Saturday, July 27, 2024
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पैंगबर से ज्यादा तारीफ इंसान की, गाना लिख कर वायरल करने वाले संगीतकार को अब मौत की सजा

प्रदर्शनकारियों ने संगीतकार के परिवार का घर जला दिया। उनका कहना है कि मौत की सजा का यह फैसला दूसरों को चेतावनी है, जिन्हें लगाता है कि वह पैगंबर की या फिर मजहब का अपमान कर देंगे और खुलेआम बचकर घूमते रहेंगे।

अफ्रीका महाद्वीप के नाइजीरिया में कानो नाम की एक जगह है, जहाँ शरिया अदालत लगती है। इसी अदालत में 22 वर्षीय एक संगीतकार को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। संगीतकार का नाम यहाया शेरिफ अमिन (Yahaya Sherif-Aminu) है।

यहाया पर आरोप है कि उसने अपने एक गीत में तिजानिया मुस्लिम ब्रदरहुड के एक इमाम की तारीफ करते हुए उसे पैंगबर से ज्यादा तरजीह दी और उसे मार्च महीने में व्हॉट्सएप के जरिए वायरल भी किया।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के हौसावा फिलिन हॉकी क्षेत्र में एक ऊपरी शरिया अदालत ने यहाया के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि 22 वर्षीय यहाया शरीफ-अमीन मार्च महीने में व्हाट्सएप के माध्यम से प्रसारित एक गीत के लिए ईशनिंदा का दोषी है।

इस सुनवाई में संगीतकार ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार नहीं किया। वहीं, न्यायाधीश खादी अलियू मोहम्मद कानी ने कहा कि यहाया चाहे तो इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील कर सकते हैं।

नाइजीरिया की इस अदालत के फैसले के बाद शरिया कानून पर बहस अब तेज हो गई हैं। सोशल मीडिया यूजर्स भी यहाया को बचाने की अपील कर रहे हैं। यहाया फिलहाल हिरासत में हैं। लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि गाना कंपोज करने के बाद से वह छिपते फिर रहे थे। जिसके कारण प्रदर्शनकारियों ने उनके परिवार के घर को जला दिया और इस्लामिक पुलिस के हेडक्वार्टर ‘Hisbah’ के बाहर एक्शन की माँग करने लगे।

प्रदर्शनकारियों का मत था कि यह गाना ईशनिंदा है और उस गीत में एक इमाम को पैगंबर के बराबर तरजीह दी गई है। बीबीसी के अनुसार, इस प्रोटेस्ट का नेतृत्व करने वाले इदरीस इब्राहिम ने कहा कि यह फैसला एक चेतावनी है, उन लोगों के लिए जो यहाया के रास्ते पर चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें यह फैसला सुनकर बेहद खुशी हुई क्योंकि इससे पता चलता है कि उनका प्रोटेस्ट व्यर्थ नहीं था। ये फैसला दूसरों को चेतावनी है जिन्हें लगाता है कि वह पैगंबर की या फिर मजहब का अपमान कर देंगे और खुलेआम बचकर घूमते रहेंगे।

बता दें कि शरीया की अदालत में कई मामलों में मौत की सजा मिलना बेहद आम बात है। उदहारण के लिए कई ऐसे मामले हैं, जहाँ महिलाओं को भी अदालत ने मौत की सजा सुनाई है, वो भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि निकाह के बाद उनके संबंध किसी और पुरूष से थे।

आखिरी बार नाइजीरिया के शरीया कोर्ट ने साल 2016 में अब्दुलजीज इन्यास को ईशनिंदा के आरोप में दोषी पाया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने कहा कि तिजानिया संप्रदाय के सेनेगल संस्थापक शेख इब्राहिम नियासे, जिनके अनुयायी पश्चिम अफ्रीका में बहुत तादाद में हैं, वह पैगंबर मुहम्मद से बड़े थे।

जानकारी के लिए बता दें कि नाइजीरिया के संप्रदाय विशेष बहुल इलाकों में न्याय के लिए शरिया कानून चलता है। इस कानून के तहत यदि कोई भी शख्स इस्लाम या उससे जुड़ी मान्यताओं की आलोचना, पैंगबर मोहम्मद को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी, के साथ लोगों की भावनाएँ आहत करता है तो उसके ख़िलाफ़ ईशनिंदा के तहत मामला दर्ज होता है औ मौत की सजा सुनाई जाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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