Saturday, July 27, 2024
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नरेंद्र मोदी विरोध का इमरान खान को इनाम, ‘The Muslim 500’ ने दिया मैन ऑफ द ईयर का खिताब

पब्लिकेशन ने कहा है कि इमरान खान ने ऐसे लोगों के साथ कोशिश की, जिनकी शांति में दिलचस्पी नहीं है। ऐसे में अब खान के प्रयासों पर वैश्विक राय बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि आरएसएस के नेतृत्व में भारत वैश्विक तौर पर अछूत बन सके।

जॉर्डन बेस्ड पब्लिकेशन, The Muslim 500 ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को ‘मैन ऑफ द ईयर’ घोषित किया है। विवादास्पद अमेरिकी कॉन्ग्रेस की सदस्य रशीदा तलीब को ‘वुमन ऑफ द ईयर’ का सम्मान दिया है। इसके अलावा, इमरान खान को दुनिया के 16वें सबसे प्रभावशाली मुस्लिम के रूप में भी नामित किया गया है।

रशीदा तलीब को पुरस्कृत करते हुए पब्लिकेशन ने कहा, “उन्होंने अपने पद की शपथ कुरान पर हाथ रखकर ली। यद्यपि वह अपना पहला कार्यकाल निभा रही हैं, लेकिन वह निश्चित रूप से सबसे अधिक लोकप्रिय सदस्यों में से एक हैं। खास तौर पर राष्ट्रपति ट्रम्प के कारण, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से उन पर और तीन अन्य कॉन्ग्रेस वुमन पर अमेरिका में नफरत फैलाने का आरोप लगाया और साथ ही कहा कि वे ‘जहाँ से आए थे, वहाँ वापस जाएँ’।”

इससे लगता है की रशीदा तलीब को मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विरोध के कारण सम्मानित किया गया है। पब्लिकेशन की तरफ से कहा गया है कि सितंबर 2019 में रशीदा ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का आह्वान किया। उन्होंने भारी दबाव के सामने काफी जोश और गरिमा दिखाई है और इसने उन्हें दुनिया भर में एक प्रेरणा बना दिया है।

इसी तरह, इमरान खान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने की वजह से पुरस्कार दिया गया प्रतीत होता है। भारत के साथ शांति स्थापित करने के उनके कथित प्रयासों की सराहना करते हुए, द मुस्लिम 500 ने कहा, “जैसा कि इमरान खान को पता है, यह वह भारत नहीं है, जो हम में से बहुत से लोग याद करते हैं और सोचते हैं। भारत के नाम पर हम महात्मा गाँधी, नेहरू के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस पार्टी या गाँधी परिवार और उनके दल के बारे में सुनते थे।”

आगे कहा गया, “भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री और उनकी सत्ताधारी पार्टी, जिसने कॉन्ग्रेस शासन को समाप्त कर दिया, उसे हिंदू वर्चस्ववादी आंदोलन- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आकार दिया है। मोदी और उनके कई मंत्री इस आंदोलन के सदस्य बने हुए हैं, जिन्हें हिंदू धार्मिक फासीवाद के रूप में वर्णित किया जा सकता है।”

पब्लिकेशन ने कहा है कि इमरान खान ने ऐसे लोगों के साथ कोशिश की, जिनकी शांति में दिलचस्पी नहीं है। ऐसे में अब खान के प्रयासों पर वैश्विक राय बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि आरएसएस के नेतृत्व में भारत वैश्विक तौर पर अछूत बन सके।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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