पाकिस्तान की महिला क्रिकेटर डायना बेग ने शनिवार (1 अक्टूबर, 2022) को मौलाना जलाल आबिद को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित गिलगित के लालिक जन स्टेडियम में महिलाओं के खेल आयोजन का विरोध करने पर फटकार लगाई है। रिपोर्ट के अनुसार, आगामी 5 अक्टूबर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में महिला खेल पर्व 2022 (Women Sports Gala 2022) का आयोजन किया जा रहा है। इसमें क्रिकेट, बास्केटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन, स्क्वैश, टेबल टेनिस और हॉकी सहित कई खेल होने हैं।
Gilgit:
— Ibex Media Network (@IbexMedianetwrk) September 29, 2022
Moulana Jalal Abid has reportedly condemned the ongoing sports gala for women at Gilgit’s Lalik Jan stadium. According to reports, the cleric has said that the venue is the “Eid-Gah for Muslims”.#news #women #sport #womenrights #pakistan #gilgit #religion #imn pic.twitter.com/UQ0BDeLXdH
महिलाओं के इस खेल पर्व को लेकर मौलाना जलाल आबिद ने विरोध जताया है। मौलाना का कहना है कि यह खेल मैदान “मुस्लिमों के लिए ईदगाह” है। हालाँकि, जिस मैदान में खेल होने हैं ,उसे लालक जन स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। इस्लाम के मजहबी कार्यक्रमों के दौरान यहाँ नमाज वगैरह की जाती है।
डायना बेग ने मौलाना जलाल आबिद के इस बयान पर तीखा हमला बोला है। डायना ने कहा है “गिलगित ने पाकिस्तान के खेलों को इतने सारे रत्न (पुरुष और महिलाएं) दिए हैं जो अपनी प्रतिभा से देश की छवि को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। यह मैदान नमाज़, पुरुषों के मुक्केबाजी कार्यक्रमों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य सभी चीजों की मेजबानी के लिए उपयुक्त है, लेकिन महिलाओं के कार्यक्रम की मेजबानी नहीं कर सकता।”
My question is: why was the condemnation not for the men’s event?
— Diana baig (@baig_diana) October 1, 2022
Shouldn’t the space belong to women just as much as it belongs to everyone else who lives in Gilgit or will we continue to live under a rock and pretend that a woman stepping on the field is a taboo?
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उन्होंने आगे कहा, “मेरा सवाल है कि पुरुषों के आयोजन को लेकर कभी कुछ क्यों नहीं कहा गया? क्या यह जगह महिलाओं के लिए भी उतनी ही नहीं होनी चाहिए जितनी कि गिलगित में रहने वाले हर किसी की है। हम कब तक रूढ़िवादी बने रहेंगे और यह दिखावा करेंगे कि एक महिला का मैदान पर कदम रखना वर्जित है?”
डायना बेग के इस बयान के बाद जहाँ मौलाना जलाल आबिद समेत कई मौलाना बौखला गए होंगे। वहीं, कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम ट्विटर के जरिए डायना बेग को इस्लाम का ‘ज्ञान’ देने की कोशिश कर रहे थे।
ट्विटर यूजर @Hazxsupremacy ने लिखा, “जिस जगह पर नमाज अदा की जाती है, वह महिलाओं के लिए जांघों तक शॉर्ट्स के साथ फुटबॉल खेलने की जगह नहीं होनी चाहिए। पुरुषों के लिए किसी भी खेल की मनाही नहीं है और न ही उन्हें स्कार्फ (हिजाब) पहनने के लिए कहा जाता है। साथ ही कोई भी खेल, त्योहार या कोई कार्यक्रम किसी भी मजहबी स्थल में आयोजित नहीं किया जाना चाहिए। इस ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए, डायना बेग ने लिखा , “उस स्थान को ‘लालिक जन स्टेडियम’ कहा जाता है, यह ईदगाह नहीं है।”
ट्विटर यूजर मुहम्मद तासीत हसन ने कहा, “यह इस्लाम के खिलाफ है। इसलिए जस्टिफिकेशन की आवश्यकता नहीं है। फिर चाहे पुरूष खेले या कोई महिला।”
इस खेल आयोजन का विरोध करने वालों में अंजुमन इमामिया आगा बाकिर अल-हुसैनी भी शामिल है। सेंट्रल इमामिया जामिया मस्जिद स्कर्दू द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका विरोध किया गया है। एक ट्विटर यूजर ने इस प्रेस विज्ञप्ति को शेयर किया गया था। चूँकि, यह विज्ञप्ति उर्दू में थी, ऐसे में ऑपइंडिया ने जब इसकी फैक्ट चेकिंग की तो यह सामने आया कि विज्ञप्ति में इस आयोजन का विरोध किया गया है।
— PabloEscobar (@edward55567) October 1, 2022
सेंट्रल इमामिया जामिया मस्जिद स्कर्दू की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में संगठन ने कहा है अंजुमन इमामिया बाल्टिस्तान की आपात बैठक अंजुमन इमामिया आगा बाकिर अल-हुसैनी की अध्यक्षता में हुई है।
इस बैठक में, बाल्टिस्तान की जमीन पर हॉकी और क्रिकेट के नाम पर कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को मैदान में लाने के बारे में सरकार द्वारा रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की गई थी और इस अधिनियम को इस्लाम द्वारा महिलाओं की इज्जत व सम्मान के रूप में घोषित किया गया था। इसके अलावा इस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार को चेतावनी दी गई थी कि खेल के नाम पर शरीयत के काम के लिए बाल्टिस्तान में लड़कियों की परवरिश करना पूरी तरह से मजहबी और इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है और यह किसी मजहबी व्यक्ति के लिए अस्वीकार्य है।
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि जिस देश में अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं है, वहाँ शरिया और इस्लामी कानून लागू करने की बजाए ऐसे अश्लील कार्यक्रम आयोजित करना आश्चर्यजनक है। जिला प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि इस कृत्य को तत्काल रोके। बाल्टिस्तान के ‘मजहबी और अच्छी तरह से शिक्षित’ परिवारों से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी बेटियों को खेल के नाम पर गैर-शर्मनाक कृत्यों से रोककर यह साबित करें कि वे इस्लाम और शरिया प्रेमी हैं।