गत जून माह में गलवान घाटी (Galwan valley) पर भारतीय सैनिक और चीनी फौजियों के बीच हुई आपसी झड़प चीन की साजिश का परिणाम थी, इसका खुलासा अमेरिका ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में किया है।
अमेरिकी संसद कॉन्ग्रेस की एक शीर्ष समिति ने बुधवार (दिसंबर 2, 2020) को जारी की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि चीन सरकार ने इस साल जून में गलवान घाटी में हुई खूनी हिंसा की ‘साजिश’ रची थी। यानी वह झड़प जिसमें भारत ने अपने 20 सैनिक खोए, वह कोई तुरंत पैदा हुई स्थिति का परिणाम नहीं थी बल्कि उनकी ही योजना का हिस्सा थी।
Breaking: Top US panel says Galwan was planned by Chinese govt. United States-China Economic and Security Review Commission (USCC) says, “Some evidence suggested the Chinese government had planned the incident, potentially including the possibility for fatalities” pic.twitter.com/0eWEMaKMLE
— Sidhant Sibal (@sidhant) December 2, 2020
झड़प के 6 महीने बाद अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट ‘यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमिशन’ में इस बात का उल्लेख किया है कि कुछ ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चला है कि चीनी सरकार ने गलवान घाटी पर हिंसा के लिए अपनी योजना बनाई थी, जिसमें संभावित रूप से जानलेवा हमले की संभावना भी शामिल थी। रिपोर्ट में अमेरिका ने अपना दावा करते हुए सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में झड़प वाले हफ्ते हजार की तादाद में पीएलए सैनिकों को तैनात किया गया था।
इसके अलावा रक्षा मंत्री वेई ने भी झड़प से कई हफ्ते पहले अपने बयान में चीन को उकसाते हुए स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन सरकार के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस उकसावे वाले कदम को उठाने के पीछे का ठीक-ठीक कारण अभी इस वर्ष पता नहीं चल पाया है। लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसके पीछे उनका उद्देश्य रणनीतिक सड़क तैयार करना था। इतना ही नहीं चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत को चेतावनी दी थी कि भारत अमेरिका-चीन प्रतिद्वंदिता में शामिल होता है तो उसे व्यापार और आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब दिया जाएगा।
गौरतलब है कि जून में LAC पर हुई हिंसा 1975 के बाद पहली ऐसी हिंसा थी जिसमें सैनिकों ने जान गवाई। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई और संघर्ष में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे जबकि चीन के 43 से अधिक जवानों के हताहत होने की सूचना सामने आई थी। चीन ने भारतीय सेना पर हमला करने के लिए लाठी-ंडंडे, रॉड, हॉकी, ड्रैगन पंच, कंटीली तारों वाले हथियार आदि का इस्तेमाल किया था।