Thursday, May 9, 2024
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जज मतलब तड़ीपार का पूर्व वकील… राहुल गाँधी की सजा पर नहीं लगी रोक तो जज-सूरत कोर्ट पर टूट पड़ी काॅन्ग्रेस और रुदाली गैंग

फैसले के बाद कॉन्ग्रेसी और वामपंथी कोर्ट के जज और सत्र अदालत के ऊपर बिदक गए। सोशल मीडिया पर उन्हें अपशब्द कहे जाने लगे। जज को जहाँ गुजरात लॉबी का सदस्य बताया गया। वहीं गुजरात कोर्ट को भी 'भ्रष्ट' कहा गया।

गुजरात के सूरत की सेशन कोर्ट ने गुरुवार (20 अप्रैल 2023) को मानहानि मामले में काॅन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) की याचिका खारिज करते हुए उनकी दो साल की सजा बरकरार रखी। इस फैसले के बाद कॉन्ग्रेसी और वामपंथी, कोर्ट के जज और सत्र अदालत के ऊपर बिदक गए। सोशल मीडिया पर उन्हें अपशब्द कहे जाने लगे। जज को जहाँ गुजरात लॉबी का सदस्य बताया गया। वहीं गुजरात कोर्ट को भी ‘भ्रष्ट’ कहा गया।

वामपंथी पत्रकार सबा नकवी ने इस फैसले को ‘बेतुका’ बताया और कोर्ट को ‘भ्रष्ट’ कहा।

वामपंथी मीडिया गिरोह के तथाकथित पत्रकार विनोद कापड़ी ने अपने ट्विटर हैंडल पर तंज कसते हुए लिखा, “सूरत जज जिंदाबाद!”

गुजरात काॅन्ग्रेस ने जज को अमित शाह का चेला बताते हुए लिखा, “सूरत कोर्ट ने राहुल गाँधी की अर्जी को खारिज कर दिया है। ये तो होना ही था, अमित शाह के चेले ने जो फैसला सुनाया है।”

काॅन्ग्रेस समर्थक भविका कपूर अपनी भड़ास निकालते हुए लिखती हैं, “जज = तड़ीपार का पूर्व वकील।”

महाराष्ट्र काॅन्ग्रेस के सोशल मीडिया इंचार्ज नितिन अग्रवाल ने लिखा, “आप क्रोनोलॉजी समझिए। जज रॉबिन मोगेरा, जिन्होंने आज राहुल गाँधी की अर्जी खारिज की है, वो कथित फेक एनकाउंटकर मामले में अमित शाह की पैरवी कर चुके है।”

इसी तरह स्वाति चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें फैसला सुनकर बिलकुल हैरानी नहीं हुई। रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा, ” जी मिलार्ड आप तो खरबूज निकले।” वहीं पत्रकार दीपक शर्मा ने कहा, “एक शब्द के फैसले में अदालत ने कहा- डिसमिस्ड। गुजरात लॉबी का गुजरात में असर गजब है।”

जज को कॉन्ग्रेसियों ने क्यों बनाया निशाना

बता दें कि राहुल गाँधी ने सूरत की सेशन कोर्ट में मानहानि मामले में 2 साल की सजा पर रोक की गुहार लगाते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। यह फैसला जज रॉबिन मोगेरा ने सुनाया है। वह कभी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मुकदमा लड़ चुके हैं। उन्होंने 2006 के तुलसीराम प्रजापति फेक एनकाउंटर केस को लड़ा था। उस वक्त अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री हुआ करते थे।

मोगेरा ने 2014 तक शाह का केस लड़ा, जब इसकी सुनवाई मुंबई में सीबीआई अदालत में चल रही थी। उन्हें 2018 में बतौर जज नियुक्त किया गया था। अब वह गुजरात के सूरत सेशन कोर्ट में जज हैं। राहुल की सजा बरकरार रखने का फैसला सुनाने के बाद से काॅन्ग्रेस और उसके समर्थक जज और कोर्ट पर हमला कर रहे हैं।

क्यों हो रहा राहुल गाँधी पर केस

उल्लेखनीय है कि राहुल ने 2019 में कर्नाटक की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, “सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।” इसके बाद बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था। सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसी साल 23 मार्च को काॅन्ग्रेस नेता को इस मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई थी। ताजा फैसले में भी उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं हुई। अब इस मामले में राहत के लिए उन्हें हाईकोर्ट जाना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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