Sunday, November 17, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयश्रीलंका में चीन की 'हार': भारत के विरोध पर जासूसी जहाज को अनुमति नहीं,...

श्रीलंका में चीन की ‘हार’: भारत के विरोध पर जासूसी जहाज को अनुमति नहीं, हंबनटोटा बंदरगाह लीज भी नहीं आया काम

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने चीन से नजदीकियाँ बढ़ाई थीं और बंदरगाह को सौंप को उसे सौंप दिया था। इसके बाद चीन दो बार अपने सबमरीन को हंबनटोटा बंदरगाह पर भेज चुका है।

चीन के कर्ज के चंगुल में फँसकर आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका को भारत से हर तरह की मदद मिलने के बाद उसका रवैए में बदलाव दिखने लगा है। श्रीलंका सरकार ने चीन के जासूसी जलयान को अपने क्षेत्र में घुसने की अनुमति नहीं दी है। माना जा रहा है कि भारत के विरोध के बाद श्रीलंका सरकार ने यह निर्णय लिया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इससे पहले श्रीलंका के अधिकारियों से चीन जासूसी जहाज की यात्रा के उद्देश्य के बारे में जानना चाहा था। यह मुद्दा भारतीय संसद में भी उठाया गया था। बता दें कि 1987 की संधि तहत श्रीलंका अपने किसी भी बंदरगाह को उन देशों की जहाजों के लिए नहीं उपलब्ध करा सकता, जो भारतीय हित के खिलाफ हो।

चीन का जासूसी जहाज युआन वांग-5 पिछले महीने 13 जुलाई को जियानगिन पोर्ट से रवाना हुआ था और वह 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुँचने वाला था। यह जहाज 17 अगस्त तक हंबनटोटा बंदरगाह पर रहने वाला था। हालाँकि, भारत के विरोध के बाद श्रीलंका ने चीन से इस जहाज का आगमन टालने के लिए कहा है।

इस जासूसी शिप को चीन स्पेस और सैटेलाइट ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही इसके जरिए सैटेलाइट, रॉकेट और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग को ट्रैक किया जाता है। यह ऐसी गतिविधियों को 750 किलोमीटर दूर से ट्रैक कर सकता है।

चीन का यह जासूसी जहाज युआन वांग सीरीज की तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग जहाज है। इसे 29 सितंबर 2007 को सेवा में शामिल किया गया था। इसे चीन के 708 अनुसंधान संस्थान द्वारा डिजाइन किया गया है।  इसमें छिपकर सुनने वाले उपकरण मौजूद हैं।

बता दें कि साल 2017 में चीन का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण श्रीलंका ने अपने देश के दक्षिण में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया था। इसके बाद चीन ने इस बंदरगाह को कई तरह से विकसित किया है।

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने चीन से नजदीकियाँ बढ़ाई थीं और बंदरगाह को सौंप को उसे सौंप दिया था। इसके बाद चीन दो बार अपने सबमरीन को हंबनटोटा बंदरगाह पर भेज चुका है।

वहीं, रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस जासूसी विमान के जरिए हिंद महासागर की गहराई की मैपिंग और भारत की जासूसी करना चाह रहा है। इससे वह हिंद महासागर की गहराई मापकर पनडुब्बी के इस्तेमाल को समझना चाहता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -