अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे बिल को मँजूरी दे दी है जिससे चीन की की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के द्वारा उइगर मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यकों पर बरपाए जा रहे कहर के खिलाफ अमेरिका में लाए गए एक विधेयक पर राष्ट्रपति ट्रंप ने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
— ओमप्रकाश दहिया,सोनीपत, हरियाणा(मैं हिन्दू हूँ) (@omparkashdahiya) June 18, 2020
अमेरिकी कॉन्ग्रेस के विधेयक पारित करने के बाद बुधवार (17 जून, 2020) को ट्रंप ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। मामले में राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना एक बयान जारी करते हुए कहा कि 2020 उइगर मानवाधिकार नीति अधिनियम ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन के अपराधियों’ को जवाबदेह ठहराएगा। वहीं इस बिल में पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य जातीय समूहों की व्यापक निगरानी और हिरासत में लेने वाले चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध भी शामिल है।
इसके बाद उइगरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे वकील नुरी टर्केल ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा,”यह अमेरिका और उइगर लोगों के लिए एक महान दिन है।” चीन उइगर मुस्लिम को अपने लिए खतरा मानता है। चीन ने इन पर दाढ़ी बढ़ाने और नकाब पहनने के कारण भी ऐक्शन लिया है और उन्हें अज्ञात जगह पर हिरासत में भेज दिया गया है।
दरअसल चीन में एक लाख से अधिक लोगों को बदतर हालात में शिविरों में हिरासत में रखने के खिलाफ और उसे दंडित करने के लिए किसी भी देश द्वारा उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि शिविरों में दस लाख से अधिक उइगर मुस्लिमों को हिरासत में लिया गया है।
दरअसल कोरोना वायरस के चलते चीन और अमेरिका पहले से ही आमने-सामने हैं। इसी बीच अमेरिका के इस कदम से चीन और भी भड़क सकता है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 27 मई को उइगर मुस्लिमों का उत्पीड़न करने के जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को भारी बहुमत से मँजूरी दी थी।
जानकारी के मुताबिक इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं। इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है। इनकी आबादी की बात की जाए तो तुर्क मूल के उइगर मुस्लिमों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से अधिक है।
वहीं इस क्षेत्र में रहने वाले उइगर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी चीन सरकार ने अंकुश लगा रखा है। 2014 में शिनजियांग की सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने और मुस्लिम नागरिकों के दाढ़ी बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी। 2014 में ही राष्ट्रपति जिनपिंग के सख्त आदेशों के बाद यहाँ की कई मस्जिदें और मदरसे ढहा दिए गए थे।