Sunday, November 3, 2024
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जिन्हें Pak में ज़िंदा जला डाला, उनकी पत्नी ने लगाई न्याय की गुहार: पोस्टमॉर्टम से खुलासा – कई हड्डियाँ टूटी हुई, जलाने से पहले किया टॉर्चर

वो लाहौर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सियालकोट में 'राजको इंडस्ट्रीज' नामक फैक्ट्री में कार्यरत थे, जो गारमेंट्स और स्पोर्ट्सवियर बनाती है। जलाने से पहले उन्हें घसीटा भी गया था और भीड़ ने उनकी पिटाई भी की थी।

पाकिस्तान में शुक्रवार (3 दिसंबर, 2021) श्रीलंका के प्रियंथा कुमार दियवदना की ज़िंदा जला कर हत्या कर दी गई, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। अब मृतक की पत्नी ने पाकिस्तान और श्रीलंका, दोनों देशों की सरकारों से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि उनके पति एक मासूम व्यक्ति थे। प्रियंथा कुमारा पाकिस्तान की एक फैक्ट्री में काम करते थे, जहाँ उन पर ईशनिंदा का आरोप लगा कर दिनदहाड़े उन्हें सार्वजनिक रूप से ज़िंदा जला दिया गया।

वहाँ वो एक गारमेंट फैक्ट्री में बतौर जनरल मैनेजर कार्यरत थे। पाकिस्तान के कट्टरवादी इस्लामी संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ ने ने फैक्ट्री में हमला कर के भी तोड़फोड़ मचाई। पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में हुई इस घटना को लेकर इमरान खान की सरकार और कार्रवाई का दबाव है। अब तक इस मामले में आतंकवाद की धाराओं में 900 लोगों को आरोपित बनाया गया है, जिसमें से 235 को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। इनमें से 13 मुख्य आरोपित हैं।

मृतक की पत्नी ने कहा कि उन्हें उनके पति की मॉब लिंचिंग के बारे में ख़बरों से पता चला और बाद में इंटरनेट पर भी उन्हें ये घटना दिखी। उन्होंने इसे क्रूर हत्या बताते हुए कहा कि उनके पति एक निर्दोष इंसान थे। उन्होंने अपने दो बच्चों के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए हत्यारों को सज़ा दिलाने की माँग की है। कोलम्बो से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मृतक के घर पर श्रीलंका के मंत्री नमन राजपक्षे और प्रसन्ना राणातुंगा भी पहुँचे। प्रियंथा कुमारा ने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ परदेनिया’ से स्नातक किया था।

वो लाहौर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सियालकोट में ‘राजको इंडस्ट्रीज’ नामक फैक्ट्री में कार्यरत थे, जो गारमेंट्स और स्पोर्ट्सवियर बनाती है। श्रीलंका की सरकार ने घटना की निंदा करते हुए उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान की सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करेगी। जलाने से पहले उन्हें घसीटा भी गया था और भीड़ ने उनकी पिटाई भी की थी। इसके बाद भीड़ ने वजीराबाद रोड को जाम कर दिया था। इसी तरह अप्रैल 2017 में ईशनिंदा का आरोप लगा कर एक यूनिवर्सिटी छात्र मशाल खान की मॉब लिंचिंग हुई थी।

पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएँ नई नहीं हैं। पंजाब प्रान्त में ही 2014 में कुरान के अपमान का आरोप लगा कर एक ईसाई कपल को ज़िंदा जला दिया था। श्रीलंकाई नागरिक प्रियंथा कुमारा की हत्या से पहले लाठी-डंडों और लात-घूसों से उन्हें पीटने वालों में अधिकतर फैक्ट्री के मजदूर ही थे। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि उनके शरीर की कई हड्डियाँ टूट गई थीं। बताया जा रहा है कि वो अनुसाशन प्रिय थे, इसीलिए कुछ मजदूर उनसे नाराज़ थे। उन्होंने कुछ ही दिनों पहले खराब काम को लेकर एक मजदूर को नसीहत दी थी।

बता दें कि एक वीडियो में हत्यारों ने कहा था, “हमने अपने साथियों से कहा कि ये गलत हुआ है। हमने अपने मैनेजमेंट से बात की। हम सब मिल कर इकट्ठे हुए और उस पर तेल डाल कर जला दिया। जो भी ऐसा करेगा, हमारे रसूल के नाम पर तो जान भी कुर्बान है। हमारे हदीस में लिखा है कि जो भी नबियों की शान में गुस्ताखी करेगा, उसका सिर तन से जुदा कर दिया जाएगा।” एक अन्य ने कहा था, “मोहम्मद कलाम नाम है मेरा। फरहान, मोहम्मद फरहान। पेपर पर हुसैन लिखा था। उसने लेकर फाड़ दिया। फाड़ कर डस्टबिन में डाल दिया।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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