जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के दौरान अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा। सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से अफवाहें फैलाई गई कि दिल्ली पुलिस ने छात्रों ने साथ न सिर्फ़ बर्बरता की, बल्कि 3 छात्रों को मार भी डाला। पुलिस ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है और जामिया प्रशासन ने भी ऐसी किसी भी ख़बर को नकार दिया है। व्हाट्सप्प ग्रुप्स में बेहोश या घायल छात्रों की फोटो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये पुलिस की गोली से मरे हैं।
कई प्रोपेगंडा पोर्टल्स ने भी इस अफवाह को फैलाने में हाथ बँटाया। मीडिया से ऐसे मौक़ों पर उम्मीद रहती है कि वो शांति कायम करने के लिए प्रयास करेगी और ख़बरों की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरी तरह जाँच-परख करने के बाद ही उन्हें प्रकाशित करेगी। लेकिन, एक बड़ा वर्ग इसके एकदम विपरीत चल रहा है। जामिया के छात्र उग्र प्रदर्शन कर रहे थे, वहाँ 4 बसों को जला डाला गया और कई वाहन क्षतिग्रस्त कर डाले गए। इसके बाद पुलिस ने उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया और आँसू गैस के गोले छोड़े।
‘इंडस डिक्टम’ और ‘जनता का रिपोर्टर’ जैसे प्रोपेगेंडा पोर्टल्स ने लिखा कि पुलिस ने छात्रों को मार डाला है। हालाँकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन का बयान आने का बाद इंडस ने अपनी वेबसाइट पर ख़बर को अपडेट करते हुए लिखा कि पुलिस ने सभी छात्रों को छोड़ दिया है और किसी के भी मरने की सूचना नहीं है। कोटा के रहने वाले शाकिर नामक युवक की मौत की ख़बर चलाई गई थी, जो ग़लत निकली। उसे बस कुछ चोटें आई थीं, जिससे वह घायल हो गया था।
जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने भी पुष्टि की है कि पुलिस ने जिन उपद्रवी छात्रों को हिरासत में लिया था, उन सभी को रिहा कर दिया गया है। जामिया की कुलपति नज़मा अख्तर ने बताया कि 2 छात्रों के मारे जाने की जो अफवाह फैली है, यूनिवर्सिटी उसका पूरी तरह से खंडन करता है। उन्होंने कहा कि संपत्ति का काफ़ी नुकसान हुआ है, जिसके लिए वो एफआईआर दर्ज कराएँगी। उन्होंने दावा किया कि लगभग 200 लोग चोटिल हुए हैं, जिनमें से अधिकतर जामिया के छात्र हैं।
Vice Chancellor of Jamia Millia Islamia, Najma Akhtar: There has been a strong rumour that two students died, we deny this totally, none of our students died. About 200 people were injured of which many were our students pic.twitter.com/3uGAAVJuri
— ANI (@ANI) December 16, 2019
अफवाहों को चारों तरफ़ से नकारे जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर पुलिस की गोली से जामिया के छात्रों के मारे जाने की ख़बरें लगातार सर्कुलेट होती रहीं। न सिर्फ़ प्रोपेगंडा पोर्टलों बल्कि कई पत्रकारों ने भी छात्रों को भड़काने के लिए झूठी ख़बरें शेयर की। अब आप सोचिए, अगर सही में ऐसा होता, किसी की मौत होती, तो कितना बड़ा बवाल हो जाता?
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नोट: जामिया में छात्रों के मरने की अपुष्ट ख़बर ऑपइंडिया के पास भी आई थी लेकिन हमनें इंतज़ार करना बेहतर समझा। ट्रैफिक या वित्त के लालच में प्रोपेगंडा पोर्टल्स ने इन ख़बरों को चला कर अफवाह फैला दिया, जिससे और भारी क्षति हो सकती थी। हमें जानबूझकर ऐसा नहीं किया। जामिया के कुलपति, पुलिस और छात्र संगठन- सभी ने इन अफवाहों को नकार दिया है, खंडन किया है। शुक्र मनाइए कि मीडिया के एक वर्ग विशेष की ये चाल कामयाब नहीं हुई, वरना हिंसा की और भी वारदातें हो सकती थीं।