प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्तमान में अमेरिका की यात्रा पर हैं। उनकी इस बहुउद्देशीय यात्रा की शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के साथ मिलने शुरू हुई। बायडेन ने पीएम मोदी को अपने डेलावेयर स्थित घर पर बुलाया था। पीएम मोदी के अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने से पहले अमेरिकी रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने अमेरिकी सिखों से मुलाक़ात की। सामने आया है कि अमेरिकी सरकार ने इन सिखों को हर प्रकार से बचाने का वादा किया है। अमेरिका ने यह वादा इसलिए किया है क्योंकि यह खालिस्तान समर्थक भारत पर अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाते रहे हैं।
अमेरिकी अधिकारियों से मिलने वाले इन संगठनों में अमेरिकन सिख कॉकस कमिटी (ASCC), सिख कोएलिशन और सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) शामिल थे। इन संगठनों का खालिस्तानी एजेंडा चलाने का इतिहास रहा है। एक्स पर एक पोस्ट में, ASCC के प्रीतपाल सिंह ने लिखा, “अमेरिकी सिखों की की रक्षा में सहयोग के लिए अमेरिकी अधिकारियों का आभार। हम अपने समाज की सुरक्षा के लिए और काम उनके आश्वासन पर कायम रहेंगे। स्वतंत्रता और न्याय की जीत होनी चाहिए।”
Thankful to U.S. officials for their vigilance in protecting Sikh Americans. We will hold them to their assurances to do more in safeguarding our community. Freedom and justice must prevail.https://t.co/4YnNZagTRl
— Pritpal Singh (@PritpalASCC) September 20, 2024
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब खालिस्तानी आतंकी गुरवतपन्त सिंह पन्नू ने अमेरिका में भारत के खिलाफ एक मुकदमा दाखिल किया है। इस मामले में अमेरिकी कोर्ट ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को तलब किया है। भारत के बाहर खालिस्तानियों की आवाज दबाने के आरोपों को लेकर एक बिल भी अमेरिकी संसद में आ चुका है। इसमें सीधे तौर पर सिखों का नाम नहीं लिया गया लेकिन कहा गया है कि अगर कोई देश अमेरिका के भीतर उसके नागरिकों की आवाज दबाने का प्रयास करता है तो उसे बताना होगा।
यह बिल एडम शिफ़ नाम के एक सांसद द्वारा लाया गया है। SALDEF ने इस बिल का समर्थन किया है। SALDEF की प्रवक्ता किरण कौर गिल ने कहा कि यह अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा में एक बड़ा कदम होगा। सिख कोएलिशन ने भी यही भाषा बोली है। हरमन सिंह ने कहा, “हम इस बिल को लाने करने और भारत द्वारा सिखों को निशाना बनाए जाने के खतरे को गंभीरता से लेने के लिए कॉन्ग्रेसमैन शिफ के प्रति आभारी हैं।” स्वर्णजीत सिंह खालसा नाम के एक व्यक्ति ने भी इस बिल का समर्थन किया।
अमेरिकन सिख कॉकस कमिटी
ASCC की गतिविधियों से प्रतीत होता है कि यह एक अलगाववादी संगठन है जो भारत से खालिस्तान तोड़ने की माँग को लेकर 2015 से काम कर रहा है। इसका एक प्रमुख सदस्य प्रीतपाल लगातार पाकिस्तानियों के सम्पर्क में है और उनसे मुलाकातें करता रहा है। फरवरी 2020 में उसने पाकिस्तानी नेता नईमुल हक के साथ 2019 में ली गई एक तस्वीर शेयर की थी। नईमुल हक़ की यह तस्वीर उसकी मौत के बाद साझा की गई थी। प्रीतपाल ने “नईमुल हक के से पाकिस्तान ने एक महान नेता और सिखों ने एक मित्र खो दिया है।”
इससे पहले प्रीतपाल की तस्वीरें पाकिस्तान के एक और नेता आज़मी गिल के साथ आईं थी। जनवरी 2024 में उसने हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन को एक जवाब देते हुए खालिस्तान का खुले तौर पर समर्थन किया था। प्रीतपाल का कहना है कि हिन्दुओं में जाति व्यवस्था की तरह ही सिख भी खालिस्तान माँग सकते हैं। उसने खुद पर खतरा भी बताया था।
Just like the @HinduAmerican Foundation has the right to advocate for a society’s segregation based Caste System(वर्णाश्रम), Sikhs also have the right to champion the cause of a Free Punjab and the establishment of Khalistan. In America, where freedom of belief is paramount, let…
— Pritpal Singh (@PritpalASCC) January 7, 2024
जून 2024 में, उन्होंने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर अब प्रतिबंधित अल जज़ीरा डॉक्यूमेंट्री साझा की। उसने इस पर लिखा, “भारत, अमेरिका और कनाडा में आलोचकों को कैसे चुप कराता है। जुलाई 2022 में, कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने हरदीप निज्जर को चेतावनी दी थी कि उसकी जान को खतरा है। खतरे के बावजूद, उसने खालिस्तान का समर्थन जारी रखा। दुख की बात है कि निज्जर की जून 2023 में भारतीय एजेंटों द्वारा हत्या कर दी गई। अल जज़ीरा डॉक्यूमेंट्री दमन के इस भयावह उदाहरण को उजागर करती है।”
सिख कोएलिशन
सिख कोएलिशन एक ओर कहता है कि वह खालिस्तान की माँग को लेकर कोई रुख नहीं रखता लेकिन दूसरी तरफ वह भारत के विरुद्ध लगातार काम करता आया है। वह इस्लाम्मी आतंकी संगठनों से लिंक रखने वाले IAMC का भी समर्थन करता रहा है। फरवरी, 2021 में बेसबॉल के बड़े मुकाबले सुपर बॉल के दौरान भारत में हो रहे किसान प्रदर्शनों को लेकर एक एड चलाया गया था। यह एड काफी महँगे होते थे। इस प्रदर्शन का कनेक्शन इसी सिख कोएलिशन से निकला था।
A free press is the cornerstone of a strong democracy. Under Mr. Modi's leadership, India has experienced a sharp decline in press freedom, including arrests and expulsions of journalists and the suppression of dissent. https://t.co/72uXJkOxmZ
— Sikh Coalition (@sikh_coalition) June 22, 2023
सिख गठबंधन को ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन (OSF) से भी फंडिंग मिलती है। OSF जॉर्ज सोरोस का संगठन है, उसने प्रधानमंत्री मोदी सहित राष्ट्रवादियों और राष्ट्रवाद के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा की थी। जुलाई 2023 में, सिख कोएलिशन ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में एक रिपोर्ट साझा की थी। यह रिपोर्ट प्रेस की आजादी की रैंकिंग से जुड़ी थी। ऑपइंडिया ने पहले ही बताया है कि ऐसी रैंकिंग निराधार आरोपों, संदिग्ध आंकड़ों और पुरानी रिपोर्टों पर आधारित हैं।
सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF)
SALDEF खुले तौर पर खालिस्तान का समर्थन नहीं करता लेकिन इसकी गतिविधियाँ भी संदिग्ध रही हैं। यह दिखाती हैं कि यह खालिस्तान समर्थक है। सितंबर 2023 में, SALDEF ने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की थी, इसमें खालिस्तानी आतंकी से नेता बने अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई और खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार को निशाना बनाया गया। उसने अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी के विरुद्ध बात की थी।
SALDEF ने फरवरी 2024 में, इक्वलिटी लैब्स, हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HFHR) और IAMC के साथ मिलकर “वर्चुअली वल्नरेबल” नाम से एक रिपोर्ट जारी की थी। ये सभी भारत विरोधी संगठन हैं, जिनमें से दो के आतंकवादी संगठनों से संबंध साबित हुए हैं। रिपोर्ट में, उन्होंने दावा किया कि जब भी भारतीय राज्य सिखों की आवाज़ को दबाना चाहता है, तो वे उन्हें “खालिस्तानी” के रूप में लेबल करते हैं। हालाँकि, यह पूरी तरह से झूठ है।
सिख असेम्बली ऑफ़ अमेरिका
सिख असेंबली ऑफ अमेरिका एक अलगाववादी संगठन है। यह खालिस्तान की माँग को ओने मिशन स्टेटमेंट में शामिल करते हैं। यह एक नया संगठन लगता है। यह हरदीप सिंह निज्जर और गुरपतवंत सिंह पन्नू सहित खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया पर खुलेआम पोस्ट शेयर करता है। हाल ही में एक पोस्ट में, इस संगठन ने 2024 के उसी एक्ट पर चर्चा लिखी जिसे शिफ़ ने पेश किया था।
इसने लिखा, “यह बिल अमेरिका सिखों के दमन के लिए भारत को जवाबदेह ठहराएगा। यह बिल अमेरिका में सिखों के उत्पीड़न और धमकाने से निपटने में मदद करेगा।” इसके अलावा संगठन ने कहा कि बिल में खालिस्तान के लिए सिखों की माँग को उजागर किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि बिल के प्रायोजकों में कांग्रेसी डैन गोल्डमैन, जेम्स मैकगवर्न और एरिक स्वेलवेल और कांग्रेसी बारबरा ली, इल्हान उमर और एलेनोर होम्स नॉर्टन शामिल हैं। एक और पोस्ट में इसी संगठन ने आतंकी अवतार सिंह खंडा और निज्जर जिक्र किया था।
अमेरिकी अधिकारियों का खालिस्तान समर्थक संगठनों से मिलना अमेरिका की सरकार के लिए काफी बुरा संकेत है। लम्बी अवधि में अमेरिका को अपनी भूमि पर तेजी से फैल रहे भारत विरोधी बयानबाजी को नियंत्रित करना होगा और भारत के साथ काम करने के लिए उसे यह जल्द से जल्द करना चाहिए।