Wednesday, November 6, 2024
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‘अमेरिका कर सकता है चीन पर हमला, हमारी सेना लड़ेगी’ – चीनी मुखपत्र के एडिटर ने ट्वीट कर बताया

"मुझे मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिकी चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने के लिए अमेरिका का ट्रंप प्रशासन साउथ चाइना सी में MQ-9 Reaper drones के जरिए चीन के द्वीप पर हमला कर सकता है।"

अपनी नापाक हरकतों से LAC पर जमीन हथियाने की नाकाम कोशिश करने वाले चीन को अमेरिका का डर सता रहा है। इस बात का खुलासा हुआ है चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एडिटर के ट्वीट से। ग्लोबल टाइम्स के एडिटर ने ट्वीट कर कहा है कि ट्रंप प्रशासन साउथ चाइना सी में चीन के द्वीप पर हमला कर सकता है।

ग्लोबल टाइम्स के एडिटर Hu Xijin ने कहा, “मुझे मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिकी चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने के लिए अमेरिका का ट्रंप प्रशासन साउथ चाइना सी में MQ-9 Reaper drones के जरिए चीन के द्वीप पर हमला कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो चीनी PLA निश्चित रूप से जमकर लड़ाई लड़ेगी और युद्ध शुरू करने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

इससे पहले ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर हू शिजिन ने अमेरिका और ताइवान को धमकाते हुए कहा था कि चीन अलगाव रोधी कानून एक ऐसा टाइगर है, जिसके दाँत भी हैं। दरअसल, ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर एक अमेरिकी जर्नल में ताइवान में अमेरिकी सेना के भेजने के सुझाव पर भड़के हुए थे।

हू शिजिन ने ट्वीट करके लिखा था, “मैं अमेरिका और ताइवान में इस तरह की सोच रखने वाले लोगों को निश्चित रूप से चेतावनी देना चाहता हूँ। एक बार अगर वे ताइवान में अमेरिकी सेना के वापस लौटने का फैसला करते हैं तो चीनी सेना निश्चित रूप से अपने क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए एक न्‍याय युद्ध शुरू कर देगी। चीन का अलगाव रोधी कानून एक ऐसा टाइगर है, जिसके दाँत भी हैं।”

उल्लेखनीय है कि अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ने की शुरुआत सोमवार सुबह से हुई, जब बीजिंग ने वॉशिंगटन के इन आरोपों को लेकर पलटवार किया कि वह वैश्विक पर्यावरण क्षति का एक प्रमुख कारण है। साथ ही वह इस दौरान दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण नहीं करने के अपने वादे पर भी पलट गया है।

यहाँ बता दें कि पिछले हफ्ते अमेरिका के विदेश विभाग ने एक दस्तावेज जारी किया था। इस दस्तावेज में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से वायु, जल और मृदा के प्रदूषण, अवैध कटाई और वन्यजीवों की तस्करी के मुद्दों पर चीन के रिकॉर्ड का हवाला दिया गया था।

दस्तावेज में कहा गया था, “चीनी लोगों ने इन कार्रवाइयों के सबसे खराब पर्यावरणीय प्रभावों का सामना किया है। साथ ही बीजिंग ने वैश्विक संसाधनों का लगातार दोहन करके और पर्यावरण के लिए अपनी इच्छाशक्ति की अवहेलना करके वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य को भी खतरे में डाला है।”

विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टेगस ने रविवार को एक बयान में कहा था कि चीन ने दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीपों का ‘‘लापरवाह और आक्रामक सैन्यीकरण’’ किया है। उन्होंने कहा कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अपनी बातों या प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं करती है।

इस पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस पर सोमवार को पलटवार करते हुए सवाल किया कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते से क्यों पीछे हट रहा है। उन्होंने अमेरिका को ‘अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सहयोग का सबसे बड़ा विध्वंसक’ करार दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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