सोनभद्र के उम्भा गॉंव में बीते साल जुलाई में आदिवासियों की जमीन पर कब्जे को लेकर 3 महिलाओं समेत 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, इसलिए विपक्ष ने खूब शोर-शराबा मचाया था। आरोपों की झड़ी लगा दी। कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गॉंधी तो लाशों पर राजनीति करने को इतनी आतुर थीं कि सोनभद्र जाने की इजाजत नहीं मिलने पर सड़क पर ही बैठ गईं थी। उस समय भी यह बात सामने आई थी कि यह विवाद आजादी से भी पुराना है और इसके पीछे भ्रष्ट अधिकारी और कॉन्ग्रेस के नेता रहे हैं। अपर मुख्य सचिव (राजस्व) रेणुका कुमार की अध्यक्षता वाली जॉंच कमेटी ने भी इस तथ्य पर मुहर लगाई है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जाँच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार सोनभद्र और मिर्जापुर में 6,602 एकड़ जमीन फर्जी सहकारी समितियॉं बनाकर कब्जा कर ली गई थी। इसमें से एक सहकारी समिति कॉन्ग्रेस के एक बड़े नेता की है। मौजूदा समय में इस जमीन की कीमत करीब 660 करोड़ रुपए आँकी गई है।
अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात का भी ख़ुलासा हुआ है कि कॉन्ग्रेसी नेता के अलावा और भी कई लोग हैं जिन्होंने फ़र्ज़ी सहकारी समितियाँ बनाकर ज़मीन हड़पी थी। रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित 6 सदस्यीय जाँच समिति ने 1100 पन्नों की रिपोर्ट दी है। इसमें बताया गया है कि सोनभद्र की तीन और मिर्ज़ापुर की चार सहकारी समितियों ने अवैध रूप से 6,602 एकड़ सरकारी ज़मीन पर अपना क़ब्ज़ा जमाया। बता दें कि जाँच समिति ने 1952-2019 तक के दस्तावेज़ों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई इस रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि अवैध ज़मीन हड़पने वालों में कॉन्ग्रेस के कई अन्य नेता भी शामिल हैं, जिनके पास हज़ारों एकड़ ज़मीन है। उन्होंने दस्तावेज़ों में फेरबदल कर सरकारी ज़मीन हड़प कर उसे अपने नाम कर लिया।
ग़ौरतलब है कि सोनभद्र में हुए नरसंहार में यूपी के पूर्व राज्यपाल चंद्रशेखर प्रसाद नारायण के चाचा और कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद महेश्वर प्रसाद नारायण का नाम सामने आया था। साथ ही घटना का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे का नज़दीकी बताया गया। दरअसल, वनभूमि की लूट में कई बड़े-बड़े नेताओं के नाम सामने आए थे। इनमें, रेनुकूट डिवीजन के गाँव जोगेंद्रा में बसपा सरकार के पूर्व मंत्री शामिल थे जिन्होंने वन विभाग की 250 बीघा जमीन पर क़ब्ज़ा कर रखा था। इसी तरह सोनभद्र ज़िले के गाँव सिलहट में एसपी के पूर्व विधायक ने 56 बीघे ज़मीन का बैनामा अपने भतीजों के नाम पर करवाया हुआ था।
इनके अलावा, ओबरा वन प्रभाग के वर्दिया गाँव में एक कानूनगो के बारे में पता चला था कि उसने पहले अपने पिता के नाम ज़मीन करवाई और फिर बाद में उसे बेच दिया। घोरावल रेंज के धोरिया गाँव में भी ऐसे ही एक रसूखदार ने 18 बीघा ज़मीन 90 हज़ार रुपए में ख़रीदी और फिर इसकी आड़ में बाकी ज़मीन पर भी अपना क़ब्ज़ा जमा लिया।
उत्तर प्रदेश: आदिवासियों की जमीन पर कब्जे के लिए 3 महिलाओं समेत 11 की हत्या
सोनभद्र: वनभूमि लूट में सपा-कॉन्ग्रेस नेताओं के नाम, सांसद से लेकर पूर्व विधायक तक शामिल
कॉन्ग्रेसियों द्वारा सोनभद्र में जब्त की गई 1 लाख बीघा जमीन जल्द ही आदिवासियों को दी जाएगी: योगी आदित्यनाथ