भारत की यात्रा पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Nepal PM Sher Bahadur Deuba) ने शनिवार (2 अप्रैल 2022) को कालापानी सीमा विवाद (Kalapani Border Issue) सहित तमाम मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से द्विपक्षीय तंत्र स्थापित करने का आग्रह किया। वहीं, भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा कि सीमा विवाद मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचते हुए आपसी समझ के साथ हल करना चाहिए।
हैदराबाद में प्रधानमंत्री मोदी और देउबा के मुलाकात के दौरान भारत में विकसित रुपे कार्ड सुविधा का नेपाल में शुरुआत किया गया। इसके साथ ही नेपाल और भारत को रेलवे से जोड़ने और तथा पर्यटन सर्किट के माध्यम से दोनों देशों के तीर्थस्थलों को जोड़ने के साथ-साथ सौर ऊर्जा को लेकर भी समझौता हुआ।
चर्चा के बाद पत्रकारों से बात करते हुए देउबा ने कहा, “हमने सीमा मुद्दे पर चर्चा की और मैंने मोदी जी से एक द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के माध्यम से इसे हल करने का आग्रह किया।” बता दें कि कालापानी सीमा विवाद उत्पन्न होने के बाद से किसी नेपाली नेता की पहली भारत यात्रा है।
इधर भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा कि इस मुद्दे पर संक्षेप में चर्चा हुई। एक सामान्य समझ है कि दोनों पक्षों को अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना में चर्चा और बातचीत के माध्यम से इसे जिम्मेदार तरीके से सुलझाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐसे मुद्दों का राजनीतिकरण करने से बचने की जरूरत है।
नेपाल में भारत का रुपे कार्ड
दोनों नेताओं के मुलाकात के दौरान नेपाल में रुपे कार्ड की शुरुआत की आधिकारिक घोषणा भी की गई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ मित्रता की कोई तुलना नहीं है। उन्होंने कहा कि नेपाल में RuPay कार्ड की शुरुआत हमारी अर्थव्यवस्था की कनेक्टिविटी में एक नया अध्याय जोड़ेगी। नेपाल पुलिस एकेडमी, नेपालगंज में ई एकीकृत चेक पोस्ट, रामायण सर्किट जैसे प्रोजेक्ट दोनों देशों को और करीब लाएँगे।
रेल लाइन और पर्यटन सर्किट से जुड़ेंगे दोनों देश
वार्ता के दौरान भारत और नेपाल ने रेल संपर्क विकसित करने को लेकर भी समझौता किया। यह रेलवे लाइन बिहार के मधुबनी के जयनगर से नेपाल के कुर्था से जुड़ेगा। इस रेलखंड का विकास भारत की मदद किया जाएगा। इसके अलावा, भारत और नेपाल एक पर्यटन सर्किट बनाने पर भी काम कर रहे हैं। इस सर्किट में दोनों देशों के तीर्थस्थल जुड़ेंगे। इस सर्किट के तहत वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर और नेपाल के कठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर को जोड़ा जाएगा।
क्या है कालापानी विवाद
नेपाल की वामपंथी केपी शर्मा ओली की सरकार के कार्यकाल में मई 2020 में यह सीमा विवाद शुरू हुआ था। जून 2020 में नेपाल सरकार ने भारत के साथ सीमा विवाद के चलते बिहार के पूर्वी चम्पारण में ढाका अनुमंडल के लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के निर्माण कार्य को रोक दिया था।
इस विवाद को हवा देने के लिए जून 2020 में नेपाल ने अपने एफएम चैनल्स पर भारत विरोधी गानों का प्रसारण शुरू करवाया था। इन गानों के जरिए वह उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा के इलाकों को भारत से वापस लेने की बात कह रहा था। सितम्बर 2020 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया था कि चीन इस बीच भारत-नेपाल सीमा पर भारत-विरोधी विरोध प्रदर्शनों की फंडिंग कर रहा है।