उत्तराखंड के हालिया विधानसभा चुनावों में बीजेपी सत्ता बचाने में सफल रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट से हार गए थे। इस पद पर बने रहने के लिए छह महीने के भीतर उनका सदन में चुनकर आना जरूरी है। इस बीच कॉन्ग्रेस के एक विधायक ने उनके लिए अपनी सीट खाली करने का प्रस्ताव दिया है।
उत्तराखंड के धारचूला से अंसतुष्ट कॉन्ग्रेस विधायक हरीश सिंह धामी ने कहा कि अगर जनता कहेगी तो वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ सकते हैं। कॉन्ग्रेस पर उन्होंने अनदेखी का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद हरीश धामी ने बगावती तेवर अख्तियार किए हैं। वे पूर्व सीएम और कॉन्ग्रेस नेता हरीश रावत के करीबी माने जाते हैं।
पार्टी पर वफादार नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने और नए लोगों को तरजीह देने का आरोप लगाते हुए दो बार के कॉन्ग्रेस विधायक धामी ने कहा, “मैं आहत हूँ। मैंने राज्य के विकास के लिए 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत जी के लिए अपनी सीट खाली कर दी थी। अगर मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोग मुझे अनुमति देते हैं, तो मैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली कर दूँगा।”
दरअसल हरीश धामी की मुख्य शिकायत यह है कि पार्टी के आला अधिकारियों ने चुनाव के दौरान जमीन पर ईमानदार कार्यकर्ताओं की अनदेखी की और चुनाव के बाद पार्टी में सुधार के दौरान योग्यता की उपेक्षा की। उन्होंने कॉन्ग्रेस नेतृत्व, विशेष रूप से उत्तराखंड के पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव को चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने साफ कहा कि देवेंद्र यादव की वजह से कॉन्ग्रेस चुनाव हारी। आलाकमान को चाहिए था कि जब प्रदेश अध्यक्ष पद से गणेश गोदियाल को हटाया गया तो उससे पहले प्रदेश प्रभारी को हटाया जाता। लेकिन प्रदेश प्रभारी को नहीं हटाया गया। अब जब प्रदेश अध्यक्ष सहित नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के उपनेता की घोषणा हो चुकी है तो हरीश धामी अपनी उपेक्षा से काफी नाराज हैं।
उन्होंने कहा, “पार्टी आलाकमान, विशेषकर यादव की भूमिका पूरे समय आपत्तिजनक रही है। अगर उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए संसाधनों को जमीनी स्तर के उन कार्यकर्ताओं पर लगाया जाता, जिन्होंने पार्टी के लिए अपना पसीना और खून बहाया होता, तो परिणाम कुछ और होता।” इसके साथ ही उन्होंने पार्टी छोड़ने की तरफ भी इशारा किया। धामी ने करीब 10 विधायकों के कॉन्ग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की अटकलों से इनकार नहीं किया और कहा, “एक पार्टी जो अपने मेहनती और ईमानदार कार्यकर्ताओं का सम्मान करना नहीं जानती, वह छोड़ने लायक है। हमें उत्तराखंड के लोगों ने उनकी सेवा के लिए चुना है और हम ऐसा करेंगे।” उन्होंने अलग पार्टी बनाने की भी बात कही।
इधर नवनियुक्त प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष करण महरा ने असंतुष्ट गुटों को चेतावनी देते हुए कहा, “इन विधायकों ने कॉन्ग्रेस पार्टी के निशान पर जीत हासिल की है। उन्हें इसे ध्यान में रखना चाहिए और लोगों के जनादेश का सम्मान करना चाहिए।” पिछले दिनों राज्य में हरीश गुट के यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। प्रीतम सिंह भी नेता प्रतिपक्ष की रेस में थे, लेकिन कॉन्ग्रेस के इस फैसले के बाद उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की थी। जिसके बाद राज्य में कॉन्ग्रेस के भीतर सियासी हलचल तेज हो गई है।
बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से हार गए थे। इसके बाद बीजेपी के छह विधायकों ने सीएम के लिए अपनी सीट खाली करने की पेशकश की है। हालाँकि पार्टी ने इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है।