केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के संबंध में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि CAA को लागू करने में हमारी सरकार की तरफ से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि जैसे ही हमारी सरकार बनी, हमने 2016 में इसे संसद में रखा और संयुक्त संसदीय समिति में ये गई। 7 जनवरी, 2019 को इसकी रिपोर्ट आई और अगले ही दिन लोकसभा में इसे पारित कर दिया गया। लेकिन, राज्यसभा में NDA का बहुमत न होने के कारण इसे पारित नहीं कराया जा सका।
अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने याद किया कि 2019 में लोकसभा चुनाव होने के साथ ही ये अधिनियम रद्द हो गया क्योंकि इसे फिर से दोनों सदनों में पारित कराए जाने की ज़रूरत थी। 2019 में सरकार बनने के साथ ही 9 दिसंबर को इसे लोकसभा में रखा गया और अगले ही दिन ये लोकसभा में पास हो गया। 11 दिसंबर को इसे राज्यसभा में पास करा दिया गया और 12 को ये कानून बन गया। 10 जनवरी, 2020 को देश में CAA को लागू कर दिया गया। याद हो कि CAA के खिलाफ जम कर आंदोलन किया गया था और शाहीन बाग़ में मुस्लिम महिलाओं ने लंबा धरना दिया था।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने कहा, “लागू होने के बाद कानून के नियम-कायदे बनाए जाते हैं। उसके बाद ही कानून पूरी तरह लागू होता है। इसके नियम-कायदे बनाने के लिए दिए गए हैं। जो लोकसभा की विधान बनाने की समिति है उसने 9 जनवरी, 2024 और राज्यसभा की विधान बनाने की समिति ने 30 मार्च, 2024 की तारीख़ दी है। उस समय तक ये बन जाएगा। कानून जब संसद से पास होकर अधिनियमित हो गया है, उसे लागू होना ही होना है।”
#WATCH | On Citizenship (Amendment) Act (CAA), Union Minister of State (MoS) for Home Affairs Ajay Mishra Teni says, "This bill was passed in Lok Sabha on Dec 9, 2019. In Rajya Sabha, it was passed on Dec 11, 2019. On December 12 it was made an Act. On January 10, 2020, the Act… pic.twitter.com/SHZZO0C00S
— ANI (@ANI) November 27, 2023
इस दौरान उन्होंने याद किया कि कैसे भाजपा विरोधी तत्वों ने सुप्रीम कोर्ट में भी CAA को असंवैधानिक बता कर इसे चुनौती दी हुई है। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2023 में इसकी सुनवाई की तारीख़ मुक़र्रर की गई है। बता दें कि अब तक 8 बार CAA के फाइनल ड्राफ्ट को पूरा किए जाने की अवधि आगे बढ़ाई जा चुकी है। पिछली बार अगस्त 2023 में इसे आगे बढ़ाया गया था। इसी तरह जनवरी 2023 में 7वीं बार इसे बढ़ाया गया था। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत की नागरकता मिलनी है।