असम में चल रहे बाढ़-राहत कार्य में चीन, रूस और फ्रांस ने तकनीकी सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है। तीनों देश अपनी-अपनी सैटेलाइटों से बाढ़ की तस्वीरें भारत को मुहैया कराएँगे, जिस से बाढ़-क्षेत्र के फैलाव का दायरा पता चले। भारत The International Charter Space and Major Disasters के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है, जिसका सदस्य होने के नाते वह इस 32-सदस्यीय संगठन के सदस्यों को ‘रिक्वेस्ट’ भेज कर चार्टर का आह्वाहन कर सकता है। इसके अंतर्गत उन सदस्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों में मौजूद कोऑर्डिनेटरों के माध्यम से तस्वीरें मिल सकतीं हैं, जिन देशों की सैटेलाइटें सबसे अच्छे तरीके से आपदा-प्रभावित क्षेत्रों को देख पा रहीं हैं।
ISRO द्वारा 17 जुलाई को भेजी गई रिक्वेस्ट के जवाब में फ्रांस के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अध्ययन केंद्र (National Centre for Space Studies), चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (National Space Administration) और रूस के ROSCOSMOS ने अपने उपग्रहों से असम की मिल रहीं तस्वीरें साझा कीं। यह तस्वीरें धुबरी, मरीगाओं, बारपेटा, धेमाजी, लखमीपुर की थीं।
इसके अलावा अमेरिका के USGS (United States Geological Survey), ESA (European Space Agency) और तीन अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों से तस्वीरें मिलने की बात विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कही। यह सभी तस्वीरें इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र ने प्राप्त कीं। इसरो के खुद के CARTOSAT उपग्रह ने भी बाढ़-प्रभावित क्षेत्र की तस्वीरें लीं।
आम बात है
मीडिया से बात करते हुए रवीश कुमार ने बताया कि विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच यह तालमेल और सहयोग न केवल त्वरित प्रतिक्रिया में सहायक होता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में “आम बात” है। उन्होंने मीडिया को यह भी सूचित किया कि ISRO ने भी भूतकाल में ऐसा सहयोग अन्य देशों को दिया है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 2014 के अगस्त में जब चीन के युनान प्रान्त में 398 लोगों की जान लेने वाला भूकंप आया था, उस समय इसरो ने भी CARTOSAT से ली हुई तस्वीरें चीन की एक्टिवेशन रिक्वेस्ट के बाद भेजी थीं।