Saturday, July 27, 2024
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‘बीवी सेक्स से मना नहीं कर सकती’: इस्लाम में वैवाहिक रेप और यौन गुलामी जायज, मौलवी शब्बीर का Video वायरल

“निकाह में महिला की मुख्य जिम्मेदारी अपने पति की यौन जरूरतों को पूरा करना है। इसी वजह से यह (संभोग का जिक्र करते हुए) पति का अधिकार है और वह इसके लिए दावा करता है। महिला इसके लिए मना नहीं कर सकती।”

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कनाडा में एक इस्लामी धर्मगुरु को इस्लाम के संदर्भ में ‘वैवाहिक बलात्कार’ को सही ठहराते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में दिखाई देने वाले मौलवी का नाम शब्बीर अली है। वह कनाडा में इस्लामी विद्वान और इमाम है।

इस विवादित वीडियो का टाइटल ‘The Historical Roots of Female Slavery’ है। हालाँकि यह वीडियो सितंबर 2016 की है, मगर हाल ही में इसे ‘Ex-Muslims of North America’ नाम के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया। वायरल वीडियो में शब्बीर अली ने ‘शादी में महिलाओं की सहमति का अधिकार’, ‘इस्लाम में यौन गुलामी’ और ISIS में मजहबी मान्यताओं का निहितार्थ, जैसे मुद्दों पर लंबी बातचीत की।

ट्विटर पर साझा की गई ऐसी एक क्लिप में, इस्लामिक विद्वान ने ‘नारीवाद’ पर अपने विचार प्रकट किए हैं। इस्लामिक शिक्षाओं का हवाला देते हुए, शब्बीर अली ने कहा, “निकाह में महिला की मुख्य जिम्मेदारी अपने पति की यौन जरूरतों को पूरा करना है। इसी वजह से यह (संभोग का जिक्र करते हुए) पति का अधिकार है और वह इसके लिए दावा करता है। महिला इसके लिए मना नहीं कर सकती।” यह दावा करते हुए उसने इस्लामी निकाह में ‘सहमति’ की अवधारणा को ताक पर रख दिया।

इसके अलावा उसने कुरान के व्याख्याकारों का हवाला देते हुए दावा किया कि इस्लाम के आलोक में ‘वैवाहिक बलात्कार’ को भी उचित ठहराया गया है। शब्बीर अली ने कहा, “कुछ लोगों का कहना है कि आदमी अपनी पत्नी को मजबूर कर सकता है और वह मना नहीं कर सकती, क्योंकि यह उसका ‘अधिकार’ है।” फिर उसने यह दावा करके इसे ‘तुच्छ’ बताने की कोशिश की कि ‘वैवाहिक बलात्कार’ एक ‘आदर्श स्थिति नहीं है’ लेकिन आगे यह भी कहा कि यह महिलाओं का कर्तव्य है कि वह सभी परिस्थितियों में ‘सहयोगी’ बने।

शब्बीर अली ने जोर देते हुए कहा, “जब उसका पति उसे उस विशेष काम के लिए कहता है, तो उसे तैयार होना चाहिए।” उसने कहा कि पैगंबर मुहम्मद ने कहा है कि अल्लाह पुरुषों की हरकतें तब देखता है जब उनका ‘महिलाओं पर अधिकार’ होता है। इतना ही नहीं, अली ने यह भी दावा किया कि ‘महिलाएँ उनके साथ गुलामों की तरह हैं।’

इसी वीडियो के एक अन्य भाग में उसने इस्लामिक दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए कहा, “एक आदमी की एक ही समय में चार बीवियाँ हो सकती हैं। चार बीवियों के अलावा, उसके पास असीमित संख्या में रखैल (concubines) हो सकती हैं, जो मूल रूप से गुलामी वाली महिलाओं को संदर्भित करती हैं।”

उसने आगे कहा, “औरतों को खुद को स्वतंत्र रूप से अपने मालिक को सौंप देना चाहिए। मालिक के पास उसके साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार है।” जब शो होस्ट आयशा खाजा ने अली से ‘सहमति’ की भूमिका के बारे में पूछा, तो इस्लामिक विद्वान ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया।

उसने कहा, “तथ्य यह है कि वह स्वामित्व में है, उसे सहमति का अधिकार या अपने मालिक को रोकने का अधिकार नहीं है।” शब्बीर अली ने जोर देते हुए कहा, “मालिक का उस पर पूरा अधिकार है और उसकी सहमति इस रिश्ते में कोई भी भूमिका नहीं निभाती है।”

वीडियो के अंत में, शब्बीर अली ने कहा कि 21 वीं सदी में कई ‘सम्मानित’ इस्लामी विद्वानों का मानना है कि ‘सेक्स स्लेवरी’ की परंपरा जारी रहनी चाहिए थी और यह एक ‘ईश्वरीय’ अधिकार है। सैद्धांतिक रूप से, यह अभी भी लागू है और वे स्पष्ट शब्दों में ऐसा कहते हैं। अगर आज मुस्लिम और गैर-मुस्लिमों के बीच युद्ध होता है और मुस्लिम गैर-मुस्लिम महिलाओं को पकड़ लेते हैं, तो उन्हें गुलाम बना दिया जाएगा और पुरुषों को उनके साथ यौन संबंध का अधिकार होगा।

आईएसआईएस आतंकियों द्वारा महिला बंदियों को ‘सेक्स स्लेव’ के रूप में लेने के पीछे के कारण स्पष्ट करते हुए उसने कहा, “आईएसआईएस और कोई भी इस तरह का शासन कर सकता है जो वहाँ (इस्लाम में) है। यह नहीं सोचना चाहिए कि वे धार्मिक (इस्लामिक) शासन का पालन कर रहे हैं।” ISIS की कार्रवाई को ‘गलत’ करार देते हुए, उसने कहा कि कुरान के खुलासे ‘ऐतिहासिक संदर्भ’ में सही थे।

हालाँकि कई लोगों के लिए यह मुश्किल हो सकता है कि 21 वीं सदी में ऐसी प्रतिगामी और विचलित करने वाली मानसिकता मौजूद है। यह इंटरव्यू दर्शाता है कि इस तरह के विचार आज भी संप्रदाय विशेष के कई लोगों द्वारा शेयर किए जाते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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