14 अप्रैल 2022 को आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम का एक पत्र सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को धमकी दी हुई थी। पत्र को जारी ही काफिरों के नाम पर किया गया था। इसमें कहा गया था कि या तो वो घाटी को छोड़ें या फिर अंजाम भुगतने को तैयार हों। पत्र में कहा गया कि अगर कश्मीरी पंडितों ने बात नहीं मानी तो उन्हें मार कर जहन्नुम में भेजा जाएगा और न तो प्रधानमंत्री मोदी और न ही अमित शाह उन्हें बचा पाएँगे।
पत्र में हिंदुओं से कहा गया कि उन्हें अल्लाह के नुमाइंदे देख रहे हैं और अगर उन्हें कश्मीर में रहना है तो धर्मांतरण करना होगा। पत्र में लिखा है, “तुम लोगों को अल्लाह के नुमाइंदे देख हे हैं। एक एक करके तुम सब मारकर नर्क में भेजे जाओगे। हर कश्मीरी पंडित मरेगा। कश्मीर सिर्फ उनके लिए है जो अल्लाह को मानेंगे और उनके रास्ते पर चलेंगे।”
अब एक ओर जहाँ सालों से कश्मीरी पंडितों को निशाना बनते देख इस पत्र से एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा पर सवाल उठना शुरू हुआ, 90 का वो समय याद किया जाने लगा जब हिंदुओं को ऐसी ही धमकियों के बाद घाटी छोड़ने को मजबूर किया गया था तो ऑल्ट न्यूज मैदान में आया और इस पत्र को झूठा बताने के लिए फैक्ट चेक किया जबकि दिलचस्प बात ये है कि ये पत्र फर्जी है इसके कोई सबूत कहीं और नहीं हैं। मगर ऑल्ट न्यूज ने उन बिंदुओं को खोजा है जो ये बता सकें कि इस्लामी आतताइयों के नाम से जारी ये पत्र उनका नहीं है।
ऑल्टन्यूज का फैक्ट चेक
ऑल्टन्यूज ने अपना फैक्ट चेक विवेक अग्रिहोत्री के ट्वीट से शुरू किया जिसमें उन्होंने इस पत्र को शेयर किया था। इसके बाद उन्होंने अन्य मीडिया प्रकाशनों का नाम अपनी रिपोर्ट में डाला और ये बताने की कोशिश की कि कैसे दक्षिणपंथी विचारधारा वाले संस्थानों ने इस पत्र के बारे में प्रकाशित किया है लेकिन उनके ऊपर विश्वास नहीं किया जा सकता। इसके बाद इस फैक्ट चेक में ऑल्टन्यूज, पत्र की हकीकत को जानने के लिए कुलगाम के सरपंच तक पहुँचा। जहाँ ऑल्ट न्यूज को मानना पड़ गया कि सरपंच ने भी कहा है कि ये पत्र कश्मीरी हिंदुओं को डाक द्वारा प्राप्त हुआ है।
Veervan Pandit Colony #Baramulla received threatening letter through post saying “Raliv, Galiv or Tchaliv” pic.twitter.com/6umZrxSoux
— Vijay Raina (@RealVijayRaina) April 13, 2022
ऑल्ट न्यूज के फैक्ट चेक में कुलजाम के सरपंच विजय रैना का बयान लिखा गया, जिसके मुताबिक उन्होंने कहा कि ये पत्र बारामुला जिले की वीरवन कॉलोनी के स्थानीयों को मिला और उनके मुताबिक इसे डाक द्वारा भेजा गया।
