फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने एक हालिया बयान में अभिव्यक्ति की आजादी को प्रतिबंधित करने को लेकर किए गए मनमाने फैसलों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और ट्विटर की आलोचना की है। मैक्रों ने बयान में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को बैन किए जाने का मुद्दा उठाया। यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब सोशल मीडिया पर सेंसरशिप की बहस भारत में भी गरमाई हुई है।
मैक्रों ने कहा, “हम पेरिस में बहुत परेशान थे (कैपिटल हमले को लेकर)। लेकिन उसी समय हम इस बात को लेकर भी उतना ही परेशान थे कि कुछ ही घंटों बाद सभी प्लेटफॉर्म, जो राष्ट्रपति ट्रम्प को अपनी बात रखने का मौका देते थे, जहाँ वो अपनी चीजें रख रहे थे, वहाँ उन्हें बैन कर दिया गया। कुछ ही देर में जब उन्हें (मीडिया प्लेटफॉर्म) यह स्पष्ट हो गया कि वे (ट्रंप) सत्ता से बाहर हो चुके है, अचानक से उनकी आवाज बंद कर दी गई।”
EMANNUEL MACRON : Twitter has become that ‘unelected & privileged’ member in all parliaments around the world. pic.twitter.com/j1Ul2yirvO
— Chayan Chatterjee (@Satyanewshi) February 7, 2021
उन्होंने आगे कहा, “मैं एक ऐसे लोकतंत्र में नहीं रहना चाहता जहाँ महत्वपूर्ण निर्णय और फैसले एक प्राइवेट प्लेयर, एक प्राइवेट सोशल नेटवर्क द्वारा तय किया जाता है, जो मुख्य समय में आपकी आवाज को बंद कर दें।” फ्रांस के राष्ट्रपति ने 4 फरवरी को दिए आपने बयान में कहा, “मैं चाहता हूँ कि यह आपके प्रतिनिधि द्वारा या एक विनियमन द्वारा मतदान किए गए कानून द्वारा तय किया जाए। जिसे लोकतांत्रिक नेताओं द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा और अप्रूव किया गया हो।”
बता दें, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की यह टिप्पणी ऐसे समय मे सामने आई जब भारत सरकार भी ट्विटर के रवैए से नाखुश है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने उन ट्वीट्स और अकाउंट को हटाने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने भारत में गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के ठीक बाद भड़काऊ दावे किए थे।
दरअसल, भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से ट्वीट और एकाउंट्स को ब्लॉक करने का अनुरोध किया था, क्योंकि इससे देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। हालाँकि, ट्विटर ने यह दावा करते हुए सरकार की बात को नकार दिया कि यह ‘बोलने की स्वतंत्रता’ थी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का दोहरापन और इससे जो खतरा पैदा हुआ है, उससे स्पष्ट होता है कि वे अपनी राजनीतिक विचारधारा के आधार पर सेंसरशिप लगाते हैं, जो भारतीय हितों को जरूरी नहीं मानता है।
जर्मनी के एंजेला मर्केल और मेक्सिको के आंद्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर जैसे अन्य नेताभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों द्वारा लागू की गई मनमानी सेंसरशिप की निंदा कर चुके हैं।