पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेताओं में कोरोना वायरस की वैक्सीन लेने की होड़ सी मच गई है। जहाँ केंद्र सरकार का जोर है कि सबसे पहले अपनी जान जोखिम में डाल कर लगभग एक वर्ष तक लोगों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसमें प्राथमिकता दी जाए, TMC के नेता पहले खुद को सुरक्षित कर लेना चाहते हैं। पार्टी के दो विधायकों ने वैक्सीन लगवाया है। ऊपर से कई स्वास्थ्य कर्मचारियों को बुला कर उन्हें खाली हाथ लौटा दिया गया।
वैक्सीन लगवाने वालों में भतार के विधायक सुभाष मोंडल और कटवा के विधायक रबीन्द्रनाथ चटर्जी शामिल हैं। शनिवार (जनवरी 16, 2021) की सुबह सुभाष ने राज्य के सरकारी अस्पताल में जाकर वैक्सीन ली। वहीं चटर्जी ने भी स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऊपर खुद को प्राथमिकता दी। ये दोनों ही ईस्ट बर्दवान जिले के नेता हैं। पहले चरण में केवल फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही वैक्सीन दिए जाने की अनुमति है, लेकिन इन नेताओं ने इसका उल्लंघन किया।
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ये नेतागण जिले की पेशेंट्स वेलफेयर कमिटियों का हिस्सा हैं, इसलिए उन्होंने वैक्सीन ली। उनका कहना है कि इस समिति का सदस्य होने के नाते वो भी फ्रंट लाइन वर्कर हैं। पूर्व विधायक बनमाली हाजरा, जिला परिषद अध्यक्ष जहर बागड़ी और पंचायत समिति सदस्य महेंद्र हाजरा ने भी वैक्सीन ली। कई नर्सों ने शिकायत की कि उनका नाम होने के बावजूद उन्हें वैक्सीन नहीं दी गई।
पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “कोरोना वैक्सीन की लूट हुई है। देश के प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वॉरियर्स, स्वास्थ्यकर्मियों एवं फ्रंटलाइन वर्कर के लिए फ्री कोरोना वैक्सीन भेजी। लेकिन, पश्चिम बंगाल में TMC विधायक और गुंडों ने जबरदस्ती वैक्सीन लगवा ली। सीएम ममता बयान दे रही हैं कि पीएम ने ही कम वैक्सीन भेजी है। शर्म करो ममता जी!”
First, TMC leaders tried to stop vaccine loaded vehicles to reach their destination.
— Dr. Sukanta Majumdar (@DrSukantaMajum1) January 17, 2021
Now, MLAs and TMC leaders are first taking vaccine meant for frontline and healthcare workers in first phase.
Why Mamata Banerjee and her leaders hate healthcare & frontline workers so much? pic.twitter.com/pJuyocMIqb
यहाँ तक कि सभी मुख्यमंत्रियों के साथ टीकाकरण अभियान की तैयारियों की समीक्षा के लिए हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताओं से खास तौर पर अपील की थी कि पहले चरण में जनप्रतिनिधि वैक्सीन लेने से बचें, ताकि स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जा सके। पहले चरण का पूरा खर्च भी केंद्र ही उठा रहा है। दिल्ली में स्वच्छता कर्मचारी मनीष इस टीकाकरण अभियान के पहले लाभार्थी बने।
सबसे अजीब बात तो ये है कि जिस पार्टी के नेता लपक कर सबसे पहले वैक्सीन ले रहे हैं, वो ही इसे रोकने की कोशिश भी कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री और जमीयत उलेमा ए हिंदी का अध्यक्ष सिद्धीकुल्लाह चौधरी ने वैक्सीन को ले रही जा रही ट्रक को ही रोक डाला। उन्होंने ‘किसान आंदोलन’ की आड़ में ऐसा किया। सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों से ट्रक को बचाने के लिए पुलिस को बुलाने की नौकात आन पड़ी।
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की और पहले ही दिन लगभग 2 लाख फ्रंटलाइन वॉरियर्स को वैक्सीन दिए गए। हालाँकि, ये आँकड़े भले ही लक्ष्य से पीछे हों लेकिन संतुष्टिजनक बात ये है कि इनमें से अब तक एक को भी किन्हीं भी कारणों से अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी। पश्चिम बंगाल में दो लोगों की तबियत जरूर खराब हुई, लेकिन अब उनकी स्थिति स्थिर है।