Tuesday, October 15, 2024
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‘पाकिस्तानी फौज ने जिन्ना को स्लो प्वाइजन देकर मारा’: भारत में ‘हिंदूराज’ के समर्थक अल्ताफ हुसैन का दावा, कहा- खुद को अल्लाह से भी ताकतवर समझते है आर्मी जनरल

अल्ताफ हुसैन अयोध्या में राममंदिर बनाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर कहा था कि वर्तमान सरकार को भारत में 'हिंदूराज' स्थापित करने का हक है। उन्होंने इस फैसले का विरोध करने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, "इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बना है तो आपको हिंदुस्तान में रहने की जरूरत नहीं है। जाइए और पाकिस्तान में रहिए मौलाना असदुद्दीन ओवैसी।"

पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तार को लेकर वहाँ के सैन्य प्रतिष्ठान पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि कभी सेना के दुलारे रहे इमरान खान को उसकी शह पर पद से अपदस्थ करके शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाया गया है। इसके बाद शहबाज शरीफ की सरकार ने सेना के कहने पर इमरान खान के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए।

पाकिस्तान मामलों के जानकारों का कहना है कि एक तरफ सेना और शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो जरदारी हैं तो दूसरी तरफ इमरान खान और देश की न्यायपालिका है। दोनों गुटों के बीच रस्साकशी जारी है। इसी तहत सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2023 को इमरान खान की हुई गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उन्हें रिहा कर दिया था।

लंदन में निर्वासन का जीवन जी रहे पाकिस्तान के प्रमुख नेता एवं मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के प्रमुख अल्ताफ हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान के निर्माण के वक्त से ही मुल्क की सियासत पर सेना का कब्जा है। उन्होंने कहा कि जो एक बार फौज का मुखबिर (करीबी के अर्थ में) बन जाता है वो उस गैंग से वापस नहीं निकल पाता। बदले में फौज उसे भरपूर करप्शन करने की छूट देती है।

DW उर्दू को दिए इंटरव्यू में अल्ताफ हुसैन ने कहा, “पाकिस्तान में गद्दार मूल रूप से फौजी जनरैल हैं। पाकिस्तान में दूसरों को गद्दारी का इल्जाम लगाने वाले फौजी जनरल हैं। पाकिस्तान की जो 2 परसेंट एलीट आर्मी है, वो रूल कर रही है पाकिस्तान में पिछले 75 सालों से। वे अल्लाह से भी खुद को ताकतवर समझते हैं। इन्होंने ये हाल कर दिया है कि IMF के वेंटिलेटर पर पाकिस्तान चल रहा है।”

पाकिस्तान में फौज की करतूतों के बारे में बात करते हुए अल्ताफ हुसैन ने कहा, “मिलिट्री स्टैबलिशमेंट ने सबसे पहले फाउंडर ऑफ पाकिस्तान कायदे आजम (मुहम्मद अली जिन्ना) को रास्ते से अलहदा किया प्वाइजन देकर, स्लो प्वाइजन… इसके बाद इन्होंने उनके राइट हैंड लियाकत अली खान को शहीद किया रावलपिंडी के भरे जलसे में…. उसके बाद मोहतरमा फातिमा जिन्ना को कत्ल किया अयूब खान के जमाने में।”

उन्होंने आगे कहा, “मिलिट्री का हमेशा से कब्जा रहा। 1947 के बाद आर्मी और उनके जेनरल ने सरकार की सारी सिस्टम पर कब्जा कर लिया। मुल्क में चाहे नवाज शरीफ की हुकूमत हो, आसिफ अली जारदारी की हुकूमत हो, बेनजीर भुट्टो की हुकूमत हो…. किसी की भी हुकूमत हो, वे सजदा जाकर ISI के हेडक्वार्टर और उससे पहले रावलपिंडी के GHQ (सेना मुख्यालय) में करेंगे। उसके बगैर वे हुकूमत नहीं कर पाएँगे।”

इंटरव्यू के दौरान अल्ताफ हुसैन ने कहा कि जब-जब MQM के खिलाफ पाकिस्तान में ऑपरेशन चलाया गया, तब-तब खुदा-ना-खास्ता नवाज शरीफ की सरकार थी। दरअसल, जून 1992 में MQM के खिलाफ ऑपरेशन शुरू हुआ तो मुल्क में नवाज शरीफ की हुकूमत थी। बेनजीर के दौर में भी वो ऑपरेशन जारी रहा। 1998 में उनके खास हकीम सईद का कत्ल कर दिया गया। उसके बाद साल 2013 में MQM के खिलाफ फिर ऑपरेशन शुरू हुआ।

नवाज शरीफ से रिश्ते को लेकर अल्ताफ हुसैन ने कहा, “मैं उन्हें अपना दोस्त समझता था। उसे हर वक्त मैंने मदद की, लेकिन बार-बार नवाज शरीफ ने मुझे धोखा दिया। हो सकता है कि नवाज शरीफ दोबारा पाकिस्तान चले जाएँ और वजीरे आजम बना दिए जाएँ। जो एक बार फौज का मुखबिर बन जाए, वो वापस उस माफिया गैंग से वापस नहीं आ सकता।” उन्होंने कहा कि इमरान खान मिट्ठी छुरी हैं।

कौन हैं अल्ताफ हुसैन?

अल्ताफ हुसैन को पाकिस्तान में मुहाजिर माना है। मुहाजिर पाकिस्‍तान का वह समुदाय है, जो उर्दू जुबान बोलता है और बँटवारे के समय भारत से पाकिस्‍तान आया था। पंजाबी वर्चस्व वाले पाकिस्तान में मुहाजिरों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है।

अल्ताफ हुसैन के परिवार का संबंध आगरा की नाई की मंडी इलाके से है। विभाजन से पहले अल्‍ताफ हुसैन के पिता यहीं रहा करते थे और भारतीय रेलवे में कार्यरत थे। साल 1947 में विभाजन के बाद बेहतर भविष्‍य की चाह में उनका परिवार पाकिस्‍तान के कराची में जाकर बस गया। वहीं पर 17 सितंबर 1953 में अल्‍ताफ हुसैन का जन्‍म हुआ। 

1980 में अल्‍ताफ ने मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) की स्‍थापना की, जो मुहाजिरों की मुहाफिज पार्टी मानी जाती है। MQM का कराची के शहरी इलाके और सिंध तथा हैदराबाद इलाके में मजबूत जनाधार है। माना जाता है कि भारत से जाने वाले मुस्लिमों को उन्हें एकतरफा समर्थन मिलता है। वहीं, पाकिस्‍तान की नेशनल एसेंबली में MQM चौथी सबसे बड़ी पार्टी है।

अल्‍ताफ हुसैन ने फार्मेसी की पढ़ाई पूरी करने के बाद कराची के एक अस्‍पताल में नौकरी शुरू की थी। कॉलेज के दिनों से ही अल्‍ताफ राजनीति में सक्रिय हो गए थे। नौकरी करने के कुछ समय बाद अल्‍ताफ हुसैन सक्रिय राजनीति में आ गए और MQM नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन किया।

सेना और पाकिस्तान की राजनीति में पाकिस्तानी पंजाब के वर्चस्व के बाद उनके खिलाफ समय-समय पर कई तरफ के आरोप लगाए गए। उन पर भारत के साथ संबंध होने के अलावा पाकिस्तान में ड्रग तस्करी करने से लेकर हत्या और दंगा करने तक के आरोप लगाए गए और उनके खिलाफ ऑपरेशन चलाया गया। इसके बाद साल 1992 में वे लंदन चले गए और वहीं से MQM का काम देखने लगे।

भारत-पाकिस्तान के बँटवारे का विरोध

अल्ताफ हुसैन समय-समय पर भारत बँटवारे का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान को फिर से एक साथ आने की अपील की। साल 2019 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में शरण माँगी थी। उन्होंने कहा था, अगर प्रधानमंत्री मोदी मुझे मेरे साथियों के साथ भारत में शरण देते हैं तो मैं भारत आने के लिए तैयार हूँ। वहाँ मेरे दादा-दादी और हजारों रिश्तेदार दफन हैं।

उन्होंने अयोध्या में राममंदिर बनाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर कहा था कि वर्तमान सरकार को भारत में ‘हिंदूराज’ स्थापित करने का हक है। उन्होंने इस फैसले का विरोध करने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, “इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बना है तो आपको हिंदुस्तान में रहने की जरूरत नहीं है। जाइए और पाकिस्तान में रहिए मौलाना असदुद्दीन ओवैसी।”

साल 2016 में अल्‍ताफ हुसैन ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि पाकिस्‍तान दुनिया का कैंसर है। इसको लेकर पाकिस्तान में बवाल हो गया। उसके बाद पाकिस्तान में MQM के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई। इसको देखते हुए हालाँकि बाद में उन्होंने माफी माँग ली और दबाव में आकर कहना पड़ा कि मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पार्टी के फैसले अब वह खुद नहीं करेंगे, बल्कि सारे फैसले पार्टी की कोऑर्डिनेशन कमिटी करेगी।

पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले फारूक सत्तार सहित पार्टी के कई सांसदों और नेताओं को पकड़ लिया गया और महीनों तक जेल में रखा गया। सत्तार जब जेल से बाहर निकले तो उन्होंने अल्ताफ हुसैन का विरोध किया और MQM-P (मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट- पाकिस्तान) नाम से एक अलग पार्टी बना ली। सेना के शह पर बनी इस पार्टी में MQM के कई बड़े नेता शामिल हो गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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