Thursday, April 25, 2024
Homeराजनीतिदिल्ली बॉर्डर से लौट रहे किसान, नहीं मिल रहा समर्थन: 'बदली हुई रणनीति' की...

दिल्ली बॉर्डर से लौट रहे किसान, नहीं मिल रहा समर्थन: ‘बदली हुई रणनीति’ की दुहाई दे रहे किसान नेता

गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा कम होता जा रहा है। लेकिन किसान नेता और वामपंथी मीडिया इसे देश भर में आंदोलन को फैलाने की रणनीति बता कर...

दिल्ली की सीमा से अब किसानों का जमावड़ा कम होने लगा है और भीड़ भी नहीं है, जिसे कई किसान नेता ‘बदली हुई रणनीति’ का हवाला देकर बचाव कर रहे हैं। किसानों का लौटना तो गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद से ही शुरू हो गया था लेकिन राकेश टिकैत के रोने के बाद नया ड्रामा शुरू कर के महापंचायत बुला ली गई थी। वहीं अब फिर से किसानों के लौटने के बाद अलग-अलग बातें की जा रही हैं।

दिल्ली की सीमा पर इस आंदोलन के 3 महीने होने वाले हैं। अब गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा कम होता जा रहा है और प्रदर्शन में वो उत्साह भी नहीं रहा। पिछले कुछ दिनों में जितने किसानों को यहाँ देखा जा सकता था, अब उसके आधे प्रदर्शनकारी भी मौजूद नहीं हैं। किसान नेता और वामपंथी मीडिया पोर्टल इसे देश भर में आंदोलन को फैलाने की रणनीति बताते नहीं थक रहे। वो कह रहे कि लड़ाई लंबी चलेगी।

नई रणनीति के तहत देश के सभी राज्यों में बड़ी-बड़ी रैलियाँ आयोजित कर के आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने की कवायद शुरू होने वाली है। किसान नेता राकेश टिकैत ने देश भर में महापंचायतों का आयोजन करने की योजना बनाई है, जिसके तहत अलग-अलग इलाकों को टारगेट किया जाएगा। अगले 10 दिनों में वो हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में कई सभाओं को संबोधित करेंगे। सरकार अभी भी बातचीत के प्रस्ताव पर कायम है।

किसानों की भीड़ कम होने पर रणनीति की दुहाई दे रहे किसान नेता (वीडियो साभार: लाइव हिंदुस्तान)

गाजीपुर प्रोटेस्ट कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा, “शुरू में आंदोलन सीमाओं पर केंद्रित था। लेकिन, किसान नेता भी अब रणनीति बदलने जा रहे हैं, ताकि यह आंदोलन गाँव-गाँव में हर घर तक पहुँचे। हम अलग-अलग जगहों पर महापंचायतें आयोजित करने वाले हैं।” एक किसान नेता ने कहा कि यहाँ 10 लाख प्रदर्शनकारी भी आ जाएँ तो सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेगी, इसीलिए देश भर में प्रदर्शन हो।

सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि महापंचायत के लिए उत्तर प्रदेश को ही फोकस में रखा जा रहा है, जहाँ इस साल पंचायत चुनाव और अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कई जगहों पर भी छोटे-मोटे आयोजन की योजना बनाई जा रही है। ‘किसान आंदोलन’ दिल्ली के आस-पास के इलाकों तक सीमित रहा और अन्य राज्यों से समर्थन नहीं मिला, इसीलिए नेता नाराज हैं। अब देखना ये है कि ये ‘बदली हुई रणनीति’ कैसे काम आती है।

उधर दिल्ली पुलिस अब ग्रेटा टूलकिट तह तक पहुँच रही है। लेकिन, इसके आरोपितों के पक्ष में वामपंथी गोलबंद होने लगे हैं और समर्थन में उतर आए हैं। जहाँ ‘द प्रिंट’ ने दिशा रवि की महिमा के गुण गाए हैं, वहीं कविता कृष्णन सरीखे पीटर फ्रेडरिक के बचाव में उतर आए। उन्होंने दावा किया कि पीटर अमेरिका और दुनिया को RSS की ‘तानाशाही नीतियों’ के बारे में बताता है। कई अन्य वामपंथी इन दोनों के समर्थन में बयान दे रहे हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मार्क्सवादी सोच पर नहीं करेंगे काम: संपत्ति के बँटवारे पर बोला सुप्रीम कोर्ट, कहा- निजी प्रॉपर्टी नहीं ले सकते

संपत्ति के बँटवारे केस सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा है कि वो मार्क्सवादी विचार का पालन नहीं करेंगे, जो कहता है कि सब संपत्ति राज्य की है।

मोहम्मद जुबैर को ‘जेहादी’ कहने वाले व्यक्ति को दिल्ली पुलिस ने दी क्लीनचिट, कोर्ट को बताया- पूछताछ में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला

मोहम्मद जुबैर को 'जेहादी' कहने वाले जगदीश कुमार को दिल्ली पुलिस ने क्लीनचिट देते हुए कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe