Sunday, November 17, 2024
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रवीश कुमार+स्वरा भास्कर की मजबूरी भारी: मन कहे- राहुल गाँधी से न हो पाएगा, जुबान फिर भी करे जी-हुज़ूरी

"चुनावी विफलताओं, ट्रॉलिंग, व्यक्तिगत हमलों और उन्हें अयोग्य बताते हुए लगातार हो रही आलोचना के बावजूद राहुल गाँधी ने संप्रदायिक भाषणबाजी के सामने घुटने नहीं टेके।"

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी इन दिनों ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकाल रहे हैं, लेकिन पार्टी की उम्मीद के मुताबिक मीडिया की फुटेज उन्हें मिल नहीं रही। ऐसे में अब अभिनेत्री स्वरा भास्कर राहुल गाँधी के महिमामंडन के लिए आगे आई हैं। इसके जरिया बना है – रवीश कुमार का वीडियो। दोनों को लगता है कि राहुल गाँधी को वोट नहीं मिलने वाले, लेकिन खुलेआम कैसे स्वीकारें? इसीलिए, अब वो ‘दिल जीतने’ वाला प्रोपेगंडा लेकर आए।

अक्सर ऐसा होता है कि दो तीनों के मैच के बाद हारने वाली टीम को ‘दिल जीतने वाला’ बता दिया जाता है। यहाँ राहुल गाँधी के समर्थकों को पता है उन्हें हार ही मिलनी है चाहे वो कुछ भी कर लें, इसीलिए जो बात बाद मेंबोलनी है, अभी से ही बोल रहे। NDTV पर रवीश कुमार का एक वीडियो शेयर कर के राहुल गाँधी को महान दिखाने की कोशिश की। वैसे स्वरा भास्कर पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधियों को बिन माँगे समर्थन देती रही हैं।

स्वरा भास्कर ने ट्विटर पर लिखा, “इसका श्रेय उन्हें दिया जाना बाकी था। चुनावी विफलताओं, ट्रॉलिंग, व्यक्तिगत हमलों और उन्हें अयोग्य बताते हुए लगातार हो रही आलोचना के बावजूद राहुल गाँधी ने सांप्रदायिक भाषणबाजी के सामने घुटने नहीं टेके। न ही उन्होंने सनसनीबाजी वाली राजनीति के सामने हार मानी। इस देश की जैसी स्थिति है, उसमें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसा प्रयास सराहनीय है।” साथ ही उन्होंने 2 मिनट 20 सेकेण्ड का एक क्लिप शेयर किया, जो NDTV के ‘प्राइम टाइम’ शो का है।

इसमें रवीश कुमार कहते दिख रहे हैं कि राजनीति के पास कोई और भाषा नहीं बची है, लेकिन इतने चुनाव हारने के बावजूद राहुल गाँधी ने धर्म का सहारा नहीं लिया और 3000 किलोमीटर की पदयात्रा निकाल ली। इस दौरान वो ये भी कहते दिखे कि कई लोग कह रहे इससे वोट नहीं मिलेगा, लेकिन इसके बावजूद राहुल गाँधी ने भाषा की शालीनता नहीं छोड़ी और अपने पिता-नाना के अपमान का रोना नहीं रोया। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ने देवी-देवताओं की तस्वीरें नहीं लगाई।

रवीश कुमार इस वीडियो इससे नाराज़ दिखते हैं कि चैनलों में उनकी इस यात्रा को कवर नहीं किया जा रहा और अख़बारों में इसके बारे में नहीं छप रहा। रवीश कुमार ने दावा किया कि राहुल गाँधी धर्म की राजनीति के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए मछुआरों की आवाज़ उठा रहे हैं। रवीश कुमार ने हमेशा की तरह उद्योगपतियों को भी आड़े हाथों लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीति को ‘धर्म के उत्सव’ में बदलने का आरोप लगाया।

इतना ही नहीं, वो करेंसी नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीरों की माँग करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रति भी नाराज़गी दिखाई। वैसे, रवीश कुमार हमेशा की तरह इस बार भी झूठ बोल रहे हैं। राहुल गाँधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी टीका लगाया गया। उन्होंने कर्नाटक के मैसूर में लिंगायत मठ का दौरा किया, आंध्र के अडोनी में गंगा मंदिर गए। चर्च और मस्जिदों में भी गए, ऐसे में क्या इसे धर्म की राजनीति नहीं मानते रवीश कुमार? और हाँ, राहुल गाँधी अपने पिता और दादी के मारे जाने का रोना भी रो चुके हैं।

‘मेरे पिता को मार दिया, मेरी दादी को मार दिया’ – ये किसके शब्द थे? रवीश कुमार ने नया यूट्यूब चैनल बना लिया है, शायद उन्हें डर है कि NDTV अब अडानी को बिक गया है तो उन्हें कभी भी निकाला जा सकता है। इसीलिए, अब वो टीवी और यूट्यूब, दोनों से प्रोपेगंडा चला रहे हैं। असली बात तो ये है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सारे तिकड़म आजमाए जा रहे हैं, लेकिन जब नेता ही जनता को पसंद नहीं हो तो भला वोट कैसे मिलेंगे? धर्म नहीं, लेकिन मजहब की राजनीति तो खूब की है कॉन्ग्रेस ने।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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