पैगम्बर मुहम्मद पर टिप्पणी करने के बाद कमलेश तिवारी की नृशंस हत्या में उत्तर-प्रदेश पुलिस के डीजीपी ने इस बात को पुख्ता कर दिया कि घटना प्रथम-दृष्टया कट्टरता की है। इस मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति ने भी इस बात को कबूला है कि मुहम्मद पर टिप्पणी करने के चलते कमलेश की हत्या की गई। शुक्रवार 18 अक्टूबर को हुई इस घटना की जाँच में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया, इनमें राशिद, फैज़ान और मौलाना मोहसिन शामिल हैं।
जब इस घटना की तस्वीरें लोगों तक पहुँचीं तो गहरे घाव वाली कमलेश तिवारी की गला रेती लाश देखकर हर कोई विचलित हो गया। कमलेश तिवारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट अपनी मौत से करीब दो दिन पहले साझा किया था। उन्होंने उस पोस्ट में लिखा था कि कैसे उन्हें यूपी आईबी से फोन कर इस सन्दर्भ में बताया गया था। इसी से यह भी पता चलता है कि कमलेश पहले से ही जिहादियों के निशाने पर थे।
बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के में एक पूरे हिन्दू परिवार की हत्या के विरोध में तिवारी की हिन्दू समाज पार्टी बंगाल में इसका विरोध प्रदर्शन करने में व्यस्त थी। कमलेश ने यह भी लिखा है कि उन्हें यूपी आईबी से कॉल आया था, जिसमें उन्होंने कमलेश से उनके कोलकाता जाने के बारे में सारी जानकारी माँगी थी क्योंकि उन्हें जिहादियों से खतरा था।
बीते दिनों कमलेश तिवारी के ट्विटर से अख़बार की एक तस्वीर ट्वीट की गई थी, जिसमें खबर यह थी कि एटीएस ने गुजराती मूल के दो संदिग्ध (ISIS से ताल्लुक रखने वाले) को गिरफ्तार किया गया था, जो उनकी हत्या करना चाहते थे। 2015 में पैगंबर मुहम्मद को लेकर बयान देने के बाद से ही वे कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गए थे। बयान के बाद सहारनपुर से लेकर देवबंद और पश्चिम बंगाल के कट्टरपंथियों ने तिवारी का सर काट देने जैसी माँगें उठाकर दंगे जैसे हालात कर दिए थे। कमलेश तिवारी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत साल भर से ज्यादा समय के लिए जेल में बंद कर दिया गया था। 2016 में इन सभी आरोपों को अवैध करार देते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में हिन्दू समाज पार्टी के नेता पर लगे रासुका के आरोपों को गलत बताया था।
पैगम्बर मुहम्मद पर कमलेश तिवारी के बयान के बाद विवाद इतना बढ़ गया था कि पश्चिम बंगाल के मालदा में कट्टरपंथियों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर भयंकर उपद्रव किया था। उनके बयान पर कट्टरपंथियों का विरोध इतना भयंकर था कि ढाई लाख लोगों ने इकट्ठा होकर मालदा के कालियाचक बाज़ार में दुकानों को लूट लिया, सड़क पर खड़ी बसें जला डालीं और पुलिस के एक थाने को आग के हवाले कर दिया।