रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लगातार जारी है। दोनों तरफ से हजारों की संख्या में सैनिकों के मारे जाने की खबरें भी सामने आ रही हैं। यूक्रेन, रूस के 7000 से 15000 के बीच सैनिकों को मार डालने का दावा कर रहा है। इन दोनों देशों के युद्ध की चर्चा दुनिया भर में हो रही है, लेकिन इस युद्ध से भी भयानक स्थिति पूर्वी अफ्रीकी देश इथियोपिया में है। वहाँ पर सालों से गृह युद्ध चल रहा है, जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं।
हालाँकि, इथियोपिया में चल रहे खूनी संघर्ष की आवाज अंतरराष्ट्रीय पर नहीं सुनी जा रही है। कोई भी इसके बारे में चर्चा नहीं कर रहा है। इस बीच 4 मार्च, 2022 को इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने रूस और यूक्रेन के युद्ध को खत्म करने के लिए सभी पक्षों से संयम के साथ काम लेने और राजनयिक स्तर की कोशिशों को शुरू करने की अपील की थी, ताकि इस संकट को खत्म किया जा सके।
लेकिन, खुद इथियोपिया में सरकार और टाइग्रे विद्रोहियों के बीच चल रहे खूनी खेल पर किसी भी देश ने ध्यान नहीं दिया। उस पर इथियोपिया के नेल्सन मंडेला कहे जाने वाले अबी अहमद ने इरिट्रिया के साथ शांति समझौता किया था। इसके बाद उन्हें 2019 में शांति का नोबल पुरस्कार दिया गया था।
क्या है इथोपिया का सिविल वॉर
अबी अहमद 2018 में इथोपिया के प्रधानमंत्री बने। उनसे पहले 27 साल से देश में टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (TPLF) सत्ता में थी। इथोपिया के टिगरे क्षेत्र की आबादी पूरे देश की केवल 6 प्रतिशत ही है, लेकिन इनका राष्ट्रीय राजनीति में सिक्का चलता था। अबी अहमद ने भी टाइग्रे को सत्ता में भागीदारी देने की कोशिशें की, लेकिन टाइग्रे का आरोप था कि सरकार सही समय पर चुनाव नहीं करा रही है। 2020 में जब अबी अहमद ने सेना की नॉर्दर्न कमांड के नए चीफ की नियुक्ति की तो ये राजनीतिक संघर्ष गृह युद्ध में बदल गया।
नवंबर 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2020 में अबी ने उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र की राजधानी मेकेले के बाहर संघीय आर्मी पर हमला करके हथियार चुराने का आऱोप लगाते हुए टाइग्रे विद्रोहियों के खिलाफ मिलिट्री ऑपरेशन का आदेश दे दिया था। अबी ने लोगों से जल्द ही इस मसले का हल निकालने का वादा भी किया, लेकिन देश में गृह युद्ध शुरू हो गया। हजारों की संख्या में निर्दोष नागरिकों की मौतें हो चुकी हैं।
इस लड़ाई में 20 लाख से अधिक लोगों का आशियाना छिन गया। वो विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गए। यहीं देश में अकाल की स्थिति भी आ गई। भयावह होते हालातों के कारण इस बात का डर बढ़ गया है कि कहीं ये युद्ध बाकी क्षेत्रों को अपने चपेट में न ले।
शुरुआत में तो इथियोपिया इस बात से इनकार करता रहा कि सरकार की तरफ से इस युद्ध में पड़ोसी देश इरिट्रिया के सैनिक भी लड़ रहे हैं। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने इसकी पोल खोल दी। यहाँ शरणार्थी शिविरों में लूटपाट, यौन शोषण और नरसंहारों में हजारों लोगों की मौत हो गई। अबी अहमद की सरकार ने अपनी बर्बरता को छिपाने के लिए पत्रकारों को भी बैन कर दिया।
पिछले साल सितंबर में कहा था कि ‘मानवीय सहायता पर रोक’ टाइग्रे में 50 लाख से अधिक लोगों तक पहुँचने की क्षमता को सीमित कर रही थी। देश के 400,000 अकाल से जूझ रहे थे। तब से अभी तक वहाँ सरकार और विद्रोहियों में लगातार जंग जारी है।