अमेरिकी वाहन निर्माता टेस्ला की गाड़ियों और उसके सुपरचार्जर नेटवर्क पर बीते कुछ दिनों से हमले हो रहे हैं। उनको अमेरिका के अलग अलग हिस्सों में निशाना बनाया जा रहा है। यहाँ तक कि यूरोप में भी हमले हुए हैं। मस्क के खिलाफ यह हमले ट्रम्प प्रशासन में सरकारी कामकाज में किफायत लाने वाले (DOGE) के प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका के चलते किए गए हैं।
इन हमलों को मस्क के विरोध का नाम दिया जा रहा है। 31 मार्च को एक्स पहले ट्विटर) पर मस्क ने एक वीडियो पर प्रतिक्रिया दी। इसमें एक टेस्ला मालिक एक ऐसे आदमी से भिड़ता हुआ दिखाई दे रहा था जिसने उसकी टेस्ला EV पर नाजी चिह्न लगा दिया था।
इसका विरोध करने के लिए किए गए ट्वीट में मस्क ने इसे नाजी निशान हुक्ड क्रॉस बताने के बजाय इसे ‘स्वास्तिक’ कहा। मस्क ने एक्स पर लिखा, “जो कोई भी टेस्ला पर स्वास्तिक बनाता , उसने स्पष्ट रूप से घृणित अपराध किया है।”
Anyone who scrawls a swastika on a Tesla has obviously committed a hate crime https://t.co/EJFkYxDHrV
— Elon Musk (@elonmusk) March 31, 2025
बढ़ रहा टेस्ला विरोध का विरोध
टेस्ला कारों पर हमलों का सिलसिला सिर्फ़ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा है। उन पर इटली में भी हमले हुए हैं। हाल ही में रोम में टेस्ला डीलरशिप के भीतर 17 वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। एलन मस्क ने इन हमलों की निंदा ‘आतंकवाद’ बता कर किया है।
इसके अलावा स्वीडन के स्टॉकहोम और माल्मो में, दो टेस्ला स्टोर में तोड़फोड़ की गई। फ्रांस में भी हाल ही में सेंट चामोंड में पार्किंग स्थल में 12 टेस्ला इलेक्ट्रिक सुपरचार्जर को आग लगा दी गई। अमेरिका में भी मस्क की कम्पनी की गाड़ियों को तोड़ाफोड़ा है।
इससे पहले भी, टेस्ला को लेकर हमले हुए हैं। ऐसी ही एक घटना में, कोलोराडो में एक महिला को टेस्ला डीलरशिप में आग लगाने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था। इसके अलावा ओरेगन में टेस्ला के डीलरशिप पर गोलीबारी की गई।
टेस्ला विरोधी आंदोलन को तब और हवा मिली जब मस्क ने यूरोप के देशों में घोर दक्षिणपंथी दलों को समर्थन दिया। इस बीच टेस्ला EV की बिक्री यूरोप में 49% कमी देखी गई है। हाल में मस्क ने आरोप लगाया था कि फंड जुटाने वाला प्लेटफॉर्म एक्टब्लू टेस्ला विरोधी प्रदर्शनों को भड़काने में शामिल था।
नाज़ी हेकेनक्रूज़ और स्वास्तिक के बीच अंतर
हिन्दुओं के लिए पवित्र स्वास्तिक और नाजी घृणा चिह्न हेकेनक्रूज़ के बीच बहुत बड़ा अंतर है। स्वास्तिक में ‘सु’ का अर्थ ‘अच्छा’ और ‘अस्ति’ का अर्थ ‘होना’ होता है। दूसरे शब्दों में, कल्याण। यह लगभग 6,000 साल पहले चट्टान और गुफाओं में बने हुए चित्र से जुड़ा है।
विद्वान भी इस बात पर सहमत हैं कि इसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। यह चिह्न हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के अलावा वाइकिंग्स और यूनानियों सहित अन्य प्राचीन संस्कृतियों के लिए सौभाग्य, समृद्धि और सभी शुभ चीजों का प्रतीक रहा है।

हिंदू परंपरा में, स्वास्तिक की भुजाओं के मोड़ के बाद सीधी रेखा को सरूप्य (ईश्वर के जैसा रूप होना), सालोक्य (ईश्वर वाले ही विश्व में होना), सामीप्य (ईश्वर के निकट होना) और सायुज्य (ईश्वर के जैसा रूप होना) कहा जाता है। ये दिव्य मिलन के विभिन्न स्तरों को दर्शाते हैं।
स्वास्तिक का उल्लेख सबसे पहले वेदों में किया गया था और यह सूर्य और सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जैसी चीजों का प्रतीक है। इसे शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और यह सौभाग्य के देवता गणेश का प्रतीक भी है। हिंदू धर्म और जैन धर्म दोनों में, स्वास्तिक का उपयोग खाता बही, दरवाजे और दहलीज के शुरुआती पन्नों को चिह्नित करने के लिए किया जाता है।
2013 में, विश्व के सबसे पुराने यहूदी संगठनों में से एक, अमेरिकी यहूदी समिति ने हिंदू, जैन और बौद्ध संस्कृतियों द्वारा शताब्दियों से उपयोग किए जाने वाले स्वास्तिक और इसके नाजी संस्करण के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया। वर्ष 2021 में, ओरेगन शिक्षा विभाग ने इस अंतर को कानूनी मान्यता दी थी।
पश्चिमी मीडिया लंबे समय से अपनी रिपोर्टों में नाजी हेकेनक्रूज़ के लिए जानबूझकर स्वास्तिक शब्द इस्तेमाल कर रही है, जबकि दोनों एकदम अलग हैं। पश्चिमी मीडिया चाहता है कि हिन्दू निशान को घृणा का प्रतीक माना जाए और इसे हिन्दुओं के विरुद्ध लोगों में क्रोध फैले।
मस्क की गलती का हिन्दुओं को उठाना पड़ सकता है नुकसान
एलन मस्क द्वारा नाजी निशान को स्वास्तिक कहना संस्कृति के विषय में जानकारी ना होने और असंवेदनशीलता का मामला है। एलन मस्क ने उस नाजी हेकेनक्रूज़ को समृद्धि के निशान स्वास्तिक बता दिया, जो यहूदियों के प्रति घृणा और नरसंहार का प्रतीक था। मस्क को टेस्ला वाहनों पर हमले का विरोध करने की पूरी छूट है, लेकिन इसमें स्वास्तिक घसीटना ठीक नहीं है।
एलन मस्क ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब हिंदू और भारतीय अमेरिकी पहले से ही अमेरिका में घृणा का सामना कर रहे हैं। अमेरिका में हिंदूफोबिया भी बीते दिनों में बढ़ा है। अगर हिन्दुओं को लोग धोखे से नाजी समर्थक पाते हैं, तो उन पर खतरा और बढ़ेगा।