अब किसी सामान्य न्यूज संस्थान के लिए शायद यहाँ बात खत्म हो जाती है जब खुद कश्मीरी पंडित ही इस बात को बता दें कि उन्हें ये पत्र मिले हैं। लेकिन ऑल्ट न्यूज जैसे संस्थान के लिए ये जवाब वो नहीं है जो वो अपने फैक्ट चेक में देना चाहते हैं। उन्होंने अपने पाठकों के दिमाग से खेलने के लिए पूरी जी जान से समझाया कि ये पत्र गलत है और किसी इस्लामी ने हिंदुओं को काफिर कहकर मारने की धमकी नहीं दी।
ऑल्ट न्यूज ने 5 बिंदुओं पर पाठकों को ये समझाया कि कैसे ये पत्र गलत है।
पत्र में कोई हस्ताक्षर नहीं है– सबसे पहले ऑल्ट न्यूज ने ये दिखाया कि कैसे ये पत्र इसलिए फर्जी है क्योंकि इस पर कमांडर के कोई हस्ताक्षर नहीं है। शायद ऑल्ट न्यूज मानता है कि आतंकी संगठन कॉरपोरेट कंपनियों की तरह काम करते हैं और उनके पत्रों में भी वो नियम फॉलो किए जाने चाहिए जो कि किसी भी कंपनी के आधिकारिक पत्र में फॉलो होते हैं।
लश्कर-ए-इस्लाम की स्पेलिंग गलत– अगला बिंदु जो ऑल्ट न्यूज ने पत्र को फर्जी बताने के लिए इस्तेमाल किया वो ये कि उन्हें लश्कर-ए-इस्लाम के पत्र में वर्तनी अशुद्धियाँ मिलीं। ऑल्ट न्यूज मानता है कि लश्कर-ए-इस्लामी अपना ही नाम कैसे गलत लिख सकता है। अपनी बात को समझाने के लिए उन्होंने पाकिस्तानी साइट तक का उदाहरण दिया है और ये कहा है कि संगठन द्वारा स्पेलिंग मिस्टेक की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
पत्र पर गलत लोगो- ऑल्ट न्यूज ने अपने पाठकों का ध्यान उस लोगो पर दिलवाया जो पत्र में नजर आ रहा है उनका कहना है कि ये जो लोगो है वो जमात-उद-दावा का है जो कि पाकिस्तान का एक संगठन है।
लेटरहेड पर संदेह– इसी तरह आगे फैक्ट चेक में ये बताया गया कि कैसे इसी लेटरहेड वाला पत्र 2016 में भी प्रसारित हो रहा था जिसमें इस्लामी आयत को अधूरा छोड़ा गया था। अब ये समझना मुश्किल है कि क्या ऑल्ट न्यूज ये बताना चाहता है कि इस्लामी आतंकी किसी आयत को अधूरा नहीं छोड़ सकते इसलिए 2016 वाला लेटर भी फर्जी था और अब जो शेयर हो रहा वो भी फर्जी है।
तथ्यात्मक गलतियाँ-आखिर में ऑल्ट न्यूज ने जो अपना फैक्ट चेक का बिंदु दिया वो ये है कि पत्र में उन्हें तथ्यात्मक गलतियाँ दिखाई दीं। जैसे इसमें निश्छल ज्वेलर्स और बिंद्रू की हत्या का जिक्र है। अब ऑल्ट न्यूज ये बताता है कि ये दोनों हिंदुओं की हत्या तो हुई पर चूँकि इसका इल्जाम अपने सिर नहीं लिया इसलिए ये उनके पत्र में इसका जिक्र नहीं हो सकता।
गौरतलब है कि ऑल्टन्यूज हमेशा से इस्लामी कट्टरपंथियों को बचाने के लिए अपने फैक्टचेक का इस्तेमाल करते हुए आया है। आज लिबरल अपना प्रोपेगेंडा चलाने के लिए आँख बंद करके इस साइट पर विश्वास करते हैं। सोचिए कि इस पत्र पर इतनी गहनता से जो फैक्टचेक किया गया है उसका बिंदु क्या रहा होगा। इसमें स्पष्ट तौर पर हिंदुओं को मारने की धमकी और देश की पीएम व गृहमंत्री के लिए घृणा दर्शाई गई हैं। फिर भी एक ऐसा फैक्ट चेक सिर्फ इसलिए हुआ ताकि इस्लामी कट्टरपंथियों पर सवाल न उठाया जाए।