Sunday, September 1, 2024
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अल्लाह-हू-अकबर चिल्लाते हुए भीड़ ने ईसाई महिला को नंगा कर सड़क पर घसीटा, कोर्ट ने रिहा कर दिया

भीड़ को संदेह था कि किसी मुस्लिम लड़की के साथ ईसाई महिला के बेटे का प्रेम प्रसंग है। बस वो अल्लाह हू अकबर चिल्लाते हुए उनके घर पर टूट पड़े। इसके बाद उन्हें नंगा करके सड़कों पर घसीटा और...

साल 2016 में मिस्र (Egypt) की एक ईसाई वृद्धा के साथ बदसलूकी का मामला फिर तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। खबर है कि मिस्र में हमदा अल सवा नाम की एक पब्लिक प्रॉजिक्यूटर ने दोबारा इस केस पर गौर करने का निर्णय लिया है, जिसमें तीन मुस्लिम आरोपितों को 10 साल की सजा दिए जाने के बावजूद उन्हें आरोपों से रिहा कर दिया गया।

पूरी घटना काहिरा से 250 किमी दक्षिण में मिन्या प्रांत के अल करम सड़क की है। साल 2016 में 70 वर्षीय सुआद थबेट (Suad Thabet) और उनके पति अब्दु अयाद के घर पर 300 से ज्यादा कट्टरपंथियों ने हमला किया था। भीड़ को संदेह था कि एक मुस्लिम महिला के साथ वृद्ध दंपत्ति के बेटे का प्रेम प्रसंग है। 

इस दौरान आतताई भीड़ ने सुआद को न केवल मारा-पीटा था बल्कि उन्हें नंगा करके सड़कों पर घसीटा भी था। इसी भीड़ ने कथित तौर पर अल्लाह हू अकबर चिल्लाते हुए उनके घर को लूटने के साथ-साथ 5 अन्य ईसाइयों के घरों को लूट कर आग के हवाले झोंक दिया था। बाद में इस केस में कार्रवाई हुई। कुछ को गिरफ्तार भी किया गया।

लेकिन, साल 2017 में यह पूरा केस ड्रॉप कर दिया गया। फिर पता चला कि साल 2020 के जनवरी माह में 3 आरोपितों को उनकी अनुपस्थिति में 10 साल की सजा सुनाई गई। लेकिन, हाल में खबर आई कि उन्हें भी रिहा कर दिया गया है।

विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना के बाद सुआद इतना टूट गईं कि जब तीनों आरोपितों को साल 2020 में रिहा किया गया तो वह कोर्ट के फैसले पर फूट-फूट कर रोने लगीं। उन्होंने पूछा, “आखिर उन लोगों को कैसे छोड़ा जा सकता है… प्रेसीडेंट अल सिसी ने मुझे न्याय दिलाने का वादा किया था, फिर कोर्ट ने कैसे कह दिया कि वो लोग निर्दोष हैं। मुझे लग रहा है मैं अब भी नग्न हूँ। अगर कुछ भी करके मुझे धरती पर न्याय नहीं मिलता तो मैं स्वर्ग में न्याय की प्रतीक्षा करूँगी।”

साल 2017 की एक विदेशी रिपोर्ट में महिला ने आपबीती साझा करते हुए कहा था, “हम लोग मुस्लिम कट्टरपंथियों के कारण वापसी घर नहीं जा पा रहे… सरकार ऐसे दमनकारियों को खुली सड़कों पर घूमने की छूट दे रही है। वह हमारा गाँव है। हम वहाँ पैदा हुए, बड़े हुए। आखिर हम पीड़ित कैसे हो सकते हैं कि अपने गाँव और घर न लौट पाएँ।”

आरोपितों की रिहाई के बाद सोशल मीडिया पर इस मामले के ख़िलाफ़ कई लोगों ने अपनी आवाज उठाई। एक हैशटैग चलाकर पीड़ित महिला के लिए न्याय की गुहार लगाई जाने लगी। मॉनिका गेबरिल ने सुवाद को न्याय दिलाने के लिए लोगों से कहा कि वह उन्हें अपनी माँ की तरह समझें।

रमी ने भी मिस्र में आरोपितों की रिहाई के लिए पीड़ित वृद्धा से क्षमा माँगी और, “Egypt was naked” नाम से एक नया हैशटैग चालू किया।

बता दें कि मिस्र में ईसाइयों के साथ भेदभाव नई बात नहीं है। काहिरा और अलेक्जेंड्रिया जैसे बड़े शहरों में फिर भी यह सब कम है, लेकिन मिनिया जैसे प्रांतों में यह बहुत अधिक होता है, जहाँ ईसाई चारों ओर से बहुसंख्यक आबादी से घिरे हुए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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