छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने राज्य के लोगों को दी जाने वाली मीसा पेंशन पर रोक लगा दी है, जिसे फरवरी माह से पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाएगा। इस पेंशन योजना को कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा बंद करते ही बीजेपी ने सीएम पर निशाना साधा है और कहा है कि वह राज्य सरकार के फैसले के ख़िलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेस सरकार बने अभी कुछ ही वक्त हुआ है, लेकिन सीएम भूपेश बघेल ने सत्ता में आते ही 2008 से लागू मीसा पेंशन स्कीम को बँद करने का फैसला किया है। सरकार ने फैसले के पीछे पेंशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की बात कही है। बल्कि बीजेपी का आरोप है कि सरकार ने इस सम्मान निधि को हमेशा के लिए बंद कर दिया है। वहीं राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सीएम को चेतावनी दी है कि वह राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएँगे।
Chhattisgarh Chief Minister & Congress leader Bhupesh Baghel on reports that BJP will go to Supreme Court against State govt’s decision on MISA scheme: Are they (people jailed under MISA) freedom fighters that pension should be given to them? https://t.co/7cDstCbtzZ pic.twitter.com/7hsfuZbi9w
— ANI (@ANI) January 24, 2020
बीजेपी की चेतावनी पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि मीसा बंदी स्वतंत्रता सेनानी नहीं हैं, तो ऐसे में उन्हें पेंशन क्यों दी जाए। बताया जा रहा है कि इसके बाद राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने गुरुवार को ही अधिसूचना जारी कर लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 को रद्द कर दिया। हालाँकि, इस आदेश को अगले माह, यानी फरवरी से, प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
Chhattisgarh Government has scrapped monthly pension scheme to people jailed under Maintenance of Internal Security Act (MISA) during 1975-77 emergency period. The scheme ‘Loknayak Jaiprakash Narayan Samman Nidhi’ has been repealed.
— ANI (@ANI) January 24, 2020
इसके बाद बीजेपी ने बघेल सरकार को अपने निशाने पर ले लिया। विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने सीएम भूपेश बघेल को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय अनुचित है। कौशिक ने आगे कहा कि राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार हमेशा की तरह जनविरोधी फैसला ले रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कॉन्ग्रेस ने मौलिक अधिकारों का निलंबन करते हुए पूरे देश में आपातकाल लगा दिया था। इसके विरोध में जब देश में आवाज बुलंद होने लगी तो लाखों प्रदर्शनकारियों को जेल भेज दिया गया था। लम्बे अंतराल तक जेल में रहने के बाद और कॉन्ग्रेस के आम चुनावों में पराजय के बाद मीसा बंदियों की रिहाई हो सकी थी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने मीसा बंदियों के लिए सम्मान निधि शुरू की थी जिसे अब वर्तमान की कॉन्ग्रेस सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है यह अनुचित है और यह लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी की रमन सिंह सरकार ने वर्ष 2008 में मीसा पेंशन की शुरूआत की थी। इसके तहत राज्य में करीब तीन सौ से अधिक मीसाबंदियों को सम्मान निधि दी जा रही थी, जिसके तहत हर एक पेंशन धारक को 15 से 25 हजार रुपये प्रति माह की राशि दी जाती थी।