बनी थी, तब से यहाँ कॉन्ग्रेस का ही कब्जा है। 2019 में राहुल गाँधी के जीतने से पहले यहाँ कॉन्ग्रेस के एमएल शान्वास सांसद थे। ऐसे में वायनाड राहुल के लिए सेफ सीट करार दी जा रही है।
हालाँकि, स्मृति और के सुरेन्द्रन इस मान्यता को बदलने के लिए तत्पर हैं। स्मृति ईरानी अब वायनाड में भाजपा के लिए जमीन मजबूत करेंगी और भाजपा का यहाँ प्रयास रहेगा कि वह भले ही यह सीट ना जीत पाए लेकिन राहुल की दुश्वारियों को काफी हद तक बढ़ा दे। इसके लिए उन्होंने अमेठी वाले नियम भी अपनाए जा सकते हैं।
2014 चुनाव में हार के बाद भी स्मृति ईरानी ने अमेठी नहीं छोड़ा था। उन्होंने यहाँ जमीन पर काम करके स्थानीय नेताओं से सम्बन्ध बनाए। राहुल गाँधी की गैरमौजूदगी और अमेठी में विकास ना होने का मुद्दा जनता के सामने रखा और आखिर में उन्हें हरा दिया।
लेकिन अब वायनाड भी राहुल गाँधी के लिए मुश्किल साबित होने जा रही है। स्मृति ईरानी और के सुरेन्द्रन की जोड़ी उसी गेमप्लान पर वायनाड में काम करने वाली है, जिसके जरिए भाजपा ने अमेठी को गाँधी परिवार से ले लिया था। वायनाड में भाजपा राहुल गाँधी की गैरमौजूदगी और विकास ना करने के मुद्दे पर जोर देकर राहुल की राह मुश्किल करने वाली है।
सोशल मीडिया पर यह बात तैर रही है कि राहुल गाँधी 2019 में वायनाड से सांसद बनने के बाद मात्र 12 बार ही यहाँ गए हैं। यानी वह एक वर्ष में केवल औसतन 2-3 बार ही अपने संसदीय क्षेत्र पहुँचे। ऐसे में इस मुद्दे को भुनाया जाने वाला है।
दूसरी तरफ ईरानी यहाँ की सांसद ना होते हुए भी यहाँ के दौरे करती आई हैं। मई 2022 में ही एक ऐसे दौरे में ईरानी ने वायनाड में विकास की स्थिति पर प्रश्न उठाए थे। उन्होंने कहा था कि वायनाड में कोई ख़ास काम नहीं हुआ है। वायनाड में पानी के कनेक्शन ना मिलने और किसानों के काम अटकने को लेकर भी प्रश्न उठाए थे।
वायनाड में राहुल को केवल भाजपा ही नहीं बल्कि INDI गठबंधन के साथियों से भी चुनौती मिल रही है। वामपंथी दलों ने यहाँ से एनी राजा को उम्मीदवार बनाया है। केरल के CM पिनाराई विजयन ने तक राहुल गाँधी को लताड़ा है। उन्होंने कहा था कि राहुल गाँधी भाजपा से सीधी लड़ाई करने से बच रहे हैं।
चुनावी नतीजों पर एक बार नजर डाली जाए तो पता चलता है कि भाजपा ने वायनाड में 2009 में मात्र 4% जबकि 2014 में 9% वोट पाया था। यह वोट शेयर 2019 में थोडा सा घट कर 7% के आसपास हो गया था। हालाँकि, इन तीनों चुनावों के दौरान, भाजपा का केरल में ना ही संगठन ज्यादा मजबूत था और ना ही उनके पास कोई बड़ा चेहरा यहाँ था।
सुरेन्द्रन को इस सीट से इसलिए भी उम्मीदवार बनाया गया है क्योंकि वह केरल भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा वर्तमान में हैं। वह केरल में जमीनी कार्यकर्ता और सड़क पर संघर्ष करने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। केरल समेत दक्षिण भारत के हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण अयप्पा मंदिर के लिए सुरेन्द्रन जेल जा चुके हैं, वह वामपंथी सरकार से 200 से अधिक मुकदमे भी इस कारण से झेल चुके हैं। ऐसे में उनकी हिंदूवादी छवि भी इसमें सहायता कर सकती है।
हालाँकि, राहुल को वायनाड में यहाँ की जनसांख्यिकी के कारण बढ़त मिलती रही है। अब स्मृति ईरानी की इन चुनावों में एंट्री कितना बदलाव लाएगी, यह 4 जून को पता चलेगा।