कोरोना वायरस की आपदा आने के बाद भारत ने न सिर्फ़ देश में रह रहे नागरिकों की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए बल्कि विदेश में रह रहे भारतीयों को भी वापस लाने के लिए सब कुछ किया। इसके अलावा भारत में फँसे विदेशियों को भी घर पहुँचाया। आँकड़ों के मुताबिक, अब तक भारत सरकार ने 43 देशों के 28 हज़ार से भी अधिक विदेशी नागरिकों को बाहर निकाल कर वापस उनके घर भेजने में सफलता प्राप्त की है। ये आँकड़े मध्य मार्च से लेकर 11 अप्रैल तक के हैं। साथ ही लॉकडाउन के बीच भी भारत सरकार ने विदेश में फँसे भारतीयों को वापस लाने का काम जारी रखा।
जिन विदेशियों को उनके घर पहुँचाया गया, उनमें 1200 अमेरिकी, 1400 कैनेडियन, 3000 जापानी और 2000 ब्रिटिश शामिल हैं। इसके अलावा यूरोप के भी कई लोगों को सकुशल उनके घर भेजा गया। इसके लिए मोदी सरकार ने चार्टर्ड और स्पेशल फ्लाइट्स की व्यवस्था की। इनमें दूसरे देशों ने भी अपने नागरिकों को निकालने के लिए फ्लाइट्स का इंतजाम किया। गल्फ देशों, यूरेशिया और पड़ोसी देशों के लोगों को निकाला गया। चुनौती यह थी कि अधिकतर विदेशी पर्यटक बड़े शहरों से काफ़ी दूर फँसे हुए थे।
सिंगापुर के 700 लोगों को वापस उनके घर भेजा गया। 3000 मलेशिया के लोगों के सकुशल वापसी की व्यवस्था की गई। बहुत सारे मलेशियन दक्षिण भारत में भी फँसे हुए थे। 400 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की वापसी की व्यवस्था की गई। हाल ही में 444 ऑस्ट्रेलियाई लोगों को एक विशेष फ्लाइट से मेलबर्न भेजा गया। इनमें 14 न्यूजीलैंड के लोग भी शामिल थे। क़रीब 6000 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने इंडियन मिशन के पास डिप्लोमैटिक हेल्प के लिए आवेदन किया था।
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— Sputnik (@SputnikInt) April 7, 2020
इजरायल, ब्राजील और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है क्योंकि उन देशों को कई ज़रूरी चीजें भारत ने मुहैया कराई। इनमें दवाएँ भी शामिल हैं। ‘वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन’ ने भी भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सराहा है।