Saturday, November 16, 2024
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गुजरात हिंसा के नाम पर चंदा बटोर खुद खा गई: पूर्व सहयोगी ने ही तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर किया खुलासा, गिरफ़्तारी के खिलाफ कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन

रईस खान का कहना है कि चंदे में हेरफेर को लेकर उन्होंने तीस्ता के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन तीस्ता के राजनीतिक रसूख बहुत अधिक थे और पुलिस में भी उनकी बहुत ऊँची पहुँच थी। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। हालाँकि, गुजरात मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद तीस्ता को गिरफ्तार कर लिया गया।

साबरमती एक्सप्रेस में सवार कारसेवकों को गुजरात में जिंदा जलाकर मारने के बाद उपजे क्रोध के कारण गुजरात में हुई हिंसा को अपने स्वार्थ में भुनाने वाली कथित समाजिक कार्यकर्ता तीस्ता जावेद सीतलवाड़ की कहानी परत दर परत खुलती जा रही है। अब तीस्ता से एक करीबी ने कहा है कि उन्होंने हिंसा पीड़ितों के साथ धोखा किया है। वहीं, तीस्ता की गिरफ्तारी पर कॉन्ग्रेस ने सोमवार (27 मई 2022) को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।

कभी सीतलवाड़ के करीबी रहे रईस खान कहा है कि तीस्ता की गिरफ्तारी उसी समय हो जानी चाहिए थी, जब उन्होंने उनकी धोखेबाजी की शिकायत की थी। खान ने कहा कि तीस्ता जैसे लोग पीड़ितों के नाम पर पैसा बटोरती हैं और खुद खा जाती हैं। ऐसे लोगों को माफ नहीं किया जाना चाहिए।

रईस खान ने कहा कि हिंसा पीड़ितों के नाम पर तीस्ता ने देश और विदेश से करोड़ों रुपए चंदा इकट्ठा किया और इसका एक प्रतिशत पर पीड़ितों को नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इसी बात को लेकर तीस्ता के साथ साल 2008 में उनका झगड़ा हो गया था और वे उनसे अलग हो गए थे।

रईस खान ने बताया कि 1992 में मुंबई दंगों के दौरान तीस्ता न्यूज पेपर में रिपोर्ट में थीं। उसी दौरान वह उनसे मिले थे। इसके बाद तीस्ता ने इस्तीफा देकर कॉम्बैक्ट न्याय मंच नाम से एक NGO बनाया। इसमें उन्होंने तीस्ता की मदद की थी। दंगों के बाद दोनों का संपर्क खत्म हो गया।

रईस खान ने आजतक को बताया कि साल 2002 के गुजरात हिंसा के दौरान तीस्ता ने उनसे संपर्क किया और हिंसा पीड़ितों की मदद के नाम पर मदद माँगी। रईस के अनुसार, उन्होंने तीस्ता को नरोदा पाटिया, सरदारपुर आदि कई गाँवों के हिंसा पीड़ितों से उन्हें मिलवाया।

बकौल रईस, तीस्ता ने पीड़ितों के नाम पर चंदा इकट्ठा किया और उनके नाम पर एफिडेविट बनाकर SIT और नानावटी कमीशन के सामने पेश किया। रईस का दावा है कि इस एफिडेविट में क्या लिखा था, यह पीड़ितों को भी नहीं मालूम था। जब एफिडेविट और बयान में विरोधाभास सामने आया, तब जाकर खुलासा हुआ।

रईस के अनुसार, जब पीड़ितों को फंड देने की बात कही तो तीस्ता ने कहा, “मैंने कहा आप जिनके नाम पर फंड ला रही हैं, उनको तो दे दीजिए। तब तीस्ता ने कहा कि बडी मुश्किल से मुझे फंड मिलता है और उसमें से भी 50 प्रतिशत फंड दिलाने वाले एजेंट ले लेते हैं। ऐसे में जो बचता है, उसमें कहाँ से मैं दूँगी, मेरे भी तो खर्चे हैं।”

रईस खान का कहना है कि चंदे में हेरफेर को लेकर उन्होंने तीस्ता के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन तीस्ता के राजनीतिक रसूख बहुत अधिक थे और पुलिस में भी उनकी बहुत ऊँची पहुँच थी। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। हालाँकि, गुजरात मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद तीस्ता को गिरफ्तार कर लिया गया।

इधर तीस्ता की जालसाजी और धोखाधड़ी को नजरअंदाज कर 300 से अधिक कथित बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने दूसरे एक्टिविस्टों की आवाज को दबाने के लिए इसे गुजरात ATS की सुनियोजित साजिश बताया।

इस प्रदर्शन में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और अजय माकन ने भी भाग लिया। इसमें शबनम हाशमी जैसी विवादित कार्यकर्ता और AISA के अध्यक्ष एन साई बालाजी भी शामिल हुए। इन लोगों ने गिरफ्तारी को साजिश बताते हुए तीस्ता, पूर्व IPS आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट को रिहा करने की माँग की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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