तालिबान ने अब अपनी कट्टरपंथी छवि को सुधारने के लिए मस्जिदों का सहारा लेने का तरीका अपनाया है। गुरुवार (19 अगस्त 2021) को तालिबान ने आदेश दिया कि शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज से किसी को भागने न दिया जाए और तालिबान के खिलाफ बने नकारात्मक माहौल को इमाम ठीक करने का प्रयास करें।
रविवार (15 अगस्त 2021) को काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद शुक्रवार को तालिबानी शासन में पहली जुमे की नमाज पढ़ी जाएगी। काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के नागरिक किसी न किसी तरह देश छोड़कर जाना चाहते हैं। इस तरह के तमाम घटनाक्रमों के बीच तालिबान ने अपनी छवि को सुधारने का नया तरीका निकाला है और इसके लिए काबुल समेत अन्य प्रांतों की मस्जिदों का उपयोग करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बाकायदा तालिबान ने मस्जिदों के इमामों को आदेश जारी किया है।
गुरुवार को जारी किए गए आदेश में तालिबान ने इमामों से कहा है कि मस्जिदों से जुमे की नमाज के बाद किसी को भी भागने न दिया जाए। साथ ही इमामों को कहा गया है कि वो तालिबान के खिलाफ बनाए जा रहे नकारात्मक माहौल से निपटने की कोशिश करें और लोगों को तालिबान की बेहतर छवि के बारे में समझाएँ। तालिबान ने इमामों से यह उम्मीद की है कि वो लोगों को देश भर में इस्लामी व्यवस्था के फायदे बताएँगे और लोगों को देश छोड़ने की बजाय यहीं रहकर ‘देश के विकास’ में सहायक बनने के लिए प्रेरित करेंगे। तालिबान, मस्जिदों के जरिए दुश्मनों के दुष्प्रचार का जवाब देना चाहता है।
ज्ञात हो कि काबुल में कब्जे के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित हो गया, जिसके बाद से लोग डर कर अपना घर और संपत्ति छोड़कर भाग रहे हैं। हालाँकि, तालिबान ने कहा कि वह देश के लोगों के साथ उदारता से पेश आएगा, लेकिन गुरुवार को ही तालिबान ने कुनार प्रांत के असदाबाद शहर में अफगानी झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलीबारी की। इस गोलीबारी और उसके बाद हुई भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई। असदाबाद के अलावा, जलालाबाद और पक्तिया में भी तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन देखने को मिले हैं।