अफगानिस्तान के कंधार के स्पिन बोल्डक जिले में तालिबानियों ने रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दकी को मार डाला। दानिश अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्रकार थे जिन्हें साल 2018 में पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी हत्या के बाद उनकी ‘आखिरी’ फोटो बताकर एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है, जिसे देख कई अन्य लिबरल पत्रकारों ने इसे प्रसारित न करने की अपील की है। हालाँकि, यूजर्स ने अपील मानने की जगह पूछा है कि जब दानिश मृतकों के दाह संस्कार की तस्वीरें शेयर कर रहे थे तब ऐसा क्यों नहीं कहा गया।
दरअसल, दानिश की मौत की खबर के बाद ‘द इंडिपेंडेंट की पत्रकार स्तुति मिश्रा’ ने उनके द्वारा क्लिक की गई कुछ चयनित तस्वीरों को ट्विटर पर शेयर किया। इसके बाद एक यूजर ने फोटो जर्नलिस्ट की आखिरी फोटो वहाँ साझा कर दी। इसे देख स्तुति ने उस ट्वीट पर अपील की कि इस तरह की तस्वीर न शेयर की जाए। उन्होंने लिखा कि वह तस्वीर को लेकर स्पष्ट नहीं है, मगर किसी भी मृतक की तस्वीर कइयों को ट्रिगर कर सकती है और ये मृतक के लिए अपमानजनक होता है।
इसी प्रकार द न्यू यॉर्क टाइम्स के पत्रकार मुजीब मशाल ने लिखा कि किसी के घरवालों को पता चलने से पहले या उसके बाद भी किसी की मौत की तस्वीर न शेयर करें।
इस तरह अपीलों को देखने के बाद कई यूजर मीडिया पत्रकारों के पाखंड पर भड़क गए। लोगों ने तमाम फोटोज शेयर करते हुए कहा कि दानिश ने कोविड से मरने वालों की तस्वीरें बेची थीं। इसके बावजूद कुछ पाखंडी थे जो सिद्दकी की हरकत के लिए उनकी सराहना कर रहे थे और आज जब उनकी आखिरी तस्वीर लोग शेयर कर रहे हैं तो इन्हें परेशानी है।
लोगों ने तर्क दिया कि दानिश सिद्दकी ने मृतकों के दाह संस्कार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली थी वो भी बिना पीड़ित परिवारों की मर्जी जाने। ऐसे में अगर उनको खुद पता चलेगा कि उनकी तस्वीर से उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति मिल रही है तो शायद उन्हें आपत्ति न हो।
यूजर्स ने स्तुति को उनके पाखंड का भी आइना दिखाया। स्तुति मिश्रा जिन्होंने दानिश की आखिरी तस्वीर शेयर न करने के लिए लोगों से अपील की थी। उन्हीं स्तुति ने दानिश के बेहतरीन क्लिक्स में से दाह संस्कार की तस्वीर शेयर की थी। लोगों ने पूछा क्या ऐसा करना मृतकों के लिए अपमानजनक नहीं है।
इस पूरे बवाल के बीच व लोगों की उलटी प्रतिक्रिया देखकर पत्रकार अपनी गलती मानने की बजाय बाकी यूजर्स को भला बुरा बोलने लगीं। उन्होंने यूजर्स को बेवकूफ करार देते हुए कहा, “मेरी टाइमलाइन पर कुछ बेवकूफों को फोटो जर्नलिस्ट की ड्यूटी और उनके द्वारा शेयर की जा रही तस्वीर में फर्क तक नहीं पता। मैं उनसे कुछ जानने की उम्मीद नहीं करती। लेकिन सच ये है कि किसी की मौत पर इन राक्षसों द्वारा घोला जा रहा जहरीलापना मुझे अब भी हैरान कर रहा है।“
स्तुति के इस ट्वीट के बावजूद अब भी दानिश के कामों पर बहस जारी है। लोगों का कहना है कि सिद्दकी एक अवसरवादी थे और लोगों के हालातों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते थे। इसलिए उनकी तस्वीर शेयर करने में कुछ गलत नहीं।