Saturday, November 16, 2024
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कामरा, राठी, शेहला.. अर्णब को जमानत मिलते ही लिबरल्स ने छोड़ा झाग और जहर

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद सोशल मीडिया के कथित लिबरल्स की मानसिक दशा देखते ही बन रही है। कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा, लिबरल्स के 'दुग्गल साहब' ध्रुव राठी हों या फिर JNU की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद, लगभग हर आदर्श लिबरल इस जमानत पर बेहद व्यथित नजर आ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 2018 के आत्महत्या मामले में जमानत दे दी है। जमानत आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने के लिए मुंबई पुलिस को निर्देशित किया है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा–  “हम मानते हैं कि जमानत नहीं देने में हाईकोर्ट गलत था।” इसके साथ ही अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपितों को 50,000 रुपए के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया। अदालत ने पुलिस आयुक्त को यह निर्देश भी दिए कि उनके आदेश का तुरंत पालन किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद सोशल मीडिया के कथित लिबरल्स की मानसिक दशा देखते ही बन रही है। कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा, लिबरल्स के ‘दुग्गल साहब’ ध्रुव राठी हों या फिर JNU की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद, लगभग हर आदर्श लिबरल इस जमानत पर बेहद व्यथित नजर आ रहा है। NDTV की पूर्व पत्रकार निधि राजदान ने तो एक ऐसा ट्वीट तक डिलीट कर दिया, जो उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ की तारीफ़ में 2018 में किया था। लेकिन मौके की नजाकत को भाँपते हुए कुछ लोगों के पास इसके स्क्रीनशॉट सुरक्षित थे।

कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस कदर बिलबिला गया कि उसने तो जजों के आगे से ‘आदरणीय’ हटाने की ही सिफारिश कर डाली। इतना ही नहीं, उसने जज डीवाई चंद्रचूड़ को फ्लाइट अटेंडेंट बताते हुए कहा कि वो प्रथम श्रेणी के यात्रियों के लिए शैंपेन परोसते हैं।

NDTV की पूर्व पत्रकार निधि राजदान ने 28 सितंबर, 2018 को ट्विटर पर लिखा था, “जज चंद्रचूड़ के लिए बहुत सम्मान।” हालाँकि, आज अर्णब की जमानत पर सुनवाई के दौरान निधि राजदान ने अपना यह ट्वीट ये सोचकर डिलीट कर दिया कि किसीको क्या ही पता चलेगा। लेकिन इससे पहले ही यह सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था।

इसमें एक और वामपंथी पत्रकार शामिल हुई। नाम है- रोहिणी सिंह। उन्होंने रिपब्लिक मीडिया के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए हँसने वाला इमोजी बनाया है। इस ट्वीट में रिपब्लिक ने बताया था कि लंदन में भी लोग अर्णब की जमानत को लेकर होने वाले फैसले को जानने के लिए टीवी स्क्रीन से चिपके हुए हैं। जिसका रोहिणी सिंह ने मजाक बनाने की कोशिश की है। हालाँकि, इस हँसी के पीछे छुपे जख्म के लिए कोई इमोजी होती तो रोहिणी उसे जरूर आज ट्वीट करती। 

JNU की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद ने अदालत के एक बयान पर ट्वीट किया है कि अगर आपको उमर खालिद की स्पीच पसंद नहीं है तो आपको वो नहीं सुननी चाहिए। दरअसल, अदालत ने अर्णब की जमानत पर सुनवाई के दौरान कहा कि अगर आपको कोई न्यूज़ चैनल पसंद नहीं है तो आपको वो नहीं देखना चाहिए।

अब आते हैं कुख्यात ट्रोल और अंतरिक्ष से लेकर पातल और हर आकाशगंगा की प्रत्येक चीज का पूरा ज्ञान रखने वाले लगभग सभी मामलों के जानकार ध्रुव राठी पर! उसने इस फैसले को लेकर कई ट्वीट किए। राठी ने ‘लाइव लॉ’ के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, “न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ एक सच्चे लिबरल हैं, वे यहाँ सही बात कह रहे हैं। लेकिन कृपया आम आदमी को भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की पहुँच प्रदान करें। हर किसी को अर्णब गोस्वामी के रूप में विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट उनके लिए तुरंत खुल जाएगा। सैकड़ों अन्य लोग को इस अधिकार से वंचित कर दिया गया है!”

बता दें कि ध्रुव राठी ने जिस ट्वीट को रीट्वीट किया था उसमें जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि  एक संवैधानिक अदालत अगर लिबर्टी की सुरक्षा नहीं करे तो फिर और कौन करेगा? उन्होंने कहा कि पीड़ित को पूरा अधिकार है कि उसे निष्पक्ष जाँच का अधिकार मिले।

इसके अलावा उसने एक ट्वीट में लिखा, “अधिकांश लिबरल अर्णब गोस्वामी को जमानत देने के इस निर्णय का समर्थन करते हैं। लेकिन हम यही चाहते हैं कि समान नियम सभी के लिए समान रूप से लागू हो। मुझे उम्मीद है कि अर्णब अब अन्य पत्रकारों के पक्ष में अपनी आवाज उठाएँगे, जो सरकारों के उत्पीड़न के कारण जेल गए।”

ध्रुव राठी की भड़ास यहीं पर खत्म नहीं हुई। उसने इसका मजाक भी बनाया। एक अन्य ट्वीट में राठी ने लिखा, “फन फैक्ट: वकील हरीश साल्वे, जिन्होंने अर्णब गोस्वामी को जमानत दी, ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने 2015 में सलमान खान को जेल जाने से बचाया था।”

अब ये बात राठी ने निकाली ही है तो हम आपको कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और मशहूर वकील कपिल सिब्बल की कारस्तानी भी बताते हैं। देश भर में नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर जो हिंसा हुई उसमें पता चला कि पीएफआई के बैंक अकाउंट से देश के कई बड़े वकीलों को पैसे दिए गए थे। इनमें कपिल सिब्बल  का नाम भी शामिल था।

जाँच के दौरान पीएफआई के कुल 73 बैंक खातों का पता चला था। कॉन्ग्रेस का चेहरा बेनकाब होने से उसके नेताओं में बौखलाहट बढ़ गई थी। खुलासे से पता चला था कि PFI ने वकील और कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल को 77 लाख रुपए दिए थे। सिब्बल ने दावा किया था कि ये पेमेंट हादिया केस के लिए पीएफआई ने उन्हें दिया था।

वहीं 1984 सिख विरोधी दंगे मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉन्ग्रेस नेता सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सज्जन को अब ताउम्र जेल में रहना होगा। इस मामले में कोर्ट में सज्जन कुमार का पक्ष कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल ने रखा था।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सोमवार (नवंबर 9, 2020) को 2018 की आत्महत्या के मामले में अर्णब की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद उन्हें सेशन कोर्ट भेज दिया था। वहीं अर्णब के वकीलों ने आज सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत याचिका दायर की। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की पीठ के समक्ष बुधवार को इसकी सुनवाई हुई। इससे पहले न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक की पीठ ने अर्णब गोस्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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