लद्दाख के गलवान घाटी में फजीहत झेलने के बाद अब अरुणाचल प्रदेश (Twang, Arunachal Pradesh) के तवांग में मुँह की खाने के बाद चीन को अपने ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रह है।
भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बीच तवांग में हुई घटना का चीन की मीडिया में रिपोर्टिंग नहीं की जा रही है। इस कारण चीन के लोगों को वहाँ के बारे में बहुत कम जानकारी मिल पा रही है।
इंडिया टुडे ने वीवो जैसी चीन की सोशल मीडिया साइट को खंगाला और वहाँ पर लोगों की प्रतिक्रिया को समझने की कोशिश की। वीवो जैसी चीनी मीडिया साइट पर लोगों का कहना है ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की अनुमति जरूरी है। इसलिए उन्हें बॉर्डर से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए विदेशी मीडिया पर आश्रित होना पड़ रहा है।
वहाँ की सोशल मीडिया पर पाई गई प्रतिक्रिया के अनुसार, चीन के नेटिज़न्स सीमा विवादों की अपेक्षा वे देश के आंतरिक मुद्दों को लेकर अधिक चिंतित हैं। उन्हें पता है कि भारत भारत बेवजह लड़ने वाला देश नहीं है। वह अन्य देशों की तुलना में आर्थिक विकास की तेज दर पर अधिक केंद्रित है।
एक चीनी शख्स ने वहाँ के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि चीनी मीडिया इस घटना की रिपोर्टिंग करने में झिझक रही है और शी जिनपिंग से पूछना चाह रही है: “हे नेता, क्या हम इसकी रिपोर्टिंग कर सकते हैं? हम इसकी रिपोर्टिंग कैसे करें?”
यूजर्स ने इस दौरान यह भी बताया कि पिछली बार जम्मू-कश्मीर के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बारे में देश को जानकारी देने में चीन ने आवश्यकता से अधिक देरी की थी। चीन के लोग सत्ताधारी कम्युनिष्ट पार्टी पर सवाल उठा रहे हैं।
उनका कहना है कि देश में कोविड-19 की स्थिति बुरी है। ऐसे में शी जिनपिंग की सरकार को वहाँ के आंतरिक हालात पर नजर रखनी चाहिए। कुछ चीनी लोगों ने चीन की PLA को ‘बालसेना’ बताया और कहा कि उनमें लड़ने का जज्बा नहीं है। वे बस अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं।