प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब मीडिया के गढ़े झूठों का भी पर्दाफाश करना शुरू कर दिया है। हाल में न्यूज 18 ने एक खबर चलाई थी कि केंद्रीय जाँच एजेंसी ने दावा किया है कि कट्टरपंथी समूह पीएफआई और भीम आर्मी के बीच कोई लिंक नहीं है। अब इसी खबर को शेयर करते हुए ईडी ने साफ किया है कि यह खबर सरासर झूठ है।
ईडी ने अपने ट्विटर पर खबर के संबंध में लिखा, “ये खबर गलत है। वास्तविकता में ईडी, पीएफआई अधिकारियों से बरामद विश्वनीय सबूतों के आधार पीएफआई और भीम आर्मी के फाइनेंशिल लिंक्स की पड़ताल कर कर रही है।”
न्यूज 18 की रिपोर्ट, जिसे अब डिलीट किया जा चुका है, में दावा किया गया था, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा है कि चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली भीम आर्मी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बीच कोई संबंध नहीं है। एजेंसी ने उन दावों को भी खारिज किया जिसमें कहा जा रहा था कि हाथरस मामले के जरिए हिंसा भड़काने के लिए कथित विदेशी फंडिंग के 100 करोड़ रुपए बरामद किए गए।”
गौरतलब है कि केवल न्यूज 18 ने ही नहीं बल्कि कई मीडिया चैनल ने यह झूठा दावा अपनी रिपोर्ट्स में किया था। इस सूची में एक नाम इंडिया टुडे का भी है। इंडिया टुडे ने अपनी 9 अक्टूबर की रिपोर्ट में कहा था कि प्रवर्तन निदेशायलय को भीम आर्मी और पीएफआई के बीच लिंक नहीं मिले हैं, जिन्हें सीएए विरोधी आंदोलनों में हिंसा भड़काने वाला कहा जा रहा था।
इस रिपोर्ट में भी यह लिखा था कि ईडी ने 100 करोड़ बरामद होने वाले दावों को झूठा कहा है। उनका यह बयान यूपी डीजीपी ब्रिज लाल के दावों के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भीम आर्मी समेत कई बाहरी हाथरस मृतका के परिवार को बरगलाना चाहते हैं।
इसके बाद प्रोपेगेंडा पोर्टल द वायर ने भी इस मामले में जमकर झूठ फैलाया। उन्होंने भी पीएफआई और भीम आर्मी के लिंक को खारिज किया।
बता दें कि इस संबंध में रिपोर्ट्स अक्टूबर माह की शुरुआत में आई थी और कई संस्थानों ने इसे कवर किया था, लेकिन ईडी के खुलासे के बाद भी हमारे खबर लिखने तक सिर्फ न्यूज 18 ने इसे डिलीट किया है।
हाथरस केस
पिछले दिनों यूपी के हाथरस में 14 सितंबर को 19 साल की युवती के साथ हुई बर्बरता के कारण उसने 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अपना दम तोड़ा था। मृतका के घरवालों ने उसके साथ बलात्कार का आरोप लगाया था। हालाँकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस एंगल को खारिज किया गया था। वहीं इस पूरे मामले को राजनीतिक दृष्टि से भी खूब भुनाया गया था।
मामले में जाँच के दौरान पीएफआई और नक्सल कनेक्शन सामने आए थे। पुलिस ने जाँच में पाया था कि जो महिला लड़की की भाभी बनकर मीडिया से बात कर रही थी, उसे वास्तविकता में कैमरे में बोलने के लिए पहले से तैयार किया गया था। इसके बाद इस मामले में सीबीआई जाँच की माँग उठी थी और राज्य सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे केस को सीबीआई को सौंप दिया था।