Sunday, December 22, 2024
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CAA विरोध के नाम पर अब बंगाल को जलाएगा PFI, ममता के सांसद अबू ताहिर भी होंगे साथ!

सीएए के विरोध में बंगाल में समुदाय विशेष के लोगों द्वारा हिंसा, आगजनी, ट्रेनों पर हमले की कई घटनाएँ सामने आ चुकी है। ऐसे में पीएफआई की सक्रियता चिंताजनक है, क्योंकि कई राज्यों में इस्लामिक कट्टरता को बढ़ावा देने और गैर कानूनी गतिविधियों में इस कट्टरपंथी समूह की संलिप्तता सामने आई है।

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की संलिप्तता सामने आई है। इस कट्टरपंथी संगठन के अब तक 25 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। राज्य के डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को भेजा है। यूपी में कसते शिकंजे के बाद अब इस कट्टरपंथी संगठन की नजर पश्चिम बंगाल पर है।

PFI के सदस्य हसीबुल इस्लाम ने 5 जनवरी को बंगाल के मुर्शिदाबाद में CAA के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान किया है। उसका दावा है कि सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के स्थानीय सांसद अबू ताहिर खान भी प्रदर्शन में शामिल होंगे।

हालाँकि, हसीबुल इस्लाम के इस दावे को अबू ताहिर खान ने खारिज किया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मुझे ऐसे किसी भी प्रदर्शन की जानकारी नहीं है। अगर उन्होंने मेरा नाम अपने पोस्टर पर लिख दिया है, तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।”

वैसे, महत्वपूर्ण सवाल यह नहीं है कि पीएफआई के प्रदर्शन में सत्ताधारी टीएमसी के सांसद शामिल होंगे या नहीं। हम सब जानते हैं कि किस तरह ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार अपनी राजनीतिक विरोधी भाजपा को राज्य में कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत देने से आनकानी करती रहती है। ऐसे में पीएफआई जैसे कट्टरपंथी समूह को प्रदर्शन की इजाजत किसने दी? यदि इजाजत नहीं दी गई है तो इसका सार्वजनिक तौर पर ऐलान करने के लिए इस समूह के लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह सवाल इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि सीएए के विरोध में बंगाल में समुदाय विशेष के लोगों द्वारा हिंसा, आगजनी, ट्रेनों पर हमले की कई घटनाएँ सामने आ चुकी है।

गौरतलब है कि पीएफआई खुद को गैर सरकारी संगठन बताता है। लेकिन सिमी का छोटा रूप कहे जाने वाले इस संगठन पर कई गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। गृह मंत्रालय का तो ये भी कहना है कि इस संगठन के लोगों के संबंध जिहादी आतंकियों से हैं। साथ ही इन पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप है।

इसके अलावा बता दें कि यूपी में हुई हिंसा को लेकर भी कहा जा रहा है कि जाँच के दौरान पीएफआई से लिंक मिलने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि संगठन से जुड़े आरोपितों के यहाँ से आपत्तिजनक सामग्रियाँ, साहित्य, सीडी आदि मिले थे। इसको आधार बनाकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बैन करने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार ने भेज दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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