Thursday, April 25, 2024
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राजनीति से ग्रसित हो कॉन्ग्रेस ने करवाया था झूठा मुकदमा: बाबरी पर फैसले के बाद CM योगी का तीखा वार

"तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों, भाजपा नेताओं, विहिप पदाधिकारियों, समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फँसाकर बदनाम किया गया। इस षड्यंत्र के लिए इन्हें जनता से माफी माँगनी चाहिए।"

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज (सितंबर 30, 2020) बाबरी ध्वंस मामले पर फैसला आने के बाद जहाँ निर्णय का स्वागत किया वहीं तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार पर तीखा वार भी किया। उन्होंने सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय को सुनने के बाद कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों, भाजपा नेताओं, विहिप पदाधिकारियों, समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फँसाकर बदनाम किया गया। इस षड्यंत्र के लिए इन्हें जनता से माफी माँगनी चाहिए।”

उनके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा, “लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री कल्याण सिंह, डा मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का मैं स्वागत करता हूँ। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।”

इसी तरह शिवराज सिंह चौहान ने भी इस निर्णय को सत्य की जीत बताया। उन्होंने कहा, “तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जो हमारे संत, महात्मा, वरिष्ठ नेताओं पर झूठे आरोप लगाए थे, वो निर्मूल सिद्ध हुए हैं। विशेष अदालत के फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं!”

गौरतलब है कि इस पूरे मामले में 28 साल पहले मुकदमा दर्ज हुआ था। दिसंबर 6, 1992 को बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले में फ़ैजाबाद पुलिस स्टेशन में दो अलग-अलग केस दर्ज किए थे। शाम के 5:15 बजे SHO प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी।

इसमें डकैती, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालना, किसी धर्म के अपमान के उद्देश्य से धार्मिक स्थल को नुकसान पहुँचाना और दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का मामला दर्ज किया गया था। इसके 10 मिनट बाद सब-इंस्पेक्टर गंगा कुमार तिवारी ने दूसरी एफआईआर दर्ज की थी।

इस मामले में कुल 49 अभियुक्त थे लेकिन उनमें से 17 की पहले ही मौत हो चुकी है। आरोपितों पर आपराधिक साजिश रचने से लेकर आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज हुए थे। ये मामला 28 वर्षों तक चला, जिनमें 351 गवाहों को पेश किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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