Friday, May 17, 2024
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चर्च बनाना चाहते थे ईसाई, मुस्लिम भीड़ ने जुमे की नमाज के बाद सबके घरों में आग लगाई: पुलिस देखती रही तमाशा, वीडियो वायरल

बताया जा रहा है कि मिन्या में ईसाइयों के ईस्टर समारोह के बाद से मुस्लिम भीड़ भड़की हुई थी, लेकिन सड़कों पर ये तब उतरे जब मिन्या के अल फावखेर गाँव में नया चर्च बनाने की बात उठी, वो भी तब जब मुस्लिम भीड़ इसे अस्वीकार कर चुकी थी।

मिस्र के मिन्या प्रांत में मुस्लिम भीड़ ने कई ईसाइयों के घरों को निशाना बनाया है। सामने आई वीडियो में मुस्लिम भीड़ को ईसाइयों के घर की ओर गुस्से में बढ़ते, उनपर हमला करते और हल्ला मचाते हुए देखा जा सकता है। रिपोर्ट बताती हैं कि भीड़ ने इस दौरान ईसाइयों के घरों में आग भी लगाई।

न्यू अरब की रिपोर्ट के अनुसार, ईसाइयों के ईस्टर समारोह के बाद से मुस्लिम भीड़ भड़की हुई थी, लेकिन सड़कों पर ये तब उतरे जब मिन्या के अल फावखेर गाँव में नया चर्च बनाने की बात उठी, वो भी तब जब मुस्लिम भीड़ इसे अस्वीकार कर चुकी थी।

ईसाइयों द्वारा बात न सुने जाने पर इस्लामी कट्टरपंथी जुम्मे की नमाज के बाद सड़क पर आए और पहले ईसाइयों को उनके घरों से निकालने का प्रयास किया, इसके बाद जब वो इस काम में विफल रहे तो उन्होंने घरों को ही जला दिया।

वीडियो देख अंदाजा लगा सकते हैं कि ये भीड़ कितने गुस्से में थी और कितनी तादाद में मुस्लिम लोग ईसाइयों पर हमला करने निकले थे। इस संबंध में मिन्या के आर्क बिशप मकारियोस ने बताया कि घटना के बाद अनियंत्रित हुई स्थिति पर अब नियंत्रण पा लिया गया है और संदिग्ध भी गिरफ्तार हो गए हैं।

फिलहाल, मिस्र के अधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं सामने आया है लेकिन सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि घटना के समय पुलिस मूकदर्शक बनी तमाशा दे रही थी।

बता दें कि मिस्र में ईसाई समुदाय के लोग लंबे समय से मुस्लिमों जैसे अधिकार और नए धर्मस्थलों के निर्माण कराने को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। वहाँ अक्सर उन्हें बहुसंख्यक आबादी के कारण अपने हक और मन मारकर जीना पड़ता है। उनपर अत्याचारों की तमाम घटनाएँ मीडिया में दर्ज हैं। खुद आर्क बिशप मकारिओस पर 10 साल पहले हत्या का प्रयास किया गया था।

गौरतलब है कि मुस्लिम बहुल मिस्र में ईसाइयों का कोई सटीक प्रतिशत नहीं है। लेकिन माना जाता है कि 109 मिलियन की जनसंख्या में 10-15 फीसद ईसाई समुदाय के लोग हो सकते हैं। ऐसे में भी ईसाइयों को शादी और तलाक छोड़कर ज्यादातर मामलों में कानूनी तौर पर इस्लामी कानून शरिया का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वे लोग कोशिश करते हैं कि मिस्र में उन्हें भी वैसे ही अधिकार मिलें जैसे मुस्लिमों को हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पाता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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