हुमा यूनुस का 14 साल की उम्र में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में अक्टूबर 2019 में अब्दुल जब्बार ने अपहरण कर लिया गया था। उससे जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया। तभी से वह कैद में है। अपहरणकर्ता द्वारा बार-बार बलात्कार के बाद हुमा अब गर्भवती है। अपहरणकर्ता उसके परिवार को धमकियाँ दे रहे हैं।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के उच्च न्यायालय में महिला वकील, तबस्सुम यूसुफ, युवा कैथोलिक लड़की हुमा यूनुस के माता-पिता का प्रतिनिधित्व कर रही है, जो कि अब 15 वर्ष की हो चुकी है।
वकील तबस्सुम के अनुसार, “हुमा ने अपने माता-पिता को फोन किया, उन्हें बताया कि वह अब लगातार हुई यौन हिंसा के परिणामस्वरूप गर्भवती हो गई है। अपने पिता से पूछे जाने पर कि क्या वह अपने अपहरणकर्ता का घर छोड़कर अपने माता-पिता के घर वापस आ सकती है? उसने उन्हें बताया कि उसे घर छोड़ने की अनुमति नहीं है और प्रेग्नेंट होने के कारण उसकी स्थिति अब और दयनीय है, जिस कारण वह अब दीवारों के भीतर बंद कमरे में कैद है।”
लड़की का अपहरण करने वाले अब्दुल जब्बार का भाई मुख्तियार, ‘रेंजर्स’ का एक सदस्य है, जो कि पाक सुरक्षा बलों की एक शाखा है। उसने टेलीफोन के माध्यम से हुमा के माता-पिता से संपर्क किया और उन्हें सीधे धमकी दी। उनसे कहा कि अगर वे अपनी बेटी की तलाश में आए तो उसे मार देंगे।
महिला वकील ने आगे कहा, “इसी व्यक्ति, मुख्तियार ने ऑडियो संदेशों में कहा है कि अगर कोई ईसाई हुमा को वापस लाने कोशिश करेगा, तो वह उसके माता-पिता, और जो भी उनकी मदद करेगा, उन्हें मार डालेगा।”
गौरतलब है कि हुमा को न्याय दिलाने के क्रम में कराची के लिए तीसरे न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सबूत की कमी के आधार पर मामले को बंद कर दिया था। सबूत की फिर से जाँच करने के लिए उसी न्यायाधीश से अपील की गई और मजिस्ट्रेट ने लड़की के जन्म प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए आधिकारिक सार्वजनिक रिकॉर्ड प्राधिकरण, एनएडीआरए से संपर्क किया।
जिसके बाद सुनवाई गत जुलाई 13, 2020 के लिए निर्धारित की गई थी। हालाँकि, पीड़िता के परिवार के वकील ने पहले से ही सुनवाई के दौरान दो आधिकारिक दस्तावेज पेश किए थे, जो यह साबित करते हैं कि वह कम उम्र की है। हुमा के स्कूल प्रमाण-पत्र और बतिज्मा सर्टिफिकेट स्पष्ट रूप से हुमा की जन्म तिथि 22 मई 2005 बताते हैं।
इससे पहले, फरवरी 2020 की एक सुनवाई के दौरान पाकिस्तान स्थित सिंध प्रान्त के हाई कोर्ट के दो न्यायाधीशों, मुहम्मद इकबाल कल्होरो और इरशाद अली शाह यह फैसला तक सुना चुके हैं कि भले ही हुमा नाबालिग हों, फिर भी ईसाई लड़की और उसके अपहरणकर्ता अब्दुल जब्बार के बीच शादी वैध रहेगी, क्योंकि इस्लामी शरिया कानून के अनुसार, पहले मासिक धर्म के बाद किसी भी उम्र की लड़की शादी कर सकती है।
सिंध के उच्च न्यायालय अभी भी कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद है और संभवतः अगस्त के बाद भी नहीं खुलेगा। इसके बाद ही इस अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए कोई तारीख तय की जा सकेगी।
बताया जा रहा है कि हुमा के अपहरणकर्ता जब्बार का प्रतिनिधित्व करने वाला वकील समय बढ़ाने के लिए हर कानूनी कोशिश कर रहा है। दरअसल, इसके पीछे कारण यह है कि तीन साल बाद पीड़िता लड़की 18 साल की हो जाएगी और इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि मामले को अनिश्चित काल के लिए लंबित कर दिया जाएगा।
इसके अलावा, जब भी पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात आती है, तो कानून-व्यवस्था में देरी की प्रवृत्ति देखी जाती है, क्योंकि इन्हें न तो प्राथमिकता माना जाता है, न ही अत्यावश्यक।