अमेरिका की फ़ाइनेंशियल क्राइम्स एन्फोर्समेंट नेटवर्क (FinCEN) ने एक बड़ा ख़ुलासा किया है। FinCEN ने दाऊद इब्राहिम के मुख्य फाइनेंसर और पाकिस्तानी मूल के अल्ताफ खनानी को 14 से 16 बिलियन डॉलर [103088 लाख करोड़ रुपए से लेकर 117819 लाख करोड़ रुपए तक (21 सितंबर 2020 के करेंसी एक्सचेंज की दर से)] की सालाना लॉन्ड्रिंग के मामले गिरफ्तार किया है। इन रुपयों की मदद से वह ड्रग कार्टेल, तालिबान, हिजबुल्लाह और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों की फंडिंग करता था।
अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने इस मामले में सस्पीशियस एक्टिविटी रिपोर्ट (SARs) दायर की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई संभव हुई। FinCEN ने अपनी 20 पन्नों की इंटेलिजेंस रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि आखिर कैसे खनानी मज़ाका जनरल ट्रेडिंग एलएलसी और 54 शेल कंपनियों (मास्को नेटवर्क) के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग करता था। इन कंपनियों की मदद से वह फंड्स रूस से अन्य देशों में यूरोपियन सिक्यॉरिटी मार्केट के रास्ते भेजता था।
इस प्रक्रिया को आम तौर पर मिरर ट्रेडिंग भी कहते हैं। ट्रेडिंग की इस प्रक्रिया में एक व्यक्ति किसी अधिकार क्षेत्र में चीज़ें (सिक्यॉरिटी) खरीदता है और उन्हें दूसरे अधिकार क्षेत्र में बेचता है। इस प्रक्रिया में भले कोई आर्थिक लाभ नहीं है लेकिन फंड का स्रोत और अंतिम जगह ज़रूर छुपा सकता है।
इस प्रक्रिया में ऐसे कई लोग हैं, जो खनानी का साथ दे रहे हैं और वह कोई और नहीं पाकिस्तान में रहने वाले खनानी के रिश्तेदार हैं। उसे मार्च 2013 से अक्टूबर 2016 के बीच मास्को नेटवर्क से लगभग 49.78 मिलियन डॉलर मिले थे।
उसकी पेरेंट ट्रेडिंग कंपनी मजाका जनरल ट्रेडिंग एलएलसी सिंगापुर की मिरर ट्रेडिंग कंपनी ‘आस्क ट्रेडिंग पीटीई’ की फंडिंग भी करती है। मिरर ट्रेड का पूरा लेन-देन न्यू यॉर्क के जेपी मॉर्गन चेज़ बैंक, सिंगापुर के यूनाइटेड ओवरसीज़ बैंक और बैंक ऑफ़ बड़ोदा की दुबई शाखा की मदद से हुआ था।
इस मामले में उसके वकील मेल ब्लैक ने कहा था, “खनानी दोषी साबित हुए थे और उन्हें लंबे समय तक दंड दिया गया। इस दौरान उनके भाई की मृत्यु हुई, वह अपने परिवार से अलग हुए और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। उनकी माली हालत भी तब से बदतर है, जब से उन्हें ओएफएसी से प्रतिबंधित किया गया है और उनके खाते बंद किए गए हैं। वह पिछले 5 सालों में किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल नहीं हुए हैं। वह आगे चल कर क़ानून के अनुसार स्थायी जीवन जीना चाहते हैं।”
खनानी ने 2009 में बनी नई दिल्ली स्थित रंगोली इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के साथ 10.65 मिलियन डॉलर का ट्रेड किया था। इस मामले में पूरा लेन-देन पंजाब नेशनल बैंक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, विजया बैंक, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और सहकारी बैंक की मदद से हुआ था। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़ 18 जून 2014 को पंजाब नेशनल बैंक की ज़रिए 1,36,254 डॉलर का ट्रेड हुआ था।
ख़बरों की मानें तो 339.19 करोड़ रुपए के सेल्स रेवेन्यू (बिक्री मुनाफ़ा) के बावजूद रंगोली समूह को 74.87 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। इतना कुछ होने के बाद कंपनी को फरवरी 2020 में विलफुल डिफॉल्टर की सूची में रखा गया था।
इलाहाबाद बैंक ने रंगोली को मार्च 2015 में टॉप-50 एनपीए की सूची में रखा था। पंजाब नेशनल बैंक ने भी 2016 से 2019 के बीच रंगोली की गिरवी संपत्ति की ‘ई-मॉर्गेज’ प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके अलावा सहकारी बैंक ने अक्टूबर 2019 में कंपनी की अचल संपत्ति की नीलामी का ऐलान किया था।
ठीक इसी तरह की कार्रवाई यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया ने लोन वापस प्राप्त करने के लिए की थी। ख़बरों के मुताबिक़ बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र ने फरवरी 2020 में कंपनी को विलफुल डिफॉल्टर की सूची में रखा था।
इन आरोपों पर अपना पक्ष रखते हुए रंगोली कंपनी के एमडी ने कहा था, “तथाकथित रूप से साल 2013 से 2014 के बीच रंगोली इंटरनेशनल के ज़रिए हुए 70 लेन-देन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, जिसका कोई डेटा ही मौजूद नहीं है। इस पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देना विरोधाभास से कम नहीं होगा।”
इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की मदद के ज़रिए खनानी की मिरर ट्रेडिंग कंपनी से मिले 1,36,254 मिलियन डॉलर वाले दावे को भी ख़ारिज कर दिया था।
खनानी को साल 2015 में ओवरसीज लेन-देन के मामले में अमेरिका के हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। जुलाई 2020 तक उसे मायामी की जेल में रखा गया था। खनानी और दाऊद के बीच संबंध अमेरिका के ऑफिस ऑफ़ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) की मदद से बना था, जब उसे नोटिस जारी किया गया था।
जारी किए गए नोटिस में साफ़ तौर पर लिखा था कि कैसे खनानी ने मनी लॉन्ड्रिंग आर्गेनाईजेशन (MLO) के ज़रिए आतंकवादी समूहों, ड्रग्स तस्कर और आपराधिक संगठनों की फंडिंग में मदद की। नोटिस में लिखा था,
“खनानी MLO और अल ज़रूनी का मुखिया अल्ताफ खनानी तालिबान के साथ लेन-देन के मामले में शामिल था। उसके लश्कर-ए-तैय्यबा, दाऊद इब्राहिम, अल कायदा और जैश-ए-मोहम्मद से भी संबंध थे।”