इस बात में कोई शक नहीं है कि तमाम डाटा एजेंसी पब्लिक डोमेन में मौजूद ज़रूरी लोगों की जानकारी इकट्ठा करती हैं। लेकिन चिंता की बात तब होती है जब वह डार्क वेब या हैकिंग की मदद से ऐसा कुछ करती हैं। चीन की डाटा फर्म ज्हेनहुआ (zhenhua) से जुड़ी कुछ ऐसी ही घटना सामने आई है। हाल ही में क्रिस्टोफर बल्डिंग और रोबर्ट पेटर एल द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ के अनुसार चीन पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी इकट्ठा कर रहा है और वह भी अनैतिक तरीकों से।
चीन अपने देश के घरेलू डोमेन में मौजूद निजी जानकारी इकट्ठा करने की बात स्वीकार करता है। लेकिन इस दस्तावेज़ के मुताबिक़ चीन पूरी दुनिया के लगभग 24 लाख लोगों की निजी जानकारी इकट्ठा करता है और उनकी निगरानी भी करता है। चीनी कंपनी चाइना रिवाइवल दुनिया भर के लाखों करोड़ों लोगों का Overseas Key Information Data Base (OKIDB) तैयार किया है।
Very proud to have worked with a global coalition of journalists and @rpotter_9 to bring a database managed by a Chinese intelligence and military contractor to the light of day. This database compiled information on 2.4 million individuals and 650k institutions 1/n https://t.co/A3DTb24lOo
— CCP Collaborator Balding 大老板 (@BaldingsWorld) September 13, 2020
इसमें 24 लाख लोग, 65 हज़ार संस्थान, 250 करोड़ लेख और लगभग 230 करोड़ सोशल मीडिया पोस्ट शामिल हैं। इससे भी ज़्यादा हैरानी की बात यह सामने आई है कि इस डाटा बेस में मौजूद 10 से 20 फ़ीसदी जानकारी पब्लिक डोमेन में मौजूद नहीं है। इसके अलावा डाटाबेस में लोगों के संपर्क, पारिवारिक संपर्क, पता, फोन नंबर, मेल आईडी, पद और काम जैसी अहम जानकारी भी शामिल है।
इसके लिए चीनी कंपनी चाइना रिवाइवल ने लोगों के सोशल मीडिया पोस्ट, तस्वीर, लाइक्स, ट्वीट, रीट्वीट और शेयर जैसी निजी गतिविधियों से जानकारी निकाली है। इस बात पर भी संदेह जताया जा रहा है कि लोगों के बैंक, नौकरी और कागज़ात से सम्बंधित जानकारी भी निकाली गई है। इन सबसे ज़्यादा उल्लेखनीय बात यह है कि कंपनी चीन की सरकार को दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रसारित की जाने वाली ख़बरों की जानकारी भी देता है। ख़ासकर भारत में क्या दिखाया जाता है इस पर चीनी सरकार की निगरानी सबसे ज्यादा रहती है।
चीन की यह कंपनी इस पूरी प्रक्रिया में हाइब्रिड वॉरफेयर की प्रक्रिया का भी इस्तेमाल कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ साल 1999 के दौरान चाइना पीपल लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) ने इसकी प्रस्तावना तैयार की थी। एक ऐसा वॉरफेयर जिसके ज़रिए सेना, राजनीति, अर्थव्यवस्था, तकनीक जैसे अहम क्षेत्रों से ध्यान हटाया जाता है। दुनिया के तमाम जानकारों और विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
Very proud to have worked with a global coalition of journalists and @BaldingsWorld to release this data. So much more to follow as the story is unpacked and discussed. https://t.co/mXqH8zk6qg
— Robert Potter (@rpotter_9) September 13, 2020
कुछ ने तो यहाँ तक कहा है कि “चीन की तरफ से इस तरह की बड़े पैमाने पर डाटा चोरी होती रहती है। दुनिया के लिए यह वाकई बड़ा ख़तरा और चुनौती है। चीन की ऐसी कंपनी ऐसी गतिविधियों को अंजाम देकर चीन की सरकार और सेना की मदद करती हैं।”
वहीं अगर भारत की बात करें तो करीब 10 हजार लोगों का डाटा चुराने की बात कही जा रही है। इनमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सोनिया गाँधी, ममता बनर्जी, अशोक गहलोत, अमरिंदर सिंह, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक, शिवराज सिंह चौहान, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, पियूष गोयल, भारत के मुख्य न्यायाधीश अरविन्द बोबड़े, सीडीएस मुखिया बिपिन रावत और कम से कम 15 पूर्व थल सेना, नौसेना और वायु सेना अध्यक्ष भी शामिल हैं।
यह सिर्फ इतने तक सीमित नहीं है बल्कि देश के पत्रकार, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, अभिनेता, धर्मगुरु जैसे लोग भी शामिल हैं। इन साड़ी जानकारियों से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत के खिलाफ साज़िश रचने और नैरेटिव तैयार करने के लिए कितने बड़े पैमाने पर तैयारी हुई है। यह सिर्फ भारत के लोगों के साथ ही नहीं बल्कि अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे बड़े देश के लोगों के साथ भी हो रहा है।