Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजसोनभद्र: वनभूमि लूट में सपा-कॉन्ग्रेस नेताओं के नाम, सांसद से लेकर पूर्व विधायक तक...

सोनभद्र: वनभूमि लूट में सपा-कॉन्ग्रेस नेताओं के नाम, सांसद से लेकर पूर्व विधायक तक शामिल

सोनभद्र हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे का नजदीकी बताया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हुए हत्याकांड में प्रदेश सरकार की ओर से की जा रही जाँच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जानकारी के मुताबिक इस जाँच में सपा और कॉन्ग्रेस के ऐसे जनप्रतिनिधियों के नामों का खुलासा हुआ है, जिन्होंने गरीबों की जमीन को लूटने का काम किया है और घटना होने पर धरना प्रदर्शन करके राजनीति करने की कोशिश की है। इसके अलावा विवादित जमीनों के मामलों में चल रही जाँच में बसपा के कई नेताओं का नाम उजागर हुआ है।

खबरों की मानें तो सोनभद्र की वह जमीन जिसे लेकर खूनी संघर्ष हुआ, उसमें यूपी के पूर्व राज्यपाल चंद्रशेखकर प्रसाद नारायण के चाचा और कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद महेश्वर प्रसाद नारायण का नाम सामने आया है। साथ ही घटना का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे का नजदीकी बताया जा रहा है।

खबरों के मुताबिक वनभूमि की लूट में कई बड़े-बड़े नेताओं के नाम सामने आए हैं। जिनका आगे की जाँच में खुलासा होगा। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार:-

  • रेनुकूट डिवीजन के गाँव जोगेंद्रा में बसपा सरकार के पूर्व मंत्री ने वन विभाग की 250 बीघा जमीन पर कब्जा किया हुआ है।
  • इसी तरह सोनभद्र जिले के गाँव सिलहट में एसपी के पूर्व विधायक ने 56 बीघे जमीन का बैनामा अपने भतीजों के नाम पर करवाया हुआ है।
  • ऐसे ही ओबरा वन प्रभाग के वर्दिया गाँव में एक कानूनगो के बारे में पता चला है कि उसने पहले अपने पिता के नाम जमीन कराई और बाद में उसे बेच दिया।
  • घोरावल रेंज के धोरिया गाँव में भी ऐसे ही एक रसूखदार ने 18 बीघा जमीन 90 हजार रुपए में खरीदी और फिर इसकी आड़ में बाकी जमीन को भी कब्जा लिया।
  • इससे पहले ओबरा वन प्रभाग के बिल्ली मारकुंडी में जंगल विभाग की जमीन पर पेट्रोल पंप बनाने का मामला पहले ही अदालत में विचारधीन है।

गौरतलब है कि उपर्युक्त सभी मामलों के साथ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से वन विभाग की जमीन में आबादी दिखाने के बहुत से मामले सामने आए हैं। साथ ही जाँच में ये भी खुलासा हुआ है कि भारतीय वन अधिनियम-1927 की धारा-4 और धारा-20 में विज्ञापित जमीनों को रसूखदारों के कहने पर चकबंदी में शामिल कर लिया जा रहा है, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं हो सकता।

यहाँ जाँच में ये भी पता चला है कि ऐसे मामलों की संख्या भी कम नहीं है जहाँ व्यक्ति या संस्था अदालत से मुकदमा हार गई है लेकिन फिर भी वन विभाग की जमीन पर अपना कब्जा जमाए हुए है।

इतना ही नहीं, खबरों की मानें तो जब से प्रदेश सरकार ने जमीन पर अंसक्रमणीय से संक्रमणीय अधिकार देने का नियम बनाया है, तब से तमाम लोग मोटी रकम लेकर अपनी जमीनें बेचते हैं और फिर जंगल की जमीन को कब्जाने में जुट जाते हैं। इन मामलों में अब तक सपा-बसपा के कई पूर्व मंत्री और विधायकों के नाम सामने आ चुके हैं।

बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई जाँच कमिटी इस सप्ताह मुख्यमंत्री को इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद इन कब्जेदारों पर कार्रवाई होना लगभग तय है।

यह भी पढ़े- सोनभद्र: हत्याकांड की बुनियाद आजादी से भी पुरानी, भ्रष्ट अधिकारियों ने रखी नींव

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘ममता बनर्जी का ड्रामा स्क्रिप्टेड’: कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा – ‘दिल्ली में संत, लेकिन बंगाल में शैतान’

अधीर ने यह भी कहा कि चुनाव हो या न हो, बंगाल में जिस तरह की अराजकता का सामना करना पड़ रहा है, वो अभूतपूर्व है।

जैसा राजदीप सरदेसाई ने कहा, वैसा ममता बनर्जी ने किया… बीवी बनी सांसद तो ‘पत्रकारिता’ की आड़ में TMC के लिए बना रहे रणनीति?...

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसा किया है, जिसकी भविष्यवाणी TMC सांसद सागरिका घोष के शौहर राजदीप सरदेसाई ने पहले ही कर दी थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -