Thursday, September 12, 2024
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24 घंटे में ही सर्वे-सुनवाई सब कर के दे दिया मुस्लिमों में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में खुलासा, पश्चिम बंगाल की OBC लिस्ट में 65% इस्लामी जातियाँ

खोट्टा मुस्लिम जाति ने 13 नवम्बर, 2009 को OBC आरक्षण माँगा था। पिछड़ा आयोग ने 24 घंटे के भीतर ही OBC आरक्षण देने की सिफारिश कर दी। इसी तरह मुस्लिम जमादार समुदाय ने 21 अप्रैल, 2010 को OBC आरक्षण माँगा और उसे इसी दिन आरक्षण मिल गया।

पश्चिम बंगाल सरकार ने आवेदन के 24 घंटे के भीतर ही कई मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण दे दिया। आरक्षण देने के लिए की जाने वाली तीन चरण की जाँच भी इसी एक दिन में पूरी हो गई। कुछ मामलों में कोई मुस्लिम जाति आरक्षण माँगे, इससे पहले ही उस जाति का ब्योरा तैयार कर लिया गया।

यह खुलासा पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक हलफनामे में किया है। बंगाल सरकार ने दावा किया है कि उसने 77 जातियों को आरक्षण देने में कोई गड़बड़ी नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस मामले में सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल से आरक्षण से सम्बन्धित जानकारी को कोर्ट के सामने रखने को कहा था।

पश्चिम बंगाल 24 घंटे में मुस्लिम पा गए आरक्षण

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के पिछड़ा आयोग ने ऐसे ही एक मामले में खोट्टा मुस्लिम समुदाय को एक ही दिन में आरक्षण देने की सिफारिश कर दी। इस खोट्टा मुस्लिम जाति ने 13 नवम्बर, 2009 को OBC आरक्षण माँगा था। पिछड़ा आयोग ने 24 घंटे के भीतर ही OBC आरक्षण देने की सिफारिश कर दी। नियमानुसार, जब कोई जाति आरक्षण के लिए आवेदन देती है, तो इस संबंध में दो सर्वे और एक बार पिछड़ा आयोग सुनवाई करता है। परन्तु इस मामले में यह सब कार्रवाई 24 घंटे के भीतर पूरी हो गई।

इसी तरह मुस्लिम जमादार समुदाय ने 21 अप्रैल, 2010 को OBC आरक्षण माँगा और उसे इसी दिन आरक्षण मिल गया। इस संबंध में तीन चरणों की प्रक्रिया 24 घंटे की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। इसके अलावा मुस्लिमों की जाति गाएन और भाटिया को भी एक दिन के भीतर ही OBC आरक्षण में जोड़ दिया। चुटोर मिस्त्री मुस्लिम समुदाय के लिए पिछड़ा आयोग ने मात्र 4 दिन लिए वहीं 10 से अधिक मुस्लिम जातियों को यही लाभ देने के लिए एक महीना से कम का समय लिया।

प्रक्रिया के उल्लंघन के हैं आरोप

24 घंटे के भीतर आरक्षण देने की इस कदम पर इसलिए प्रश्न उठे हैं क्योंकि यह काफी लम्बी प्रक्रिया होती है। नियमानुसार, जब कोई जाति आरक्षण के लिए आवेदन देती है तो उसे अपनी आबादी, अपनी आबादी वाले क्षेत्र, और अपनी जाति के इतिहास समेत सामाजिक-आर्थिक स्थिति के संबंध में प्रमाण देने पड़ते हैं। इसके बाद पिछड़ा आयोग अपने सदस्यों या फिर राज्य के संस्कृति संस्थान के जरिए इनका एक सर्वे करता है। इसके अलावा एक सर्वे एंथ्रोपोलॉजिस्ट के जरिए भी होता है।

यह दोनों सर्वे पूरे होने के बाद पिछड़ा आयोग इस संबंध में सुनवाई करता है। यदि किसी जाति को आरक्षण दिए जाने के विरोध में कोई दावा प्रस्तुत किया जाता है तो उस पर भी सुनवाई होती है। इसके लिए पहले सार्वजनिक जानकारी भी दी जाती है। इस सर्वे में आरक्षण सम्बन्धी दावे का परीक्षण होता है। इसके बाद यदि आयोग को लगता है कि आवेदक जाति सही में आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़ी है और इसके प्रमाण हैं तो उसे आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की जाती है।

हालाँकि कई मुस्लिम जातियों के आरक्षण के आवेदन करने के 24 घंटे के भीतर यह तीनों चरण पिछड़ा आयोग ने पूरे कर लिए और उन्हें आरक्षण देने की सिफारिश की। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में दावा किया कि इन तीन चरणों की प्रक्रिया का पालन भी किया गया भले ही आरक्षण 24 घंटे के भीतर ही क्यों ना मिला हो।

मुस्लिम माँगे आरक्षण, उससे पहले ही कर लिया सर्वे

24 घंटे और 4 दिनों के आरक्षण के अलावा कुछ मामलों में मुस्लिम जातियों के आवेदन देने से पहले ही प्रक्रिया पूरी कर ली गई। पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की काजी, कोटल, हजारी, लायेक और खस का सर्वे जून, 2015 में ही पूरा हो गया। इन जातियों ने आरक्षण के लिए आवेदन इसके 1-2 वर्ष के बाद दिया। ऐसे में जब उन्होंने आरक्षण माँगा तो ज्यादा समय नहीं लगा। इन मामलों में भी बंगाल सरकार तीन चरण प्रक्रिया पूरे किए जाने का दावा कोर्ट के सामने किया है।

हाई कोर्ट ने रद्द किया था 77 जातियों का आरक्षण

कलकत्ता हाई कोर्ट ने मई, 2024 में पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी हुए 77 जातियों के OBC प्रमाण पत्र रद्द कर दिए थे। इनमें से 75 जातियाँ मुस्लिम थीं। हाई कोर्ट ने यह आरक्षण देने में प्रक्रिया का पालन ना किए जाने की बात कही थी। इन 77 जातियों को OBC आरक्षण दिए जाने पर रोक के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच कर रही है। ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट का फैसला पलटने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 5 अगस्त, 2024 को ममता सरकार से इन जातियों को आरक्षण दिए जाने के आधार को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा था। इसी के बाद यह हलफनामा दायर हुए जिसमे 24 घंटे में आरक्षण देने की बात सामने आई।

पश्चिम बंगाल के OBC सूची में हिन्दू से अधिक मुस्लिम जातियाँ

पश्चिम बंगाल के पिछड़ा विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी दिखाती है कि 1994 में पहली बार वामपंथी सरकार ने किसी मुस्लिम जाति को OBC में शामिल करके आरक्षण दिया था। दिसम्बर 1994 में मुस्लिमों की जोलाह (अंसारी-मोमिन) जाति को OBC में शामिल किया गया था। 1995 तक राज्य में कुल 26 जातियों को OBC आरक्षण का लाभ मिलता था।

धीमे धीमे OBC आरक्षण में हिन्दुओं का हिस्सा घटने लगा। वामपंथी सरकार ने 1996 में 1 और मुस्लिम जाति फ़कीर/सेन को OBC आरक्षण दे दिया। इसके बाद 1997 में 4, 1999 में 2 और मुस्लिम जातियों को OBC का दर्जा दे दिया गया। इसके बाद यह सिलसिला तेजी से चालू हो गया। 2002 में 2 और 2009 में 2 और मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया गया।

2010 में वामपंथी सरकार ने 41 मुस्लिम जातियों को OBC में शामिल कर दिया। जहाँ 1994 में 26 में से 1 OBC जाति मुस्लिम थी, वहीं 2010 आते-आते कुल 108 OBC जातियों में से 53 मुस्लिम हो गईं। 2010 के बाद वामपंथी सरकार पश्चिम बंगाल की सत्ता से बेदखल हो गई और ममता बनर्जी की तृणमूल कॉन्ग्रेस की राज्य में सत्ता बनी।

मुस्लिमों को OBC में शामिल किए जाने के रवैये में फिर भी कोई बदलाव नहीं आया। ममता सरकार ने भी यही नीति जारी रखी। ममता सरकार ने 2011 से लेकर 2013 तक 33 और मुस्लिम जातियों को OBC में शामिल कर दिया। इसके बाद राज्य की OBC सूची में शामिल कुल जातियों की संख्या 143 हो गई, इनमें से 86 मुस्लिम थीं।

यह सिलसिला इसके बाद भी जारी रहा। 2014 से लेकर 2022 तक ममता सरकार ने 36 और जातियों को OBC में शामिल किया। इनमें से 32 मुस्लिम जातियाँ थी। वर्तमान में पश्चिम बंगाल में 179 जातियों को OBC आरक्षण मिलता है, इनमें से 117 जातियाँ मुस्लिम हैं।

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