स्कॉटलैंड के एक सेकेंडरी स्कूल में लड़कियों ने ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ का प्रयोग करने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उन्हें वहाँ लड़के परेशान करते हैं। उनका कहना है कि ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ में लड़के उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं और और बर्बरता पर भी उतारू हो जाते हैं। बता दें कि उन टॉयलेट्स को ‘जेंडर न्यूट्रल’ कहते हैं, जिनमें लड़के और लड़की दोनों ही प्रयोग में ला सकते हैं। आमतौर पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए हर जगह अलग-अलग टॉयलेट्स ही रहते हैं।
यहाँ तक कि ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ में लड़के अक्सर सैनिटरी के लिए प्रयोग में लाने वाली वस्तुएँ हाथ में लेकर झंडे की तरह सार्वजनिक रूप से लहराते हुए नजर आते हैं, जिससे लड़कियाँ खासी असहज हो जाती हैं। साथ ही लड़के सेनेटरी बीन में पेशाब कर देते हैं। वो लड़कियों के सामने ही इस तरह की हरकतों को अंजाम देते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कई दिनों से लड़कियों ने इन टॉयलेट्स का प्रयोग करना बंद कर दिया है। वो शौच या यूरिनेटिंग के लिए इन सार्वजनिक शौचालयों का प्रयोग नहीं कर रही हैं।
लड़के अक्सर सैनिटरी पैड्स से भी खेलते हुए नजर आते हैं। बता दें कि अक्सर रुपए बचाने के लिए, समावेशी माहौल बनाने के लिए, विविधता को बढ़ावा देने की बातें कर के कई विद्यालयों, संस्थाओं और सार्वजनिक कारोबारों ने ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ बनाने शुरू कर दिए हैं। स्कॉटलैंड में यूनिसेक्स सैलूनों का चलन आजकल जम कर बढ़ रहा है और नए बनने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर में इसे बड़ी संख्या में देखने को मिलता है। सेकेंडरी स्कूल में इसके प्रयोगों के विरुद्ध बच्चों के अभिभावकों ने भी आवाज़ उठाया है।
Girls at Kelso High School in Scotland are refusing to use "gender-neutral" toilets as boys are "waving sanitary products like flags and urinating in sanitary bins."
— Women's Voices (@WomenReadWomen) November 26, 2021
It is said that the refusal to use the toilet poses risks to their health.#SexNotGenderhttps://t.co/tszi5RfSwY
हालाँकि, स्कॉटलैंड की जनसंख्या भी इस तरह के टॉयलेट्स के खिलाफ है। वहाँ की 56% जनसंख्या इसके खिलाफ हैं, वहीं 21% ने इसका समर्थन किया है। वहाँ के स्कूलों में 12 साल की बच्चियों और 18 साल के लड़कों को भी इन टॉयलेट्स का प्रयोग करने की अनुमति है। बता दें कि भारत में भी NCERT में जेंडर को लेकर की गई अजीबोगरीब बातों के बाद ‘राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR)’ ने संस्था के निदेशक को नोटिस भेजा था। ये शिकायत ‘इन्क्लूजन ऑफ ट्रांसजेंडर चिल्ड्रन इन स्कूल एजुकेशन: कन्सर्न्स एन्ड रोडमैप’ नामक चैप्टर को लेकर किया गया था।