‘TRP स्कैम’ मामले में कल (अक्टूबर 9, 2020) एक बेहद दिलचस्प मोड़ आया, जब मुंबई पुलिस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फर्जी टीआरपी का इल्जाम रिपब्लिक टीवी पर लगाया और FIR में नाम इंडिया टुडे का निकल आया। इसके बाद रिपब्लिक टीवी के पत्रकार व एक मुख्य गवाह के बीच बातचीत में भी यह खुलासा हुआ कि उस गवाह के बेटे को इंडिया टुडे देखने को कहा गया था ताकि अवैध रूप से इंडिया टुडे की TRP बढ़ सके।
इंडिया टुडे ने इस बीच खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए मुंबई पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के आधार पर रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी पर खूब वार किया। हालाँकि ये बात और थी कि वह खुद का बेवकूफ ही बनाते रहे। उन्होंने उन गवाहों के बयानों को झूठा कहा और तोड़-मरोड़ कर पेश किया, जिन्होंने यह खुलासा किया था कि इंडिया टुडे ने खुद को सही साबित करने के लिए सारा ठीकरा रिपब्लिक टीवी पर फोड़ा।
अब, हमारे सूत्रों ने हमें जानकारी दी है कि इंडिया टुडे को 5 लाख रुपए का फाइन भरने को कहा गया था, क्योंकि उन्होंने अपनी व्यूअरशिप बढ़ने के पीछे जो स्पष्टीकरण BARC Disciplinary Council (BDC) को सौंपा, वह उन्हें संतोषजनक नहीं लगा।
व्यूअरशिप में नजर आ रही गड़बड़ी (malpractice) के संबंध में टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड और BARC को 27 अप्रैल 2020 को कारण बताओ नोटिस भी भेजा गया था। इसके बाद टीवी टुडे द्वारा दिया गया जवाब BARC डिसिप्लिनरी काउंसिल को संतोषजनक नहीं लगा। बीडीसी ने इंडिया टुडे की प्रतिक्रिया पर कहा, “चुनिंदा भौगोलिक क्षेत्रों (मुंबई और बेंगलुरु) में इंडिया टुडे चैनल की व्यूअरशिप में इतने उछाल के संबंध में दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं है।”
इसके अलावा, BARC डिसिप्लिनरी काउंसिल ने कहा, “BARC Measurement Science Team द्वारा उपलब्ध कराए गए स्टैस्टिकल डेटा (statistical data) से पता चलता है कि व्यूअरशिप में असामान्य और सोच से परे वृद्धि हुई है।”
अपने आदेश में बीडीसी ने कहा कि, “सब्सक्राइबर के जवाब ने असामान्य वृद्धि के ऊपर संतोषजनक जवाब नहीं दिया।” बता दें कि यहाँ सब्सक्राइबर का अर्थ इंडिया टुडे से है, जिन्हें BARC Disciplinary Council ने कारण बताओ नोटिस भेजा था।
आगे आदेश में जो कहा गया वह भी बेहद चौंकाने वाला है। उसमें लिखा है:
“उपरोक्त के मद्देनजर, काउंसिल को लगता है कि सब्सक्राइबर ने EULA की धारा 7 में निहित प्रावधनाओं का उल्लंघन किया और व्यूअरशिप में गड़बड़ी की, जिसका जिक्र कारण बताओ नोटिस में है। साथ ही BARC Vigilance team टीम द्वारा जमा की गई रिपोर्ट में भी है। CCRVM की धारा 14 (ए) के तहत, यह सब्सक्राइबर का पहला अपराध है। इसलिए काउंसिल इस बात पर सहमति दे रही है कि वर्तमान मामले में सिर्फ़ सब्सक्राइबर को चेतावनी जारी की जाएगी और उसे 5,00,000 रुपए की पेनाल्टी BARC को भरनी होगी।”
बता दें कि BARC ने अपने एंड यूजर लाइसेंस एग्रीमेंट को चैनलों (सब्सक्राइबर) के साथ बेहद सख्त बना दिया है और अगर व्यूअरशिप को लेकर उन्हें कोई गड़बड़ लगती है तो वह उसके साथ अपने समझौते को भी समाप्त कर लेते हैं।
इस आदेश के मुताबिक, इंडिया टुडे ने EULA की धारा 7 का उल्लंघन किया है और व्यूअरशिप में गड़बड़ी करने का अपराध भी किया है, जिसका जिक्र कारण बताओ नोटिस में है और BARC Vigilence Team द्वारा सबमिट की गई रिपोर्ट में भी है।
हालाँकि, ऐसा अपराध इंडिया टुडे ने पहली बार किया, इसलिए उन्हें बस चेतावनी दी गई हैं और उनका लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा रहा। मगर उन्हें 5 लाख का जुर्माना भरना ही होगा।
खासबात यह है कि यह आदेश 31 जुलाई को जारी किया गया है। मगर इंडिया टुडे ने अभी तक इसका फाइन नहीं भरा है। संभवत: इंडिया टुडे आदेश के ख़िलाफ़ अपील करे, इसलिए इसकी डिटेल्स के बारे में ऑपइंडिया पुष्टि नहीं करता है।
अब इसी संदर्भ में, यह बात विदित है कि इंडिया टुडे अपने ऊपर लगे इस जुर्माने से बेखबर नहीं होगा कि उन्हें खुद BARC को व्यूअरशिप में गड़बड़ी (Malpractice) को लेकर 5 लाख रुपए का जुर्माना भरने को कहा गया है व BARC की डिसिप्लिनरी काउंसिल ने उन्हें टीआरपी स्कैम में दोषी ठहराया है।
सब कुछ जानते हुए कि इंडिया टुडे खुद व्यूअरशिप गड़बड़ी का दोषी है, यह बड़ी अजीब बात है कि इंडिया टुडे ने मुंबई पुलिस के आरोपों के आधार पर अर्नब गोस्वामी पर सारा ठीकरा फोड़ने की कोशिश की। जबकि वास्तविकता में दायर एफआईआर में नाम इंडिया टुडे का नाम है। रिपब्लिक टीवी का उसमें कहीं उल्लेख तक नहीं है।
इन सबको देख कर तो यही लगता है कि रिपब्लिक टीवी से व्यूअरशिप मामले में पिछड़ते हुए और इंडिया टुडे की घटती टीआरपी देखते हुए चैनल के राहुल कंवल, राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार झूठा इल्जाम लगाने में जुटे, वो भी बिना ये एहसास किए कि सोशल मी़डिया के दौरा में उनका झूठ ज्यादा देर नहीं टिक पाएगा।
बता दें कि ऑपइंडिया ने इस पूरे केस में राहुल कंवल से उनकी राय जानने के लिए संपर्क किया था। मगर हमें अभी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। अगर राहुल कंवल सवालों का जवाब हमें देते हैं तो इस खबर को उनके पक्ष के साथ अपडेट किया जाएगा।
(नुपूर जे शर्मा की मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई यह रिपोर्ट यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं)