महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिलाए जाने के ख़िलाफ़ विपक्षी पार्टियाँ सुप्रीम कोर्ट पहुँची, जहाँ दोनों पक्ष अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। अगली सुनवाई सोमवार (नवंबर 25, 2019) को होगी। इस दौरान राज्यपाल के आदेश की कॉपी भी कोर्ट में रखी जाएगी। एनसीपी-कॉन्ग्रेस की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सिंघवी ने इस दौरान अजित पवार का समर्थन कर रहे विधायकों की संख्या को लेकर राज़ खोल दिया। जहाँ एनसीपी दावा कर रही है कि उसके 54 में से 49 विधायक वापस लौट आए हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने अलग ही दावा किया।
सुनवाई के दौरान कॉन्ग्रेस नेता सिंघवी ने पूछा कि मात्र 42-43 विधायकों के समर्थन से अजित पवार उप-मुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं? उन्होंने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया। सिंघवी ने अपनी दलीलें रखते हुए कोर्ट में कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपनी जिम्मेदारियाँ ठीक से नहीं निभाई। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को विधायकों के हस्ताक्षर वाले पत्र को वेरीफाई करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उन हस्ताक्षरों की पुष्टि नहीं की और शपथग्रहण करा दिया। लेकिन, क्या सिंघवी ने अनजाने में यह बता दिया कि अजित पवार के साथ एनसीपी के 43 विधायक हैं? एनसीपी और सिंघवी के बयान अलग-अलग क्यों?
अगर अभिषेक मनु सिंघवी के बयान पर विश्वास करें तो देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा और एनसीपी के अजित धड़े की सरकार आराम से बहुमत साबित कर देगी। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 105 सीटों वाली भाजपा को बहुमत का जादुई आँकड़ा छूने के लिए 39 अन्य विधायकों के समर्थन की ज़रूरत है। अजित पवार के 43 विधायकों को मिला कर ये आँकड़ा आराम से पार हो जाता है। वहीं अगर एनसीपी के दावों पर विश्वास करें तो भाजपा के लिए संकट खड़ा हो सकता है, क्योंकि अजित पवार के साथ मात्र 3-4 विधायकों के होने की बात ही कही जा रही है।
Abhishek Manu Singhvi, appearing for NCP and Congress, says in Supreme Court, “How come Ajit Pawar becomes the Deputy CM with the support of only around 42-43 seats? It is the murder of democracy.” #Maharashtra
— ANI (@ANI) November 24, 2019
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शुक्रवार (नवंबर 22, 2019) की शाम को ही शिवसेना-एनसीपी और कॉन्ग्रेस के गठबंधन ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने पूछा कि इस घोषणा के बाद राज्यपाल को जल्दबाजी में फ़ैसला लेने की बजाय इंतजार नहीं करना चाहिए था? राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी फ़िलहाल दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित ‘गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस’ में हिस्सा ले रहे हैं।
शनिवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने विधायकों की बैठक बुलाई थी। बैठक में अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया था। बैठक के बाद एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा था कि पार्टी के केवल पॉंच विधायक नेतृत्व के संपर्क में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव में ही बीजेपी और अजित पवार वाले धड़े की हार तय है। इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस का राज्य में सरकार बनाना तय है।
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