Monday, December 23, 2024
Homeराजनीतिलोकसभा में हाँ, राज्यसभा में ना: नागरिकता संशोधन विधेयक पर शिव सेना का 'पेंडुलम...

लोकसभा में हाँ, राज्यसभा में ना: नागरिकता संशोधन विधेयक पर शिव सेना का ‘पेंडुलम हिंदुत्व’

लोक सभा में भाजपा के प्रचंड बहुमत के चलते भाजपा इसे अकेले भी पास करा सकती थी, अतः वहाँ शिव सेना का विरोध करना- न करना बराबर होता। लेकिन राज्य सभा में बिल जाने से पहले शिवसेना का पलटी मारना बताता है कि...

पेंडुलम एक यंत्र होता है, जिसमें धागे से बंधी गेंद या गोला लगातार दो सिरों के बीच झूलता रहता है। शिव सेना आजकल वही गोला बनी हुई है। बाला साहेब के हिंदुत्व और अपनी नई संगिनी कॉन्ग्रेस के बीच झूलती पार्टी विचारधारा के मुद्दों पर लगातार यूटर्न ले रही है।

ताज़ा यूटर्न पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का मीडिया में घूम रहा वह बयान है, जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक के राज्यसभा में समर्थन के लिए वे ना-नुकुर कर रहे हैं। बकौल समाचार एजेंसी एएनआई, महाराष्ट्र के मुख़्यमंत्री और महा विकास अघाड़ी के सदस्य ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन (राज्यसभा में) तब तक नहीं करेगी, जब तक “चीज़ें स्पष्ट नहीं हो जाएँगी।”

इस बयान पर आपत्तियाँ मुख्यतः दो कारणों से उठ रहीं हैं। पहला तो कॉमन सेंस का है। अगर शिव सेना को बिल के मसौदे से कोई समस्या थी, तो उसने वह दिक्कतें लोक सभा में क्यों नहीं उठाईं? क्यों उसके 18 सांसदों ने उस कॉन्ग्रेस को नाराज करने का जोखिम लेता दिखने की कोशिश की, जो शिव सेना की अघाड़ी सरकार की ऑक्सीजन भी है, और इस बिल के सख्त खिलाफ भी?

आपत्ति का दूसरा कारण राजनीतिक है। जब शिव सेना यह दिखाने की कोशिशों में लगी थी कि उसने एनडीए छोड़ा है, हिंदुत्व नहीं, और इसी के लिए नागरिकता विधेयक के समर्थन का दावा कर रही थी, तो उस समय “चीज़ें स्पष्ट” का सवाल कहाँ चला गया था?

शिव सेना साफ़ तौर पर सत्ता की मलाई तुरंत न छूट जाने और विचारधारा से मिलने वाले वोटों की मलाई लम्बे समय तक चाटने, दोनों के एक साथ जुगाड़ के चक्कर में ही बेहाल है। पहले ANI शिव सेना नेता अरविन्द सावंत के हवाले से विधेयक का समर्थन करने के आशय का बयान प्रकाशित करती है, जिसमें लोकसभा वाला हिंदुत्व और राष्ट्रवाद वाला ही रुख पार्टी द्वारा राज्यसभा में भी बनाए रखने की बात साफ़ तौर पर है।

लगभग उसी समय सावंत के बॉस (उद्धव) के भी ‘बॉस’ राहुल गाँधी विधेयक का समर्थन करने वालों को देशद्रोही करार देने की कोशिश करते हैं।

यह सर्वविदित है कि वैसे ही राहुल गाँधी इस बेमेल गठबंधन के खिलाफ थे, और उनकी माँ और कॉन्ग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के मान जाने के कारण ही यह सम्भव भी हो पाया था। उसी के बाद शिव सेना फिर से गुलाटी मारती है, और उद्धव ठाकरे को “चीज़ें स्पष्ट नहीं” दिखने लगतीं हैं।

कॉन्ग्रेस को आधी रात में शिवसेना का झटका, CAB पर 18 सांसदों ने दिया अमित शाह का साथ

‘इंदिरा ने बांग्लादेशियों को नागरिकता दी तो Pak प्रताड़ितों को क्यों नहीं?’ – 311 Vs 80 से पास हुआ बिल

भोला जहाँ 8-70 साल की 200 हिंदू महिलाओं का रेप हुआ, अमित शाह को क्यूँ याद आई वह बर्बरता

नागरिकता विधेयक पर वामपंथी फैला रहे प्रपंच, ये रहे आपके कुछ सवालों के जवाब

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -