एक मीडिया संस्थान है- एचडब्ल्यू न्यूज (HW News) नेटवर्क। इसी से जुड़ी हैं पत्रकार समृद्धि के सकुनिया (Samriddhi K Sakunia)। समृद्धि को बीते दिनों एक और पत्रकार स्वर्णा झा के साथ गिरफ्तार किया गया था। बाद में इन्हें जमानत दे दी गई। इन पर फेक न्यूज प्रकाशित कर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप है।
सकुनिया ने श्रृंखलाबद्ध ट्वीट कर त्रिपुरा में मस्जिद तोड़े जाने का दावा किया था। एक वीडियो पोस्ट करते हुए दावा किया कि जली हुई पुस्तक कुरान है। जिसके हवाले से यह दावा किया गया जब उसके पास त्रिपुरा पुलिस पहुँची तो उसने ऐसा कुछ कहे जाने से इनकार किया। जब इसको लेकर सकुनिया से फोन पर पूछताछ की गई तो उसने कथित तौर पर अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई भी सबूत देने से इनकार कर दिया।
समृद्धि सकुनिया के फेक न्यूज का पुराना इतिहास
21 साल की सकुनिया इंडियन एक्सप्रेस, द लिफलेट, द सिटिजन, टू सर्कल्स और न्यूज क्लिक के लिए भी लिखती हैं। सोशल मीडिया में उनके अच्छे-खासे फॉलोअर हैं। इसका इस्तेमाल वह ट्विटर और इंस्टाग्राम पर एजेंडा वाली पत्रकारिता के लिए करती हैं। चाहे सीएए विरोधी आंदोलन हो या कथित किसानों का प्रदर्शन, इजरायल का मसला हो या केंद्र की मोदी सरकार, वह हर मौके पर वामपंथी एजेंडे के हिसाब से प्रोपेगेंडा आगे बढ़ाते नजर आती हैं।
आरोपित मुस्लिम तो फैक्ट छिपाए
इंस्टाग्राम पर सकुनिया ने एक रिपोर्ट पब्लिश की कि मुस्लिम चूड़ी विक्रेता को हिंदुओं ने पीटा। यह मामला मध्य प्रदेश के इंदौर का है। इस घटना के लिए ‘हिंदू टेरर’ शब्द का इस्तेमाल किया। लेकिन शातिराना तरीके से यह बात छिपा ली कि तस्लीम अली हिंदू नाम से चूड़ी बेच रहा था। उस पर हिंदू नाबालिग लड़की के साथ बदसलूकी करने और दो आधार कार्ड रखने का आरोप है।
लखीमपुरी खीरी में हुई घटना ने पूरे देश को मर्माहत किया। लेकिन इस मामले में भी सकुनिया ने एकपक्षीय एजेंडे को बढ़ाया। प्रदर्शनकारियों की मौत का वीडियो शेयर किया। यह बताया कि कैसे विपक्ष के नेताओं को लखीमपुर नहीं जाने दिया जा रहा है। लेकिन भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डाले गए बीजेपी कार्यकर्ताओं का जिक्र तक नहीं किया। न जान की भीख माँगते श्याम सुंदर निषाद का वीडियो शेयर किया। न ही मार डाले गए पत्रकार रमन कश्यप का जिक्र किया।
We should hang our heads in shame! Not once but everytime this system murders people and the Law and Order #Lakhimpur #LakhimpurKheri
— Samriddhi K Sakunia (@Samriddhi0809) October 3, 2021
मई 2021 में सकुनिया ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर एक वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया। सवाल उठाया कि इसे चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर अदालत ने जुर्माना लगा दिया। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ‘आवश्यक’ बताने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की आलोचना किए जाने की जरूरत बताई। दावा किया कि जब देश के लोग दवा और वैक्सीन के लिए तरस रहे हैं, यह प्रोजेक्ट आवश्यक नहीं हो सकता। लेकिन इस दौरान इस युवा पत्रकार ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी कर दी। यह तक नहीं बताया कि प्रोजेक्ट के एक छोटे से हिस्से का ही निर्माण कार्य चल रहा था।
इसी साल मई में इजरायल और फिलस्तीन के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा था। इस दौरान भी सकुनिया लिबरल, वामपंथी और कट्टरपंथी एजेंडे के तहत इजरायल विरोधी घृणा दिखाने से नहीं बाज आईं। एक वीडियो शेयर कर लोगों से इजरायल का समर्थन नहीं करने की अपील की। अपने अतार्किक तथ्यों के समर्थन में इजरायल के अस्तित्व तक को नकार दिया।
नवंबर 2020 में सकुनिया ने अपने इंस्टाग्राम से करीब 6 मिनट का एक मोनोलॉग पब्लिश किया। इसके जरिए उसने अपनी ओर से ‘लव जिहाद’ को झूठा साबित करने की भरपूर कोशिश की। बीजेपी पर अंतर धार्मिक विवाह को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया। इसको सुनकर ऐसा लगता है कि देश भर की तमाम लव जिहाद पीड़िताओं ने जो भुगता वह सकुनिया के लिए मायने नहीं रखता।
जाहिर है कि करियर के शुरुआती दौर में ही सकुनिया जिस तरह से एकपक्षीय प्रोपेगेंडा को विस्तार दे रही हैं, उससे साफ है कि पत्रकारिता का चोला उसने उसी वामपंथी-कट्टरपंथी एजेंडे को हवा देने के लिए ओढ़ा है जो इस देश की मेनस्ट्रीम मीडिया और कथित नामचीन पत्रकारों के लिए प्राणवायु है।
(मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई अनुराग की यह रिपोर्ट आप विस्तार से इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं)